हंदवाड़ा : अलगाववाद की भेंट चढ़ी महिलाओं की सुरक्षा

हंदवाड़ा : अलगाववाद की भेंट चढ़ी महिलाओं की सुरक्षा

राज्य में महिला सुरक्षा की किसे परवाह?

आर्मी वाले ने छेड़ा या लोकल लड़के ने? हंदवाड़ा में इस मुद्दे पर लगी आग में कइयों ने अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक ली हैं। लेकिन क्या अब तक किसी ने इस पूरे मुद्दे के मूल सवाल को उठाया है? एक नाबालिग लड़की के साथ छेड़छाड़ का और वह भी एक सार्वजनिक टॉयलेट के बाहर। यही घटना अगर दिल्ली या मुंबई में हुई होती तो शायद हमें उस लड़की की सुरक्षा या शहर भर की लड़कियों की सुरक्षा की चिंता सताती। लेकिन लगता है जम्मू कश्मीर में महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा का मुद्दा भी अलगाववाद की आग की भेंट ही चढ़ गया। मुद्दा कश्मीर की आज़ादी का बन गया, मुद्दा अलगाववाद का हो गया, कश्मीर बंद बुला दिया गया और कई नौजवानों ने तो सेना के कथित शोषण के खिलाफ अपनी जान दे कर विरोध दर्ज करा दिया।

पुलिस अपने आप को बचाने और राज्य की बेक़ाबू होती भीड़ पर नकेल कसने में ही लगी रही, सेना भी इंक्वायरी और पत्थरबाज़ी की जवाबी कार्रवाई में उलझी रही। चलिए इनका तो यही काम है... लेकिन उनका क्या जो सत्ता में बैठे हैं और उनके मुंह से एक बार भी यह सवाल नहीं निकला कि आखिर उनके राज में एक स्कूली लड़की को भरे बाज़ार छेड़ा गया और फिर उसका वीडियो बना कर वायरल कर दिया गया। अलगाववादियों को भी "सेना के जवान" का छेड़छाड़ करना गंवारा नहीं था, लेकिन क्या उन्होंने कभी अपने राज्य की इन बच्चियों से पूछा कि क्या आप सुरक्षित महसूस करती हैं?

शायद ये अलगाववादी नेता कश्मीर से जुड़ा ज़्यादा अहम मुद्दों में मसरूफ रहे हों, इसलिए इन्हें एक बच्ची नहीं दिखाई दी, बस दिखा तो बंद बुलाने का और आज़ादी मांगने का एक और मौका। लेकिन महबूबा मुफ़्ती तो एक महिला हैं....और बस 4 हफ्ते पहले ही बड़ी खुशी शोरगुल के साथ कश्मीर की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी हैं। उनकी संवेदना कहां गई। उन्होंने भी एक बार महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा के सवाल को न उठाया, न ही उसको लेकर कोई कदम उठाने की बात कही। वह सिर्फ उन नौजवानों के लिए ही इंसाफ चाहती हैं जो विरोध करते हुए सुरक्षाकर्मियों की गोली का शिकार हो गए।

इंसाफ सबको मिलना चाहिए.... उन लड़कों को भी जो फायरिंग में मारे गए लेकिन उस लड़की को भी जो भरे बाज़ार छेड़ी गई और अब जिसके ज़हन पर यह बोझ होगा कि वह इस साल कश्मीर में हुए अब तक के सबसे बड़े विरोध प्रदर्शन का केंद्र बिंदु बन गई है।


अंजिली इस्टवाल NDTV में एसोसिएट एडिटर एवं एंकर हैं

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