 
                                            बिहार की राजनीति के इतिहास में कुछ नाम ऐसे दर्ज हैं, जो भले ही अल्पकालिक रहे हों, लेकिन उन्होंने सामाजिक बदलाव की एक मजबूत नींव रखी. ऐसा ही एक नाम है सतीश प्रसाद सिंह, जो मात्र पांच दिनों के लिए बिहार के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन पिछड़े समाज को राजनीति की मुख्यधारा में लाने वाले पहले पिछड़े मुख्यमंत्री बनकर इतिहास रच दिया. आज उनकी इसी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए उनके पुत्र सुशील कुशवाहा ने राजनीति में कदम रखा है और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने उन्हें चेरियाबरियारपुर विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है.
पिता के आदर्शों की राह पर सुशील कुशवाहा
सतीश प्रसाद सिंह ने 28 जनवरी 1968 को एक यादव परिवार से होते हुए, बिहार के पहले पिछड़े वर्ग के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. उनका कार्यकाल 1 फरवरी 1968 तक चला, लेकिन इन पांच दिनों ने बिहार की सामाजिक न्याय की यात्रा में एक ऐतिहासिक दस्तक दी. सुशील कुशवाहा अपने पिता को 'पिछड़ों के मसीहा' और एक ऐसे राजनीतिक सितारे के रूप में देखते हैं, जिसने हाशिए पर खड़े समाज को राजनीतिक बागडोर थामना सिखाया.

सुशील कुशवाहा ने कहा कि उनके पिता की सोच हमेशा समाजवादी रही और वह चाहते थे कि उनका बेटा मेहनत के दम पर राजनीति में आगे बढ़े. उन्होंने कहा कि उनके पिता की यही सोच उनकी असली पूंजी है और वह बिना किसी टिकट की पैरवी किए आगे बढ़ रहे हैं.
जीती हुई सीट पर 'बाहरी' का मुद्दा बेअसर
चेरियाबरियारपुर आरजेडी की जीती हुई सीट थी, जहां वर्तमान विधायक का टिकट काटकर पार्टी ने सुशील कुशवाहा पर भरोसा जताया है. टिकट मिलने के बाद से ही सुशील कुशवाहा क्षेत्र में लगातार प्रचार कर रहे हैं और जीत के प्रति आश्वस्त हैं.
जब विपक्ष ने उन्हें 'बाहरी' उम्मीदवार होने का मुद्दा बनाया, तो सुशील कुशवाहा ने विरोधियों का धन्यवाद देते हुए कहा कि इसी मुद्दे के कारण उन्हें इस क्षेत्र के लोगों का अपार प्रेम और स्नेह मिल रहा है, जिससे यह मुद्दा खुद ही बेअसर हो गया है.

विकास के एजेंडे में बेरोजगारी और शिक्षा
एक प्रेस वार्ता में सुशील कुशवाहा ने चेरियाबरियारपुर के मुख्य मुद्दों पर बात की. उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में बेरोजगारी, डिग्री कॉलेज और कांवर एक बड़ा मुद्दा है, जिन पर उनकी टीम काम कर रही है.
अपनी जीत को लेकर आश्वस्त सुशील कुशवाहा ने कहा कि जीत के बाद उनका विशेष ध्यान युवाओं पर होगा. उनके एजेंडे में डिग्री कॉलेज, खेल का मैदान, और संस्थानों की स्थापना शामिल है, ताकि युवाओं के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सके.
तेजस्वी यादव में नई उम्मीद
वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर बात करते हुए सुशील कुशवाहा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यों की सराहना की. उन्होंने कहा कि जनता ने नीतीश कुमार को बहुत समय और प्यार दिया है, लेकिन अब जनता तेजस्वी यादव के रूप में एक नई उम्मीद देख रही है.

सुशील कुशवाहा ने कहा, "तेजस्वी यादव के रूप में बिहार के लोगों के लिए नया नेतृत्व है, नई नीयत है और नई नीति है. हम लोग नई उम्मीद के साथ आगे बढ़ रहे हैं ताकि नया जोश और नई उम्मीद के साथ बिहार का और बेहतर निर्माण कर सकें."
राजद पर लगे आरोपों पर बोले?
विपक्ष द्वारा RJD पर 'पिछड़ों को ठगने' के आरोप के संबंध में सुशील कुशवाहा ने कहा कि RJD ने हमेशा पिछड़ों और दलितों के लिए काम किया है, और विपक्ष के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती है, इसलिए वे ऐसे आरोप लगाते हैं. उन्होंने चेरियाबरियारपुर को राजद की धरती बताते हुए कहा कि यहां सुशील कुमार कुछ नहीं है, बल्कि राजद यहां 'वे ऑफ लाइफ' है. यहां की पीढ़ी दर पीढ़ी लालू यादव और 'लालटेन' को याद करती है.

कुल मिलाकर, सुशील कुशवाहा ने अपने पिता की सोच और विरासत को आगे बढ़ाने के लिए राजनीति में कदम रखा है. वह जनता के बीच अपनी पैठ बनाने में लगे हैं. हालांकि, जनता उनके विचारों पर कितना गौर फरमाती है और उन्हें जीत का ताज पहनाती है, इसका फैसला तो मतदान के बाद 14 तारीख को ही होगा.
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