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बिहार चुनाव परिणाम 2025: समस्तीपुर विधानसभा सीट पर जेडीयू की अश्वमेध देवी ने विजय का परचम लहराया

समस्तीपुर में शहरी इलाकों में जलजमाव, बेरोज़गारी और गंदगी के मुद्दे हावी हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्र खेती, सिंचाई और सड़क की बदहाली से परेशान हैं. राजद को परंपरागत यादव-मुस्लिम वोट का लाभ मिलता है, जबकि भाजपा को शहरी और अगड़ी जातियों का समर्थन हासिल रहता है.

बिहार चुनाव परिणाम 2025: समस्तीपुर विधानसभा सीट पर जेडीयू की अश्वमेध देवी ने विजय का परचम लहराया
प्रतीकात्मक फोटो

Samastipur Result 2025: बिहार की समस्तीपुर विधानसभा सीट पर आरजेडी के अख्तरुल इस्लाम शाहीन को हराकर जेडीयू की अश्वमेध देवी ने पिछली हार का बदला लिया.दरअसल, 2020 में शाहीन इस सीट पर जीते थे.अश्वमेध देवी को 95728 वोट मिले और अख्तरुल इस्लाम शाहीन को 81853 वोट मिले.जनसुराज पार्टी के मनोज कुमार सिंह को 4938 वोट मिले. बता दें कि मैथिली अंचल का प्रमुख राजनीतिक केंद्र समस्तीपुर जातीय और विकास आधारित राजनीति का संगम है. यहां यादव, कुर्मी, भूमिहार और मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं. करीब 2.7 लाख मतदाताओं में यादव और मुसलमान मिलकर लगभग 40% हैं, जिससे यह सीट अक्सर राजद और जदयू के बीच मुकाबले का केंद्र रही है. 2020 में भाजपा ने भी यहां मजबूत प्रदर्शन कर त्रिकोणीय मुकाबला बना दिया. शहरी इलाकों में जलजमाव, बेरोज़गारी और गंदगी के मुद्दे हावी हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्र खेती, सिंचाई और सड़क की बदहाली से परेशान हैं. राजद को परंपरागत यादव-मुस्लिम वोट का लाभ मिलता है, जबकि भाजपा को शहरी और अगड़ी जातियों का समर्थन हासिल रहता है. 

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समस्तीपुर विधानसभा सीट का इतिहास

बता दें कि समस्तीपुर विधानसभा एक ऐसा सियासी अखाड़ा है, जहां हर चुनाव में कांटे की टक्कर देखने को मिलती है. समस्तीपुर सीट की पहचान महान समाजवादी नेता जननायक कर्पूरी ठाकुर से जुड़ी है. उन्होंने 1980 से 1985 तक इस सीट का प्रतिनिधित्व किया. 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद के उम्मीदवार मो. अख्तरुल इस्लाम शाहिन ने एक बार फिर यह सीट जीती थी. यह उनकी लगातार तीसरी जीत थी. उन्होंने जदयू की उम्मीदवार अश्वमेध देवी को हराया था, लेकिन जीत का अंतर बहुत कम था. शाहिन 2010 से ही इस सीट पर विधायक थे. 2015 में भी उन्होंने भाजपा की रेणु कुमारी को बड़े अंतर से मात दी थी हालांकि, 2000 से 2010 तक सीट का प्रतिनिधित्व कर्पूरी ठाकुर के पुत्र रामनाथ ठाकुर (जदयू) ने किया था. 1957 में अस्तित्व में आई इस सीट पर अब तक 16 बार चुनाव हुए हैं, जिसमें कांग्रेस ने तीन बार जीत हासिल की, लेकिन असली दबदबा हमेशा समाजवादी पार्टियों का रहा.

सीट का चुनावी गणित

समस्तीपुर विधानसभा का चुनावी गणित जातिगत समीकरणों पर भी निर्भर करता है. इस सीट पर मुस्लिम और यादव वोटरों की संख्या सबसे अधिक है, जो राजद का मुख्य आधार माना जाता है. इसके अलावा, ब्राह्मण और राजपूत मतदाताओं की संख्या भी अच्छी है, जो चुनाव परिणामों को प्रभावित करते हैं.

 समस्तीपुर जिला भौगोलिक रूप से उत्तर में बागमती नदी, पश्चिम में वैशाली और मुजफ्फरपुर, दक्षिण में गंगा और पूर्व में बेगूसराय व खगड़िया से घिरा है. यह पूर्वी मध्य रेलवे का मंडल मुख्यालय है और पटना, कोलकाता, दिल्ली जैसे औद्योगिक शहरों से रेल द्वारा सीधा जुड़ा हुआ है. यहां की मुख्य भाषाएं हिंदी और मैथिली हैं. महान कवि और शिवभक्त विद्यापति ने अपने जीवन का अंतिम समय इसी जिले के विद्यापतिनगर में बिताया.

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