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किसी के सिर पर तो किसी के गले में... बिहार का ऐसा जिला, जहां नागपंचमी पर लगता है सांपों का मेला

Snake Mela : नागपंचमी के अवसर पर, भगत राम कुमार महतो सहित अन्य भक्त माता विषहरी का नाम लेकर विषैले सांपों को मुंह में पकड़कर अद्भुत करतब दिखाते हैं.

किसी के सिर पर तो किसी के गले में... बिहार का ऐसा जिला, जहां नागपंचमी पर लगता है सांपों का मेला
  • बिहार के समस्तीपुर जिले के विभूतिपुर प्रखंड के सिंघिया घाट में नागपंचमी के अवसर पर सांपों का अनोखा मेला लगता है, जो दूर-दूर तक प्रसिद्ध है।
  • मेले की शुरुआत सिंघिया बाजार स्थित मां भगवती मंदिर से पूजा-अर्चना के साथ होती है, इसके बाद लोग सिंघिया घाट पर सांपों के साथ जुटते हैं।
  • भक्त माता विषहरी का नाम लेकर विषैले सांपों को मुंह में पकड़कर करतब दिखाते हैं और पूजा के बाद सांपों को जंगल में छोड़ दिया जाता है।
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समस्तीपुर:

बिहार के समस्तीपुर जिले के विभूतिपुर प्रखंड के सिंघिया घाट में नागपंचमी के अवसर पर एक अनोखा और अद्भुत सांपों का मेला लगता है. इस मेले में बच्चे से लेकर बूढ़े तक सभी लोग सांपों के साथ खेलते हुए नजर आते हैं, जो उनके गले और शरीर में लिपटे रहते हैं. यह मेला अपनी विशेषता के कारण दूर-दूर तक प्रसिद्ध है और लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र होता है.

गले में सांप की माला...

मेले की शुरुआत सिंघिया बाजार स्थित मां भगवती के मंदिर से पूजा-अर्चना कर की जाती है, जिसके बाद लोग सिंघिया घाट पहुंचते हैं. यह मेला नागपंचमी के अवसर पर लगता है, जो हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है. इस मेले में एक किलोमीटर तक लंबी लाइन देखने को मिलती है, जहां हर व्यक्ति के गले में सांप की माला होती है, जो एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है.

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 सांपों को मुंह में पकड़कर करतब दिखाते हैं लोग

नागपंचमी के अवसर पर, भगत राम कुमार महतो सहित अन्य भक्त माता विषहरी का नाम लेकर विषैले सांपों को मुंह में पकड़कर अद्भुत करतब दिखाते हैं. इस दौरान सैकड़ों की संख्या में लोग हाथ में सांप लिए बूढ़ी गंडक नदी के सिंघियाघाट पुल पर पहुंचते हैं और नदी में प्रवेश करने के बाद माता का नाम लेते हुए दर्जनों सांप निकालते हैं. भक्त विषहरी की पूजा करते हैं और उनके नाम का जयकारा लगाते हैं. पूजा के बाद सांपों को जंगल में छोड़ दिया जाता है. यह मेला मिथिला का प्रसिद्ध मेला है और यहां नाग देवता की पूजा की परंपरा सैकड़ों साल से चली आ रही है.

गहवरों में बिषहरा की पूजा होती है. महिलाएं अपने वंश वृद्धि की कामना को लेकर नागदेवता की विशेष पूजा करती हैं. मन्नत पूरी होने पर नाग पंचमी के दिन गहवर में झाप और प्रसाद चढ़ाती है. यहां पूजा करने के लिए समस्तीपुर जिले के अलावा खगड़िया, सहरसा, बेगूसगू राय, मुजफ्फरपुर जिले के भी लोग आते हैं. मंगलवार को सैकड़ों की संख्या में भगत हाथ में सांप लिए बूढ़ी गंडक नदी के सिंघियाघाट पुल घाट पहुंचकर सांप निकाला. साथ ही साथ पूजा भी की. यहां की मान्यता के अनुसार, विषधर माता सभी की इच्छाएं पूरी करती हैं.

मिथिला का यह प्रसिद्ध मेला

स्थानीय लोगों ने बताया कि यह मेला मिथिला का प्रसिद्ध मेला है. यहां नाग देवता की पूजा की सैकड़ों साल से चली आ रही है. यह परंपरा विभूतिपुर में आज भी जीवंत है. यहां मूलत: गहवरों में बिषहरा की पूजा होती है. महिलाएं नागों का वंश बढ़ने की भी कामना करती है. मन्नत पूरी होने पर नाग पंचमी के दिन गहवर में झाप और प्रसाद चढ़ाती है. लोगों का कहना है कि यहां मेले की शुरुआत सौ साल पहले से ही चली आ रही है.

अविनाश रॉय की रिपोर्ट

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