नई दिल्ली:
विपक्ष की रणनीति पर सरकार कड़ी नज़र रख रही है। उसे यक़ीन है कि अविश्वास प्रस्ताव आएगा नहीं और आएगा भी तो गिर जाएगा क्योंकि विपक्ष एकजुट नहीं हो पाएगा। पिछले 10 दिन से सहयोगियों से लेकर विपक्ष तक के साथ डिनर डिप्लोमेसी में लगी यूपीए सरकार को यक़ीन है कि ख़ुदरा बाज़ार में विदेशी निवेश के सवाल पर ममता बनर्जी की कोशिश कामयाब नहीं होगी।
सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने इस ओर इशारा करते हुए कहा यह एक विचित्र स्थिति है। ऐसा संसद के इतिहास में कभी नहीं हुआ होगा कि 19 सांसदों वाले किसी दल ने अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात की हो… पहले प्रस्ताव रखना फिर समर्थन जुटाने की कोशिश करना… उन लोगों से जिनके खिलाफ उन्होंने लंबे समय तक लड़ाई लड़ी हो।
लेकिन, मामला सिर्फ ममता का नहीं है। आखिरी समय में अगर बीजेपी उसके साथ खड़ी हो गई तो अविश्वास प्रस्ताव की हवा बन सकती है। क्योंकि अविश्वास प्रस्ताव के लिए ज़रूरी 50 सांसद तब जुट जाएंगे। यहां सरकार तकनीकी मुद्दा भी उठा रही है।
वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने दावा किया है कि किराना क्षेत्र में विदेशी निवेश का मामला कायर्पालिका का मामला है इसके लिए संसदीय मंज़ूरी ज़रूरी नहीं है। फिर भी अगर प्रस्ताव आ ही गया तो सरकार ने नंबर भी जोड़ लिए हैं। सरकार को भरोसा है कि उसके साथ 300 से ज़्यादा सांसद होंगे और जब भी ज़रूरत पड़ेगी सरकार आसानी से बहुमत जुटा लेगी।
विपक्षी खेमे को उम्मीद थी कि संसद के शीत सत्र में किराना क्षेत्र में विदेशी निवेश के सवाल पर सभी विपक्षी दल लामबंद होंगे और सरकार मुश्किल में होगी लेकिन जिस तरह से तृणमूल कांग्रेस और लेफ्ट फ्रंट की रणनीति में अंतर्विरोध खुलकर सामने आ रहा है उससे साफ है कि सरकार को घेरने विपक्ष के लिए आसान नहीं होगा।