जब पूरी दुनिया कोविड से निबट रही है तब चीन भारत की ज़मीन हड़पने की कोशिश में है. मई के बाद एक बार फिर 29-30 अगस्त की रात चीनी सेना ने भारत के इलाके में घुसपैठ कर कब्जा़ करने की कोशिश की लेकिन सतर्क भारतीय सेना ने इसे बेकार कर दिया. अपनी पोज़िशन मज़बूत कर ली. इसके बारे में सेना ने बयान जारी कर जानकारी दी. और इसके बाद चीन की तरफ बयानों की बौछार शुरू हो गई. कोशिश ये कि भारत को किसी तरह से दोषी ठहराया जाए और खुद को पीड़ित. पिछले 24 घंटों में चीन की तरफ से चार बयान आ चुके हैं- दो चीन के विदेश मंत्रालय से, एक चीन की सेना की तरफ से, और एक बयान चीन के दिल्ली स्थित दूतावास से.
31 अगस्त को जापान की न्यूज़ एजेंसी क्योडो और भारत की न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के सवालों के जवाब में चीन के विदेश मंत्रलाय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने कहा कि चीन की सेना ने कभी एलएसी पार नहीं किया और कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर भारत से बात हो रही है. फिर आया बयान पीएलए के वेस्टर्न थिएटर कमांड के प्रवक्ता सीनियर कर्नल ज़ांग शुली ने एक बयान में कहा कि भारतीय सेना ने 'चीन के कब्ज़े वाले गलवान घाटी' में घुसपैठ की जो कि दोनों देशों के बीच कई दौर की बातचीत के बाद बनी सहमति का उल्लंघन है, यहां पर हालात बिगाड़ने के लिए भारतीय सेना जिम्मेदार है.
चीनी सेना के इस प्रवक्ता ने ये भी मांग की कि भारत अपनी सेना पीछे हटाए और उकसावे की कार्रवाई बंद करे ताकि मामला आगे न बढ़े. ये सब तब जब ज़मीन पर और सैटेलाइट की तस्वीरें साफ बता रही हैं कि असल में भारत ने नहीं बल्कि चीन ने भारत की ज़मीन पर कब्ज़ा किया है, एलएएसी पर अपनी सेना का जमावड़ा किया है और रणनीतिक अहमियत की चोटियों पर लगातार कब्ज़ा करने की कोशिश कर रहा है.
लेकिन चीन का झूठ यहीं नहीं रुका. एक बार फिर 1 सितंबर की प्रेस ब्रीफिंग में चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा कि चीन ने कभी कोई लड़ाई शुरू नहीं की और किसी और देश की एक इंच ज़मीन भी नहीं हथियाई. प्रवक्ता हू चुनयिंग ने ये भी कहा कि चीन की सेना ने कभी लाइन नहीं लांघी, शायद संवाद का कोई मुद्दा हो. कुछ ऐसा ही बयान दिल्ली स्थित चीन के दूतावात की प्रवक्ता जी रॉंग ने भी बयान जारी कर कहा. ये भी जोड़ा कि भारत के सामने उन्होंने अपनी बात रखी है. ये सब तब जब पूरी दुनिया को पता है कि चीन का लगभग अपने सभी पड़ोसियों से ज़मीन को लेकर झगड़ा है.
यही नहीं चीनी सरकार की स्टेट मीडिया और कम्यूनिस्ट पार्टी के मुखपत्र माने जाने वाले ग्लोबल टाईम्स ने धमकी भरे लेख लिखे हैं. हालांकि चीन की न धमकियों और ना झूठ में अब भारत आने वाला है. भारत ने बार-बार, हर बैठक - कूटनीतिक और सैन्य - में कहा है कि एलएसी पर अप्रैल 2020 की स्थिति सीमावर्ती इलाकों में शांति और स्थिरता के लिए ज़रूरी है. लेकिन चीन की कथनी और करनी का फर्क देखने के बाद भारत बातचीत से मसला सुलझाना चाहता है, कोशिश भी कर रहा है लेकिन पूरी तरह सतर्क भी है.
कादम्बिनी शर्मा NDTV इंडिया में एंकर और एडिटर (फॉरेन अफेयर्स) हैं...
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