- बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले कई नेताओं ने टिकट न मिलने की नाराजगी में जदयू से इस्तीफा दे दिया है
- बद्री भगत ने अपने 3875 समर्थकों के साथ जदयू के सभी पदों से त्यागपत्र देकर पार्टी छोड़ दी है
- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी नेताओं पर पार्टी को कमजोर करने और साजिश रचने का आरोप लगाया गया है
बिहार में विधानसभा चुनाव को देखते हुए दल बदलने की राजनीति जोरों पर है. टिकट पाने की होड़ में लगे कई नेता एक पार्टी से दूसरी पार्टी में जा रहे हैं और यह सिलसिला बीते कई दिनों से लगातार जारी है. हालांकि इस राजनीति में कुछ नेताओं को सफलता हाथ लगी है, लेकिन कई ऐसे भी नेता हैं जिन्हें दूसरी पार्टियों से भी सिर्फ मायूसी मिली है. इसी क्रम में शुक्रवार को जदयू के प्रदेश सचिव सह जिला बीस सूत्री कमेटी के सदस्य बद्री भगत ने भी अपने भारी समर्थकों के साथ जदयू के सभी पदों से त्यागपत्र देते हुए अपनी नाराजगी जाहिर की है.
3875 कार्यकर्ताओं के साथ छोड़ा जदयू
बद्री भगत ने करीब 3875 जदयू कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी से इस्तीफा दिया है. उन्होंने बताया कि बीते 3 अक्टूबर को पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा पार्टी के वरीय पदाधिकारियों के समक्ष करगहर विधानसभा से टिकट देने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन 11 दिनों के अंदर ही मुख्यमंत्री के आसपास रहने वाले लोगों ने मेरा टिकट काट दिया. उन्होंने कहा कि पार्टी के इस फैसले से कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी है और कुल 3875 कार्यकर्ताओं ने मेरे समर्थन में अपना त्यागपत्र दिया है.
पार्टी को कमजोर करने की चल रही साजिश
बद्री भगत ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी नेताओं पर साजिश रचने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि हम लोग लंबे समय से पार्टी के हित में कार्य करते आ रहे हैं और गांव-गांव जाकर मुख्यमंत्री के कार्यों से लोगों को अवगत कराया है, लेकिन कुछ लोग कार्यकर्ताओं को नजर अंदाज कर पार्टी को कमजोर करने में लगे हुए हैं.
पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक एवं जिलाध्यक्ष दे चुके हैं इस्तीफा
बता दें कि पूर्व में हीं जिले के दो विधानसभा क्षेत्र से टिकट की होड़ में लगे पूर्व मंत्री जयकुमार सिंह, पूर्व विधायक अशोक सिंह कुशवाहा सहित जिलाध्यक्ष अजय सिंह कुशवाहा ने भी पार्टी पद से इस्तीफा दे दिया है. चुनाव से ठीक पहले एनडीए में सीट बंटवारे एवं टिकट कटने से नाराज चल रहे नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के इस्तीफे से जिले के कई विधानसभा सीटों पर पार्टी को नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है. हालांकि एनडीए के शीर्ष नेताओं के चुनावी सभाओं के बाद नाराजगी दूर होने की संभावना भी बनी हुई है, लेकिन देखना दिलचस्प होगा कि पिछले विधानसभा चुनाव में जिले के सभी विधानसभा सीट गंवाने वाली एनडीए इस बार कितनी सीट हासिल करती है.
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