
बिहार के गंगा नदी के किनारे बने जैविक कॉरिडोर ने जैविक खेती को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने का काम है. राज्य के 13 जिलों में फैले इस कॉरिडोर में हजारों एकड़ जमीन पर जैविक खेती हो रही है, जो न केवल पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रही है, बल्कि मिट्टी के स्वास्थ्य और जैव विविधता को भी बढ़ावा दे रही है. यह पहल अब राष्ट्रीय स्तर पर एक मिसाल बन चुकी है.
जैविक कॉरिडोर: गंगा और पर्यावरण का संरक्षण
सरकार ने 2020 में गंगा नदी के किनारे जैविक कॉरिडोर योजना शुरू की थी. इस योजना का मकसद जैविक खेती को बढ़ावा देना, गंगा की जैव विविधता का संरक्षण करना और रासायन से होने वाले नुकसान को कम करना है. इस कॉरिडोर में खेतों से गंगा में पहुंचने वाले हानिकारक रासायनिक तत्वों की मात्रा में कमी आई है, जिससे नदी का पारिस्थितिक तंत्र भी सुरक्षित हो रहा है.
गंगा किनारे 13 जिलों में बने जैविक कॉरिडोर में हो रही जैविक खेती
जैविक कॉरिडोर योजना से राज्य के हजारों एकड़ में हो रही है जैविक खेती
जैविक कॉरिडोर से गंगा नदी की जैव विविधता का भी हो रहा संरक्षण
यह योजना मिट्टी के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में योगदान दे रही
20,000 से अधिक किसानों की भागीदारी
इस योजना से 20,000 से ज्यादा किसान जुड़े हैं, जो 19,594 एकड़ से अधिक जमीन पर जैविक खेती कर रहे हैं. किसान जहरीले रसायनों से मुक्त फसलें और अन्य कृषि उत्पाद उगा रहे हैं, जिससे न केवल उनकी आय बढ़ रही है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी फायदे का सौदा साबित हो रहा है. सरकार किसानों को प्रोत्साहन के लिए पहले वर्ष में 11,500 रुपये प्रति एकड़ और दूसरे-तीसरे वर्ष में 6,500 रुपये प्रति एकड़ अनुदान प्रदान कर रही है.
योजना की सफलता और विस्तार
साल 2020-21 में शुरू हुई यह योजना मूल रूप से 2022-23 तक के लिए थी, मगर इसकी इसकी सफलता को देखते हुए इसे 2025 तक बढ़ा दिया गया है. जैविक खेती को क्लस्टर बेस्ड मॉडल के तहत बढ़ावा दिया जा रहा है, जो मिट्टी की गुणवत्ता, कृषि पारिस्थितिकी प्रणाली के प्रबंधन और हानिकारक पदार्थों के उपयोग को कम करने में मदद कर रहा है. यह मॉडल पर्यावरण के अनुकूल खेती का प्रमुख उदाहरण बन गया है.
इन जिलों में फैला है कॉरिडोर
गंगा नदी के किनारे बक्सर, भोजपुर, पटना, नालंदा, वैशाली, सारण, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, लखीसराय, भागलपुर, मुंगेर और कटिहार जिले इस जैविक कॉरिडोर का हिस्सा हैं. इन जिलों में जैविक खेती के जरिए न सिर्फ किसानों की आजीविका बेहतर हो रही है, बल्कि गंगा की सेहत भी सुधर रही है. बिहार का यह जैविक कॉरिडोर मॉडल पर्यावरण के अनुकूल कृषि और सतत विकास का जरिया बन रहा है.
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