विपक्ष का नेता रहते हुए सुशील कुमार मोदी ने इस घोटाले को उजागर किया था (फाइल फोटो)
- बिहार के वन और पर्यावरण मंत्री सुशील मोदी ने की घोषणा
- तय समयसीमा में जांच कराकर रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपी जाएगी
- सुशील कुमार मोदी ने ही किया था इस मामले को उजागर
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पटना:
बिहार सरकार ने मिट्टी घोटाले की जांच निगरानी विभाग से कराने की घोषणा की हैं. राज्य के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने यह घोषणा की. मोदी के पास वन और पर्यावरण मंत्रालय का प्रभार भी है. मोदी के अनुसार निगरानी विभाग की जांच एक निश्चित समय सीमा के अंदर कराकर उसकी रिपोर्ट पटना हाईकोर्ट में सौंपी जाएगी. हाईकोर्ट ने पिछले हफ़्ते छह हफ़्ते में जांच की रिपोर्ट तलब की थी. गौरतलब है कि इस मामले को विपक्ष का नेता रहते हुए सुशील मोदी ने ही उजागर किया था. दरअसल ये पूरा घोटाला लालू यादव के एक मॉल की मिट्टी को लेकर है, जिसका उपयोग पटना ज़ू में एक सड़क के निर्माण में किया गया. इसके बदले कुछ लोगों को लाखों का भुगतान हुआ.
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हालांकि विभागीय जांच में पूरे मामले में मोदी के अनुसार लीपापोती की गई, लेकिन जब विभाग का कार्यभार संभालने के बाद सुशील मोदी ने इस पूरे मामले की समीक्षा की तब कई ख़ामियां पाई गईं. जो काम टेंडर से होना था वह कुछ फ़र्म से कोटेशन लेकर किया गया. कोटेशन प्रक्रिया में भी धांधली के आरोप थे. 100-100 रुपए के अंतर पर लोगों ने कोटेशन दिया था. जहां काम कराया गया मतलब सड़क का निर्माण कराया गया वहां उसकी ज़रूरत नहीं थी.
वीडियो: आईआरसीटीसी घोटाला मामले में लालू पहुंचे सीबीआई मुख्यालय
विभाग के अधिकारी भी मानते हैं कि महागठबंधन की सरकार रहने के कारण जांच लालू यादव के प्रभाव में हुई थी और मुख्य मंत्री नीतीश कुमार ने कुर्सी के लिए अपनी आंखे बंद कर ली थीं. अगर जांच सख़्ती से होता तो उस समय भी ये सभी तथ्य सामने आ जाते. फ़िलहाल निगरानी विभाग की जांच के बाद इसके दायरे में पूर्व वन मंत्री तेजप्रताप यादव भी आ सकते हैं.
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हालांकि विभागीय जांच में पूरे मामले में मोदी के अनुसार लीपापोती की गई, लेकिन जब विभाग का कार्यभार संभालने के बाद सुशील मोदी ने इस पूरे मामले की समीक्षा की तब कई ख़ामियां पाई गईं. जो काम टेंडर से होना था वह कुछ फ़र्म से कोटेशन लेकर किया गया. कोटेशन प्रक्रिया में भी धांधली के आरोप थे. 100-100 रुपए के अंतर पर लोगों ने कोटेशन दिया था. जहां काम कराया गया मतलब सड़क का निर्माण कराया गया वहां उसकी ज़रूरत नहीं थी.
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विभाग के अधिकारी भी मानते हैं कि महागठबंधन की सरकार रहने के कारण जांच लालू यादव के प्रभाव में हुई थी और मुख्य मंत्री नीतीश कुमार ने कुर्सी के लिए अपनी आंखे बंद कर ली थीं. अगर जांच सख़्ती से होता तो उस समय भी ये सभी तथ्य सामने आ जाते. फ़िलहाल निगरानी विभाग की जांच के बाद इसके दायरे में पूर्व वन मंत्री तेजप्रताप यादव भी आ सकते हैं.
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