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अब गया में कर पाएंगे पूर्वजों का ऑनलाइन पिंडदान, बिहार सरकार ने शुरू की नई सेवा

सरकार का दावा है कि यह सुविधा उन श्रद्धालुओं के लिए बड़ी राहत है, जो स्वास्थ्य, समय, दूरी या अन्य कारणों से गया नहीं आ सकते. सहकारिता मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि पंडा समाज की भावनाओं का सम्मान होगा.

अब गया में कर पाएंगे पूर्वजों का ऑनलाइन पिंडदान, बिहार सरकार ने शुरू की नई सेवा
  • बिहार सरकार के पर्यटन विभाग ने गया में श्रद्धालुओं के लिए नई ऑनलाइन ई-पिंडदान सेवा शुरू की है.
  • पंडा समाज और धार्मिक संगठन ऑनलाइन पिंडदान सेवा को शास्त्रों के खिलाफ मानते हुए विरोध कर रहे हैं.
  • पंडा पुरोहित दीपू भैया ने कहा है कि गया की धरती पर बिना कदम रखे पितरों की मुक्ति संभव नहीं होती है.
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हिंदी तिथि के मुताबिक आश्विन मास के कृष्ण पक्ष से गया जी की पवित्र भूमि पर पितृपक्ष मेला को लेकर प्रशासनिक तैयारी लगभग पूरी कर ली गई है. इसी बीच बिहार सरकार के पर्यटन विभाग (BSTDC) ने पितृपक्ष (6–21 सितंबर 2025) के स्वागत में एक नई ई-पिंडदान सेवा शुरू की है. इसके तहत श्रद्धालु ₹23,000 की राशि देकर ऑनलाइन पिंडदान करवा सकते हैं. यह पैकेज पूजा सामग्री, पुरोहित, दक्षिणा सहित नहीं-अग्नाशन अनुष्ठान करना और वीडियो रिकॉर्डिंग के रूप में प्राप्त करना शामिल है. हालांकि, पंडा समाज और धार्मिक संगठन इसका विरोध कर रहे हैं.

क्यों हो रहा विरोध

गया में पारंपरिक “पंडा समाज ने इस योजना का तीव्र विरोध किया है. उनका तर्क है कि शास्त्रों के अनुसार पिंडदान पुत्र या पुरुष वंशज द्वारा ही सीधे करना चाहिए. किसी और द्वारा, विशेषकर ऑनलाइन माध्यम से यह संस्कार करवाना धार्मिक मर्यादा का उल्लंघन है. पंडा समाज इस योजना को “धर्म का व्यावसायीकरण” बताते हुए सरकार से इसकी वापसी की मांग कर रहा है.

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नारायण शब्द सेवा आश्रम के संस्थापक पंडा दीपू भैया ने तो यहां तक कह डाला कि जिस तरह बिना पति एवं पत्नी के समागम के बालक उत्पन्न नहीं हो सकता है, ठीक उसी तरह गया जी की धरती पर बिना कदम रखे पूर्वजों की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त नहीं हो सकता है. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि वायु पुराण सहित अन्य ग्रंथों के मुताबिक यह प्रमाण दिया गया है कि भगवान रामचंद्र ने भी गया जी के फल्गु तट पर अपने पिता राजा दशरथ का पिंडदान किया था. महाभारत में भी कौरवों की हुई अकाल मृत्यु का पिंडदान गया की मोक्ष भूमि पर किए जाने की बातें हैं. पंडा पुरोहित दीपू भैया ने कहा कि गया कि धरती पर पग-पग कदम रखते ही पितरों की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होने लगता है. उन्होंने ऑनलाइन पिंडदान की घोर निंदा की. 

सरकारी रुख और तर्क

सरकार का दावा है कि यह सुविधा उन श्रद्धालुओं के लिए बड़ी राहत है, जो स्वास्थ्य, समय, दूरी या अन्य कारणों से गया नहीं आ सकते. सहकारिता मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि पंडा समाज की भावनाओं का सम्मान होगा और इस मुद्दे की समीक्षा की जाएगी. साथ सरकार के फैसले को वापस लेने पर विचार करने के लिए कहा है . पंडा समाज की मांग के पक्ष में मंत्री श्रवण कुमार भी दिखे.

नुक़सान नहीं होगा : राजू सिंह, पर्यटन मंत्री

गया में पितृपक्ष मेला में पर्यटन विभाग द्वारा ऑनलाइन पिंडदान सेवा पर पर्यटन मंत्री राजू सिंह ने बताया कि यह सेवा पहले भी चलती आ रही थी, लेकिन इसका प्रचार-प्रसार नहीं होता था. इस बार इसका प्रचार हो रहा है, लेकिन इस सेवा से पंडा समाज का कोई नुकसान नहीं होगा. ऑनलाइन सेवा से भी पंडा समाज के ही पास राशि आएगी. इसलिए उन्हें घबराने की कोई जरूरत नहीं है. यह सेवा उनके हित में है.
 

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