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This Article is From Apr 28, 2016

ऑड-ईवन के 'तमाशे' के बीच दबकर रह गया दिल्ली के प्रदूषण का मुद्दा

anand nayak
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अप्रैल 28, 2016 19:08 pm IST
    • Published On अप्रैल 28, 2016 13:36 pm IST
    • Last Updated On अप्रैल 28, 2016 19:08 pm IST
देश की राजधानी को प्रदूषण मुक्‍त बनाने के अभियान के बीच दिल्ली में ऑड-ईवन का राउंड-2 जारी है। बेशक, इसका उद्देश्‍य राजधानी में भयावह रूप से बढ़ रहे प्रदूषण को कम करना है, लेकिन ऑड-ईवन योजना का प्रचार-प्रचार इस कदर हुआ है कि प्रदूषण से जुड़ा मुद्दा गौण होकर रह गया है।

एक तरह से ऑड-ईवन दिल्‍ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी और विपक्षी पार्टी बीजेपी के बीच 'शक्‍ति प्रदर्शन' का मंच बनकर रह गया है। जहां 'आप' का पूरा जोर इस योजना को कामयाब बनाने पर है वहीं बीजेपी के नेताओं का जोर योजना के कारण आम आदमी (आम आदमी पार्टी नहीं) को हो रही परेशानियों का हवाला देते हुए इसके विरोध पर केंद्रित है। जोर आजमाइश के इस दौर के बीच प्रदूषण का मसला दबकर रह गया है जबकि यह सारी कवायद ही दिल्‍ली के प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए की जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट की ओर से प्रदूषण के मसले पर दिल्ली सरकार और केंद्र को लगाई गई कड़ी फटकार के बाद कई उपायों के साथ ऑड-ईवन को लागू करने के बारे में विचार किया था। इसमें वायु प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को राजधानी के रिहायशी क्षेत्र से बाहर शिफ्ट करने, धूलभरी सड़कों की वैक्यूम क्‍लीनर से सफाई करवाने और धुएं के रूप में 'जहर' छोड़ रहे डीजल के वाहनों और ट्रक आदि के प्रदूषण पर सख्ती से नियंत्रण करने के उपाय शामिल थे।

ऐसे तो सार्थक परिणाम मिलने से रहे
इनमें से फिलहाल ऑड-ईवन पर ही काम होता नजर आ रहा है। बेशक ऑड-ईवन दिल्‍ली सरकार की ओर से की गई एक अच्‍छी पहल है, लेकिन हमें इस बात को समझना होगा कि प्रदूषण कम करने के लिहाज से इस योजना के सार्थक परिणाम तभी मिलेंगे जब इसे, दूसरे उपायों के साथ अमल में लाया जाएगा। अकेले ऑड-ईवन लागू करने की योजना सड़कों पर वाहनों की संख्‍या कम करने और ट्रैफिक जाम रोकने के लिहाज से भले ही कारगर हो, लेकिन सिर्फ इससे, प्रदूषण को कम करने में बहुत ज्यादा कामयाबी नहीं मिलने वाली। विरोधियों का तर्क है कि बिना पूर्व तैयारी के इस योजना को लागू करने से आम लोगों की परेशानियां ही बढ़ी हैं। इसे लागू करना तभी उचित होगा जब दिल्‍ली की सड़कों पर बसों की संख्‍या बढ़ाने के साथ ही 'लाइफलाइन' मेट्रो के फेरे और कोच भी बढ़ाएं जाएं। राजधानी के प्रदूषण को कम करने के लिहाज से हमें इन उपायों पर भी विचार करना होगा...

सड़कों की हो नियमित सफाई
ऑड-ईवन के राउंड वन और राउंड टू के दौरान किए गए सर्वे बताते हैं कि इस दौरान दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में इजाफा ही दर्ज किया गया है। दरअसल, प्रदूषण का मिजाज वाहनों और उद्योगों के धुएं के साथ मौसम के मिजाज पर ही निर्भर करता है। धूलभरी सड़कों पर फर्राटा भरकर दौड़ते वाहनों के कारण कई बार सांस ले पाना भी मुश्किल होता है। इस लिहाज से ऐसी सड़कों का निर्माण और वैक्‍यूम क्लीनर से इनकी सफाई कराना जरूरी है। इस बारे में प्रक्रिया शुरू होने के बाद भी अपेक्षित गति नहीं पकड़ सकी है।

भारी वाहनों के प्रदूषण पर नकेल कसना जरूरी
सर्वे यह भी बताते हैं कि कार जैसे लाइट व्‍हीकल का प्रदूषण फैलाने में महज चार से पांच फीसदी योगदान होता है। बिना पर्याप्त रखरखाव के सड़कों पर दौड़ रहे ट्रक-बसों जैसे भारी वाहन ही प्रदूषण फैलाने का सबसे बड़े स्रोत हैं। दुर्भाग्‍य से ऐसे वाहनों पर अब तक प्रभावी नकेल नहीं कसी गई है। इनके प्रदूषण की नियमित जांच और ज्यादा धुआं छोड़ रहे पुराने वाहनों को सड़क से 'बाहर' करना प्रदूषण कम करने के लिहाज से पहली जरूरत है।

औद्योगिक इकाइयों को शहर से बाहर शिफ्ट किया जाए
रिहायशी इलाकों के आसपास के उद्योग और पावर प्‍लांट भी प्रदूषण का बड़ा कारण बन रहे हैं। इन्‍हें एक व्यापक योजना बनाकर शहर के बाहर शिफ्ट करना और नियमित रूप से इनके प्रदूषण के स्तर की मॉनिटरिंग करने का सिस्‍टम बनाना होगा। आनंद विहार क्षेत्र इस समय राजधानी दिल्ली के सबसे प्रदूषित इलाकों में शुमार है। आईएसबीटी, रेलवे स्टेशन और मेट्रो स्टेशन होने के नाते यहां पर रोजाना हजारों की संख्‍या में लोगों की आवाजाही होती है, लेकिन यहां के प्रदूषण को कम करने के लिहाज से अभी तक ठोस कदम उठाए जाने का इंतजार है।

चीन के बीजिंग शहर से लेनी होगी प्रेरणा
हमें यह स्‍वीकार करना होगा कि प्रदूषण को लेकर देश की 'सुप्रीम अदालत' की कड़ी फटकार के बावजूद हमारे जमीनी प्रयास (ऑड-ईवन को छोड़कर) अब तक नाकाफी ही रहे हैं। चीन इस बारे में हमें प्रेरणा दे सकता है। चीनी प्रशासन ने बीजिंग शहर में खतरनाक स्‍तर तक बढ़ चुके प्रदूषण के स्‍तर को जिस इच्छाशक्ति से काबू में किया, क्‍या तमाम सियासी मतभेदों को भुलाकर हम ऐसी इच्छाशक्ति दिखा पाएंगे...।

आनंद नायक एनडीटीवी खबर में डिप्टी एडिटर हैं

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