जब घोड़े रथ को अलग दिशा में खींचेंगे तो रथ का टूटना, चालक और सार्थी का गिरना निश्चित है. कुछ ऐसा ही हाल है पंजाब कांग्रेस का. विधानसभा चुनाव की तारीख़ों का ऐलान हो चुका है लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू पहले ऐसे सेनापति हैं जिनके निशाने पर दुश्मन नहीं बल्कि खुद की फ़ौज है. नवजोत सिंह सिद्धू ने आज ट्वीट करके कहा, “एक ऐसी सरकार जो हमारे गुरु को न्याय नहीं दिला सकती, ड्रग्स के धंधे में लिप्त लोगों को सजा नहीं दिला सकती, मैं साफ़ कर देना चाहता हूं कि मैं कोई पद नहीं चाहता. या तो ऐसा सिस्टम रहेगा या फिर नवजोत सिंह सिद्धू.”
दिल्ली में टिकट बंटवारे को लेकर बैठक शुरू हो होने ही वाली थी कि नवजोत सिंह सिद्धू ने दूसरी बार पब्लिक प्लेटफ़ॉर्म पर जाकर पार्टी के भीतर का झगड़ा एक बार फिर से सार्वजनिक कर दिया. इससे पहले भी नवजोत सिंह सिद्धू ने ट्विटर के माध्यम से पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया था.
क्या चाहते हैं सिद्धू?
नवजोत सिंह सिद्धू ने चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ़्रेन्स की और उस प्रेस कॉन्फ़्रेन्स की ख़ास बात यह थी कि सिद्धू के पीछे एक बैनर था जिस पर लिखा हुआ था “पंजाब मॉडल”. आज कल नवजोत सिंह सिद्धू की पूरी राजनीति इसी पंजाब मॉडल के आस पास घूम रही है. इस बात का ज़िक्र मैंने इसलिए किया क्योंकि नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस आलाकमान से इसी पंजाब मॉडल और मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की गारंटी चाहते हैं. नवजोत सिंह सिद्धू चाहते हैं कि उनका यह पंजाब मॉडल कांग्रेस पार्टी का मेनिफेस्टो हो और मैनिफेस्टो को लागू करने की पूरी ताक़त नवजोत सिंह सिद्धू को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करके कांग्रेस आलाकमान उन्हें यह गारंटी दे. अगर ऐसा नहीं किया गया तो नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब विधानसभा चुनाव में प्रचार नहीं करेंगे. वह अपने घर बैठ जाएंगे.
इस सबके बीच में एक दिलचस्प बात यह है कि कल ही कांग्रेस ने मैनिफेस्टो कमेटी की घोषणा की और नवजोत सिंह सिद्धू को मैनिफेस्टो कमेटी में नहीं रखा गया तो ऐसे में आलाकमान का रुख़ भी लगभग साफ़ है कि वह ना तो सिद्धू के पंजाब मॉडल की परवाह कर रहे हैं और न ही चुनाव से पहले मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने के बारे में सोच रहे हैं.
अब कांग्रेस के सामने कई सारे सवाल हैं. पहला, वह विधानसभा चुनाव लड़े या फिर पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को मनाए. दूसरा, 3 महीने पहले बनाए दलित मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को हटाने की बात कहकर लगभग 32 फ़ीसदी दलित वोटों को नाराज़ कर दे.
जब कांग्रेस ने पंजाब में दलित मुख्यमंत्री देने का फ़ैसला किया था, राहुल गांधी समेत पार्टी के तमाम बड़े नेताओं ने यह कहा था कि कांग्रेस एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसने दलित को मुख्यमंत्री बनाया. अब पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि वह कैसे सिद्धू को मनाए? दलित मुख्यमंत्री का संदेश भी रहे, यानी सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे.
दो दिन पहले ही नवजोत सिंह सिद्धू ने ये कहा था कि कांग्रेस आलाकमान नहीं बल्कि पंजाब की जनता मुख्यमंत्री तय करेग. यह वही नवजोत सिंह सिद्धू हैं जिन्हें विधायकों और सांसदों के विरोध के बावजूद भी कांग्रेस आलाकमान ने पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया और आज वही सिद्धू कांग्रेस आलाकमान को सिद्धू का पंजाब मॉडल और मैनिफेस्टो को लागू करने की ताक़त के साथ मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की गारंटी चाहते हैं, लेकिन आलाकमान है कि मानती नहीं.
कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाकर चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाना कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का फ़ैसला था. ऐसे में अगर पंजाब में कांग्रेस की सरकार नहीं बनती है तो पार्टी के भीतर राहुल गांधी के इस फ़ैसले पर सवाल उठेंगे जिसका असर कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनाव पर भी पड़ सकता है. यह तभी संभव होगा जब पार्टी के सेनापति युद्ध के समय दुश्मन पर हमला करेंगे. अगर ऐसे ही सेनापति के निशाने पर अपनी ही फ़ौज रही तो इसके दूरगामी परिणाम नकारात्मक हो सकते हैं.
आदेश रावल वरिष्ठ पत्रकार हैं... आप ट्विटर पर @AadeshRawal पर अपनी प्रतिक्रिया भेज सकते हैं...
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