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पार्टी का अस्तित्‍व बचाने के लिए था जरूरी... उपेंद्र कुशवाहा ने बेटे को मंत्री बनाए जाने का किया बचाव

उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश को बिहार सरकार में मंत्री बनाए जाने को लेकर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली है और कई लोग परिवारवाद का आरोप लगा रहे हैं. हालांकि कुशवाहा ने इस मामले में कहा कि पार्टी का अस्तित्‍व और भविष्‍य बचाने के लिए यह कदम जरूरी था. 

पार्टी का अस्तित्‍व बचाने के लिए था जरूरी... उपेंद्र कुशवाहा ने बेटे को मंत्री बनाए जाने का किया बचाव
  • बिहार की नई सरकार में उपेंद्र कुशवाहा के पुत्र दीपक प्रकाश को मंत्री पद पर नियुक्त किया गया है.
  • दीपक प्रकाश न विधानसभा और न ही विधान परिषद के सदस्य हैं. ऐसे में इसे लेकर काफी आलोचना हो रही है.
  • उपेंद्र कुशवाहा ने इस निर्णय को पार्टी के अस्तित्व और भविष्य को बचाने के लिए आवश्यक और अपरिहार्य बताया है.
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नई दिल्‍ली :

बिहार की नई सरकार में राष्‍ट्रीय लोक मोर्चा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश को मंत्री बनाया गया है. हालांकि उनके इस फैसले के बाद कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. दीपक प्रकाश न बिहार विधानसभा और न ही बिहार विधान परिषद के सदस्‍य हैं, ऐसे में उन्‍हें मंत्री बनाए जाने को लेकर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली है और कई लोग इसे लेकर परिवारवाद का आरोप लगा रहे हैं. हालांकि अब उपेंद्र कुशवाहा ने इस मामले में कहा कि पार्टी का अस्तित्‍व और भविष्‍य बचाने के लिए यह कदम जरूरी था. 

उपेंद्र कुशवाहा ने एक एक्‍स पोस्‍ट के माध्‍यम से अपनी बात रखी है. उन्‍होंने कहा,  "अगर आपने हमारे निर्णय को परिवारवाद की श्रेणी में रखा है तो जरा समझिए मेरी विवशता को. पार्टी के अस्तित्व व भविष्य को बचाने व बनाए रखने के लिए मेरा यह कदम जरूरी ही नहीं अपरिहार्य था. मैं तमाम कारणों का सार्वजनिक विश्लेषण नहीं कर सकता, लेकिन आप सभी जानते हैं कि पूर्व में पार्टी के विलय जैसा भी अलोकप्रिय और एक तरह से लगभग आत्मघाती निर्णय लेना पड़ा था, जिसकी तीखी आलोचना बिहार भर में हुई. उस वक्त भी बड़े संघर्ष के बाद आप सभी के आशीर्वाद से पार्टी ने सांसद, विधायक सब बनाए. लोग जीते और निकल लिए.  झोली खाली की खाली रही. शून्‍य पर पहुंच गए. पुनः ऐसी स्थिति न आए, सोचना जरूरी था."

पार्टी को बनाए और बचाए रखने की जिद्द: कुशवाहा

साथ ही उन्‍होंने कहा कि इतिहास की घटनाओं से मैंने सबक लिया है. समुद्र मंथन से अमृत और जहर दोनों निकलता है. कुछ लोगों को तो जहर पीना ही पड़ता है. वर्तमान के निर्णय से परिवारवाद का आरोप मेरे ऊपर लगेगा. यह जानते और समझते हुए भी निर्णय लेना पड़ा, जो मेरे लिए जहर पीने के बराबर था. फिर भी मैंने ऐसा निर्णय लिया. उन्‍होंने कहा कि मैंने पार्टी को बनाए और बचाए रखने की जिद्द को प्राथमिकता दी. अपनी लोकप्रियता को कई बार जोखिम में डाले बिना कड़ा और बड़ा निर्णय लेना संभव नहीं होता है. 

उसे खुद को साबित करने का वक्त दीजिए: कुशवाहा 

साथ ही उन्‍होंने दीपक प्रकाश को वक्‍त देने की अपील की और कहा कि वह कक्षा में फेल विद्यार्थी नहीं है. मेहनत से पढ़ाई करके कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की डिग्री ली है और पूर्वजों से संस्कार पाए हैं. उन्‍होंने कहा कि थोड़ा  इंतजार कीजिए और उसे अपने को साबित करने का थोड़ा वक्त दीजिए, वह करके दिखाएगा. आपकी उम्मीदों और भरोसे पर खरा उतरेगा.
 

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