एक के बाद एक तीन मैच... हर मैच के साथ नए आसमान छूता भरोसा.... पीवी सिंधु के लिए रियो ओलिंपिक कुछ ऐसी फॉर्म लेकर आए हैं, जिसकी उम्मीद अभी तक खेल प्रेमी करते थे. सब जानते हैं कि सिंधु बेहद प्रतिभाशाली हैं. उनमें दुनिया का नंबर एक खिलाड़ी होने की क्षमता है. लेकिन कुछ था, जो ‘मिसिंग’ था. वो ‘मिसिंग फैक्टर’ रियो ने गायब कर दिया है.
पहले राउंड में ताइ जू यिंग... दूसरे यानी क्वार्टर फाइनल में वैंग यीहान और सेमीफाइनल में नोजोमी ओकोहुरा. तीनों अनुभवी, तीनों सिंधु से ज्यादा कामयाब. लेकिन कभी नहीं लगा कि सिंधु पिछड़ रही हैं. अब बारी कैरोलिना मरीन की है, जिन्होंने एक तरह से सिंधु और सायना नेहवाल के साथ मिलकर विश्व बैडमिंटन से चीनी दबदबे को कम करने में अहम रोल निभाया है. बाएं हाथ की मरीन के खिलाफ क्या कुछ करना होगा सिंधु को.
वो क्या है, जो सिंधु को बनाएगा गोल्डन गर्ल...
विपक्षी बड़ा .... तो खेल बड़ा
सिंधु की खासियत है कि जब उनके सामने बड़ा खिलाड़ी होता है, उनका खेल निखरता है. अपने से कम रैंक के तमाम खिलाड़ियों से वो हारी हैं. लेकिन अपने रंग में हों, तो बड़े खिलाड़ी को वो टिकने नहीं देतीं. जायंट किलर सिंधु ने पहले राउंड में नंबर आठ यिंग, दूसरे में नंबर दो यीहान और सेमीफाइनल में नंबर छह ओकोहुरा को हराया है. सिंधु खुद नौवीं पायदान पर हैं. अब उन्हें टॉप रैंक खिलाड़ी मरीन से खेलना है. यानी चुनौती ज्यादा बड़ी, खेल ज्यादा बड़ा.
आसमान छूता भरोसा
एक के बाद एक तीन बड़े खिलाड़ियों को हराना उनके भरोसे को आसमान तक पहुंचा रहा होगा. दूसरी तरफ स्पेन की उनकी प्रतिद्वंद्वी कैरोलिना मरीन ने एक तरह से महज एक मुकाबला ढंग से खेला है. उन्हें पहले राउंड में बाई मिला था. दूसरे में उन्हें ज्यादा संघर्ष नहीं करना पड़ा. तीसरे में चोटिल ली ज्यूरी के खिलाफ खेलीं. यानी एक भी मुश्किल मैच में खेलकर वो बाहर नहीं निकली हैं
गोपीचंद का पड़ेगा फर्क
सेमीफाइनल में एक लम्हा याद कीजिए. दूसरे गेम का ब्रेक था. सिंधु के कोच गोपीचंद ने उन्हें कुछ समझाया. सिंधु ने सिर हिलाया. उसके बाद उन्होंने ओकोहुरा को एक भी अंक नहीं लेने दिया. सिंधु अपने कोच पर पूरी तरह भरोसा करती हैं. गोपीचंद एक खिलाड़ी और कोच के तौर पर दुनिया के बेहतरीन लोगों में शुमार हैं. पिछली बार सायना के जीतने पर उन्होंने कहा था कि अब मैं मर भी जाऊं, तो गिला नहीं, क्योंकि एक ओलिंपिक पदक आ गया. लेकिन इस बार वो नई चुनौती के साथ आए हैं. उन्हें गोल्ड से कम पर संतोष नहीं होगा. सिंधु को उन्होंने लगातार बाहरी दबाव से दूर रखा है. यहां तक मीडिया से भी.
सिंधु का अंदाज
रियो में सिंधु ने गजब का भरोसा दिखाया है. उनके स्मैश इतने सटीक कभी नहीं दिखे थे. गेम को इस तरह कंट्रोल करती वो नहीं दिखती थीं. सेमीफाइनल में उन्होंने जैसे गेम को कंट्रोल किया, वो विश्व नंबर एक खिलाड़ी जैसा था.
फिटनेस बरकरार
सिंधु की समस्या रही है जल्दी चोटिल हो जाने की. चोट के बाद से ही उनका प्रदर्शन कभी शिखर की तरफ नहीं जा रहा था. लेकिन वो बदला है. तीनों मैचों में वो कभी थकी हुई दिखाई नहीं दी हैं. कहीं ऐसा नहीं लगा है कि फिटनेस को लेकर कोई समस्या है. इस तरह की फिटनेस और जो कद-काठी उनकी है, उन्हें रोकना किसी के लिए आसान नहीं.
कहां आ सकती हैं मुश्किलें
कैरोलिना मरीन के खिलाफ सिंधु ने दो मैच जीते हैं, लेकिन चार हारे हैं. उनका रिकॉर्ड एक समस्या है. हालांकि इसे हम खारिज कर सकते हैं, क्योंकि लगातार उन्होंने बेहतर रिकॉर्ड वाली खिलाड़ियों को हराया है. मरीन बाएं हाथ की खिलाड़ी हैं. उन्हें सर्किट में ‘कंप्लीट’ खिलाड़ी माना जाता है. स्पेन जैसे देश से आकर उन्होंने चीनी दबदबे को जिस तरह झकझोरा है, वो बताता है कि मरीन कितनी बड़ी खिलाड़ी हैं. यह समस्याएं हैं सिंधु के लिए. लेकिन हम जानते हैं कि दबाव में बड़े-बड़े टूटते हैं. सिंधु ने सब कुछ वैसे किया, जैसे वो तीन मैचों से कर रही हैं, तो मरीन की चुनौती भी टूटेगी.
शैलेश चतुर्वेदी वरिष्ठ खेल पत्रकार और स्तंभकार हैं...
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This Article is From Aug 19, 2016
वो पांच वजहें...जिनसे पीवी सिंधु बनेंगी गोल्डन गर्ल
Shailesh chaturvedi
- ब्लॉग,
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Updated:अगस्त 19, 2016 12:35 pm IST
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Published On अगस्त 19, 2016 06:58 am IST
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Last Updated On अगस्त 19, 2016 12:35 pm IST
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