बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक सरकारी स्कूल के पुस्तकालय का नाम अंग्रेजी में लिखे होने पर बुधवार को गहरी नाराजगी व्यक्त की. कुमार राज्य की राजधानी से लगभग 250 किलोमीटर दूर बांका जिले में थे, जहां वह निकटवर्ती जमुई में एक पुल के निरीक्षण के बाद पहुंचे थे. यह पुल पिछले सप्ताह भारी बारिश की वजह से क्षतिग्रस्त हो गया था.
बांका में, मुख्यमंत्री ने एक नवनिर्मित अस्पताल का उद्घाटन किया और पुनर्निर्मित इनडोर स्टेडियम का निरीक्षण किया. इसके बाद उन्होंने एक हाई स्कूल का दौरा किया.
मुख्यमंत्री हाई स्कूल में बोर्ड पर अंग्रेजी में 'डिजिटल लाइब्रेरी' लिखा देखकर नाराज़ हो गए और वहां मौजूद जिलाधिकारी अंशुल कुमार से कहा, 'यह हिंदी में क्यों नहीं है? हम ब्रिटिश युग में नहीं रह रहे हैं.' उन्होंने कहा कि उन्हें अंग्रेजी से कोई दिक्कत नहीं और जब वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे तो अंग्रेजी भाषा उनकी शिक्षा का माध्यम थी. कुमार ने कहा, 'संसद में मेरे कई भाषण भी इसी भाषा में थे.'
उन्होंने कहा, 'लेकिन, एक समय आया जब मैंने हिंदी के उपयोग को बढ़ावा देने का फैसला किया. इसलिए मैंने अंग्रेजी में अपने हस्ताक्षर करने बंद कर दिए. कृपया इस साइनबोर्ड को जल्द से जल्द बदलवाएं.' जिलाधिकारी ने कुमार को आश्वासन दिया कि आज ही बोर्ड को बदल दिया जाएगा.
मुख्यमंत्री कई बार अंग्रेजी के उपयोग पर सार्वजनिक रूप से नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं. गत फरवरी महीने में, उन्होंने एक कृषि उद्यमी को इसलिए फटकार लगाई थी, क्योंकि उसकी प्रस्तुति में 'बहुत सारे अंग्रेजी शब्द' थे.
एक महीने बाद, बिहार विधान परिषद के भीतर, उन्होंने ‘इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले बोर्ड' पर 'ऑनरेबल' और 'स्पीकिंग टाइम' जैसे शब्द देखकर सभापति देवेश चंद्र ठाकुर से नाराज़गी जताई थी. ठाकुर उनकी ही पार्टी जदयू से हैं. दोनों जिलों के दौरे के दौरान मुख्यमंत्री के साथ उनके अन्य कैबिनेट सहयोगी और शीर्ष सरकारी अधिकारी भी थे.
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