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This Article is From Jul 17, 2015

व्यापमं और 'सम्मान' की लड़ाई : दूसरा भाग

Reported By Abhishek Sharma
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  • Updated:
    जुलाई 17, 2015 15:53 pm IST
    • Published On जुलाई 17, 2015 15:44 pm IST
    • Last Updated On जुलाई 17, 2015 15:53 pm IST
मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री और उनके सियासी सिपाही पूरे राज्य में जा जाकर बता रहे हैं कि कैसे व्यापमं की कीमत छात्रों को चुकानी होगी? कैसे इस बदनामी से राज्य की पूरी दुनिया में किरकिरी हो रही है। पूरी पार्टी इसे राज्य के सम्मान से जोड़ने पर उतारू है। सवाल उठ रहा है कि बीजेपी किसके सम्मान की बात कर रही है? नेताओं के सम्मान और स्वाभिमान की? या फिर उस सड़े गले सिस्टम के सम्मान की, जिसे खुद राज्य के मुख्यमंत्री ने पनपने दिया और आबाद होने दिया?

हम कैसे भूल जाएं कि जो आरोपी अंदर हैं और हर दिन व्यापमं घोटाले के चक्कर में अंदर जा रहे हैं वो कल तक मुख्यमंत्री के साथ फोटो खिंचवाते थे? हर दिन अखबारों में आते थे। मुख्यमंत्री खुद अहसास दिलाते थे कि ये सब उनके अपने हैं। गुलाब सिंह किरार को हम कैसे भूल जाएं जो अपने बेटे के संग व्यापमकांड में आरोपी हैं। मध्य प्रदेश के पिछड़ा आयोग के सर्वेसर्वा थे। मुख्यमंत्री शिवराज चौहान के संग वो किरार सम्मेलन में आते थे। अब बताइये कैसे कोई यकीन न करे कि मुख्यमंत्री का सम्मान गुलाब सिंह किरार से जुड़ा था इसलिये तो वो बचा हुआ था?  

जिस सुधीर शर्मा को पार्टी के अदने से लेकर आला तक गले लगाते थे, उसको राज्य का पूरा सिस्टम अब भी अपना मानता है। सुधीर शर्मा का सम्मान कम न हो जाए इसलिये शायद राज्य की बीजेपी ने उन्हें अब तक पार्टी से निकाला नहीं। तो फिर किस सम्मान और किस स्वाभिमान की बात करते हैं, राज्य के मुख्यमंत्री ?

नम्रता डामोर की मौत को राज्य की पुलिस सामान्य मौत बताती रही, ऐसा क्या बदल गया रातों रात कि सीबीआई आई तो उसने दफा 302 में ये केस दर्ज कर लिया? सत्ताधारियों को अब राज्य के सम्मान का ख्याल क्यों नहीं आया?

आप कोई भी प्रेस कॉन्फ्रेंस उठाकर देख लीजिए समझ आ जाएगा कि कैसे मुख्यमंत्री शिवराज खुद के वजूद से आगे बढ़ते नहीं दिखे व्यापमं केस के दौरान। पहले कहते रहे कांग्रेस भी ऐसा करती रही है ...तो वो हम पर सवाल उठाने वाले कौन हैं? फिर कहते रहे कि वो इंसाफ दिलाना चाहते थे इसलिये केस दर्ज कराए...फिर वो व्हिसिल ब्लोअर हो गए..फिर वो अपनी किरकिरी को राज्य के सम्मान से जोड़ने लगे।  

हमें राज्य के मुख्यमंत्री क्यों नहीं बता रहे कि जिन छात्रों ने लगन से पढ़ाई की, जिनके परचे अच्छे गये और आस थी कि नौकरी जरूरी मिलेगी उनके सम्मान को वापस कौन लाएगा ? कौन बताएगा घर घर जाकर कि बेटा, बेटी तो होशियार थे, लेकिन सिस्टम चालाक था, जिसने उनकी प्रतिभा और सम्मान की हत्या कर दी। अगली बार जब सम्मान और स्वाभिमान की बात हो तो ज़रा सोचियेगा कि यात्राओं के शौकीन मुख्यमंत्री किसकी बात कर रहे हैं।

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