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This Article is From Sep 25, 2017

प्राइम टाइम इंट्रो: बीएचयू में छात्राओं की सुरक्षा भगवान भरोसे?

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    सितंबर 25, 2017 22:00 pm IST
    • Published On सितंबर 25, 2017 21:35 pm IST
    • Last Updated On सितंबर 25, 2017 22:00 pm IST
बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी की छात्राओं के आंदोलन को लेकर सोशल मीडिया के एक हिस्से में जिस अश्लील भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है, वो उनके आंदोलन को लेकर हुए विवाद से कहीं ज़्यादा गंभीर है. यह बताता है कि सोशल मीडिया के राजनीतिक इस्तेमाल ने किसी भी मसले को लेकर सार्वजनिक स्पेस में बहस करने की सारी शालीनिताओं को समाप्त कर दिया है. छेड़खानी राष्ट्रीय समस्या है. इसका सामना हमारी लड़कियां बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी ही नहीं, भारत में कहीं भी करती हैं. जब वे इसका विरोध करती हैं तो जवाब उस घटना को लेकर होना चाहिए न कि उनके आंदोलन में बाद में कौन आ गया, कैसे नारे लग गए उस पर. सवाल यही है कि क्या बीएचयू के भीतर 21 सितंबर की शाम को छात्रा के साथ छेड़खानी हुई थी, हुई थी तो उसी वक्त यूनिवर्सिटी प्रशासन ने क्या कदम उठाए? हमने एफआईआर, छात्राओं से बातचीत के आधार पर घटना का क्रम तैयार किया है.

पीड़िता उस वक्त साइकिल पर थी और सलवार सूट पहन रखा था. अचानक दो बाइक सवार उसके पास आए और अपना हाथ सूट के अंदर डाल दिया. घटना स्थल यानी भारत कला भवन के सामने रौशनी कम थी इसलिए भी और घबराहट में वह बाइक का नंबर नहीं देख सकी. दस मीटर की दूरी पर गार्ड खड़े थे मगर चिल्लाने के बाद भी कोई नहीं आया. वहां से कुछ दूरी पर लड़के खड़े थे वो लड़की की तरफ मदद के लिए दौड़े. जब पीड़िता गार्ड के पास शिकायत करने के लिए पहुंची तो गार्ड ने कहा कि शाम छह बजे के बाद घूमोगी तो यही होगा.

जांच होनी चाहिए कि क्या गार्ड ने वाकई ऐसा किया. गार्ड ने पुकारने पर क्या किया. वैसे गार्ड को हटा दिया गया है. फोन करने के बाद प्रोक्टोरियल बोर्ड के सदस्य हाज़िर हो गए. उनसे कहा गया कि गार्ड को बुलाकर पूछिए कि क्यों नहीं मदद की तो जवाब मिला कि छुट्टी हो चुकी है वे जा चुके हैं. प्रोक्टोरियल बोर्ड के अधिकारियों ने कहा कि लिखित शिकायत दीजिए, कार्रवाई होगी. उनसे छात्र पूछते रहे कि क्या कार्रवाई होगी, आप पहले ये बताइये. सीसीटीवी का फुटेज मांगा गया तो कहा गया कि अगले दिन टेक्निशियन लेकर आइयेगा, फुटेज देंगे. हमारे पास टेक्निशियन नहीं है. क्या बीएचयू के पास सीसीटीवी का फुटेज चेक करने और निकाल कर देने के लिए टेक्निशियन नहीं है? लड़कियां वहां से चली गईं, लड़के प्रोक्टोरियल बोर्ड के अधिकारियों से बात करते रहे. लड़की वार्डन के पास गई, वार्डन ने बोला कि बस छुआ ही तो था और क्या किया. अब इसकी भी जांच होनी चाहिए कि क्या वार्डन ने ऐसा बोला? ग्यारह से बारह बजे के बीच प्रोक्टोरियल बोर्ड के अधिकारी और छात्रों के बीच बातचीत चलती रही. साढ़े ग्यारह बजे के करीब एफआईआर दर्ज कराने छात्र पहुंचे तो नाम और पता पूछा गया तो उजागर होने के भय से देना नहीं चाहता है. इसलिए एफआईआर नहीं हुई. अगले दिन सुबह जब त्रिवेणी होस्टल की छात्राएं शांतिपूर्ण मार्च करती हुई बीएचयू के गेट पर पहुंच गईं. जैसे ही बाकी गर्ल्स होस्टल को पता चला, बहुत सी लड़कियां आ गईं.

एफआईआर 22 सितंबर को एक बज कर दस मिनट पर दर्ज हुई. एफआईआर में घटना का समय शाम छह बज कर 20 मिनट है. क्या बीएचयू के भीतर एक दिन की घटना है या छेड़खानी आम बात हो चुकी है.

लड़कियों का प्रदर्शन बिल्कुल स्वत: स्फूर्त था. बाद में दूसरे छात्र संगठन और लोग उनके समर्थन में आ गए. इससे यूनिवर्सिटी को यह कहने का बहाना मिल गया कि आंदोलन में उनके छात्र नहीं हैं, बाहरी हैं, यह आंदोलन राजनीतिक हो गया है. प्रशासन को बहाना तो मिल गया लेकिन क्या राजनीति हो रही है सिर्फ इसी आधार पर छेड़खानी से लेकर लाठी चार्ज के सवाल से बचा जा सकता है. क्या कोई भी अभिभावक चाहेगा कि उनकी बच्ची एक ऐसी यूनिवर्सिटी में जाए जहां छेड़खानी आम बात हो. सवाल है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन छात्राओं के साथ क्यों नहीं खड़ा हुआ.

21 सितंबर की शाम साढ़े छह बजे के करीब छेड़खानी की घटना होती है, उसी दिन दोपहर तीन बजे के करीब नवीन छात्रावास की छात्राओं ने छेड़खानी की शिकायत प्रोक्टर और डीन को सौंपी थी. छात्राओं ने मेमोरेंडम में लिखा है कि आए दिन रास्ते में छेड़खानी होती है. अंतरराष्ट्रीय छात्राओं को भी छेड़खानी का सामना करना पड़ता है जो सबके लिए शर्मनाक है. लड़के छात्रावास के बाहर हस्तमैथुन करते हैं, पत्थर फेंकते हैं और आपत्ति जनक शब्दों का इस्तमाल करते हैं. प्रशासन ने कार्रवाई का भरोसा भी जताया था.

क्या वीसी को लाठी चार्ज की जानकारी थी, किसके आदेश से कैंपस में लाठी चार्ज हुआ. पुलिस को गर्ल्स होस्टल में घुसने की अनुमति किसने दी, छात्राओं पर लाठियां क्यों बरसीं? वीडियो फुटेज है कि पुलिस लड़की को घेर कर मार रही है, छात्र भाग रहे हैं. वाइस चांसलर कहते हैं कि कैंपस में पेट्रोल बम चल रहा था. क्या बीएचयू की ये हालत हो गई है कि वहां पेट्रोल बम चलते हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कहा है कि वे इस मसले पर ग़ौर करें और तत्काल समाधान निकालें. सीएम आदित्यनाथ ने आईजी पुलिस से रिपोर्ट मांगी है. 1000 अज्ञात छात्रों पर मुकदमा दर्ज हुआ है. दो पुलिसकर्मियों को लाइन हाज़िर किया गया है यानी ड्यूटी से हटाया गया है.

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