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वर्ल्ड बैंक के लोन से बिहार में महिलाओं को दिए गए 14,000 करोड़, JSP के इस आरोप का सच

चुनाव में मिली बड़ी जीत के बाद बिहार में नीतीश कुमार की अध्यक्षता में बनने वाली नयी सरकार आने वाले समय में इस योजना के तहत आर्थिक मदद की राशि बढ़ा सकती है.

वर्ल्ड बैंक के लोन से बिहार में महिलाओं को दिए गए 14,000 करोड़, JSP के इस आरोप का सच
नीतीश कुमार सरकार पर जन सुराज पार्टी ने लगाया बड़ा आरोप
  • जन सुराज के प्रवक्ता पवन वर्मा ने केंद्र सरकार पर विश्व बैंक फंड का चुनाव में दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है
  • ग्रामीण विकास विभाग ने स्पष्ट किया है कि इस योजना की फंडिंग बिहार सरकार अपने वित्तीय संसाधनों से कर रही है
  • अर्थशास्त्री डॉ. अरुण कुमार के अनुसार योजना में 10 हजार रुपये से अधिक सहायता के लिए बाहरी फंडिंग आवश्यक होगी
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नई दिल्ली:

बिहार चुनाव के नतीजों के सामने आने के बाद राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज़ हो रहा है. रविवार को प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज के प्रवक्ता पवन वर्मा ने आरोप लगाया कि विश्व बैंक से मिले फंड का केंद्र सरकार ने बिहार विधानसभा चुनावों में इस्तेमाल किया है. पवन वर्मा ने दावा किया है कि चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार सरकार ने ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना' के तहत 1.25 करोड़ महिलाओं के खातों में ₹10,000 ट्रांसफर किए. उनका आरोप है कि यह राशि ₹21,000 करोड़ के उस फंड से ली गई थी जो विश्व बैंक ने किसी अन्य परियोजना के लिए दिया था.

लेकिन नीतीश सरकार के ग्रामीण विकास विभाग ने "मुख्यमंत्री महिला रोज़गार योजना" को नीतीश कैबिनेट की मंज़ूरी के बाद 02 सितम्बर, 2025 को एक नोट रिलीज़ कर स्पष्ट किया था कि इसकी फंडिंग बिहार सरकार अपने वित्तीय संसाधनों की मदद से करेगी। इस सरकारी नोट के मुताबिक मुख्यमंत्री महिला रोज़गार योजना" हेतु वित्तीय वर्ष 2025-26 में ग्रामीण विकास विभाग की मांग संख्या 42 के अन्तर्गत बिहार आकस्मिता निधि की अधिसीमा में वृद्धि होने की स्थिति में 20,000 करोड़ रुपये की राशि की अधिसीमा तक बिहार आकस्मिता निधि से अग्रिम एवं वित्त विभाग द्वारा आवश्यकता अनुसार  राशि जारी करने की स्वीकृति दी गयी है.

जेएनयू में अर्थशास्त्री रहे डॉ. अरुण कुमार ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि "मुख्यमंत्री महिला रोज़गार योजना" को मंज़ूरी देने के बाद जारी कैबिनेट नोट से लगता है कि सहायता राशि की पहली किश्त महिला लाभार्थियों को बिहार सरकार ने अपने वित्तीय संसाधनों से ही जारी की है.अर्थशास्त्री डॉ. अरुण कुमार के मुताबिक, "मुख्यमंत्री महिला रोज़गार योजना" के तहत वित्तीय मदद की सहायता रकम अगर 10,000 रुपये से ज़्यादा बढ़ायी जाती है तो बिहार सरकार को एक्सटर्नल फंडिंग की ज़रुरत पड़ेगी.

डॉ. अरुण कुमार ने एनडीटीवी से कहा कि मुख्यमंत्री महिला रोज़गार योजना में ये प्रावधान है कि इसके तहत आर्थिक सहयोग की राशि प्रति महिला लाभार्थी 10,000 रुपये की पहली किश्त से बढ़ाकर 2 लाख रुपये तक की जा सकती है. ऐसे में बिहार सरकार अगर महिला लाभार्थियों को आर्थिक मदद की राशि आने वाले समय में और बढ़ाने का फैसला करती है तो उसे बाहर से फंड्स का जुगाड़ करना होगा। वर्ल्ड बैंक से ग्रांट भी एक विकल्प हो सकता है. इसके लिए केंद्र सरकार की मंज़ूरी ज़रूरी होगी".

इस योजना का क्रियान्वयन ग्रामीण विकास विभाग, बिहार सरकार द्वारा बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति (जीविका) के माध्यम से शुरू की गयी है. दरअसल, 26 सितम्बर, 2025 को लांच की गयी ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना' बिहार सरकार की एक नयी योजना है, जो राज्य में महिला सशक्तिकरण को मज़बूत करने के लिए महिलाओं के रोजगार को बढ़ावा देने के लिए लांच की गयी है. 

इस महत्वकांशी योजना को लांच करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 सितम्बर, 2025 को कहा था कि आज से ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना' शुरू की जा रही है. इस योजना से अब तक, जैसा मुझे बताया गया, 75 लाख बहनें जुड़ चुकी हैं. अभी एक साथ इन सभी 75 लाख बहनों के बैंक अकाउंट में 10-10 हजार रूपये भेजे गए हैं. सरकारी आकड़ों के मुताबिक, 75 लाख महिला लाभार्थियों को पहली किश्त के तौर पर 10,000 रुपये आवंटित की गयी जिसका कुल बजट 7,500 करोड़ था.

इसके बाद 03 अक्टूबर, 2025 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने "मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना" के तहत 25 लाख महिला लाभार्थियों को ₹10,000 प्रति लाभार्थी की दर से ₹2,500 करोड़ की राशि ट्रांसफर किया। इसके तीन दिन बाद, 06 अक्टूबर, 2025 को नीतीश कुमार ने इस योजना के तहत 21 लाख और महिला लाभार्थियों को ₹10,000 प्रति लाभार्थी की दर से ₹2,100 करोड़ की अतिरिक्त राशि ट्रांसफर किया था.

चुनाव में मिली बड़ी जीत के बाद बिहार में नीतीश कुमार की अध्यक्षता में बनने वाली नयी सरकार आने वाले समय में इस योजना के तहत आर्थिक मदद की राशि बढ़ा सकती है. शनिवार को जेडीयू के वरिष्ठ नेता के सी त्यागी ने एनडीटीवी से कहा कि नीतीश सरकार द्वारा महिलाओं को ₹10,000 की आर्थिक मदद देने की जो योजना है वह महिलाओं के सशक्तिकरण और रोजगार से जुड़ा योजना है. जो ट्रेडिशनल Artisan trade है बिहार में उसके मुताबिक उन्हें सहायता दी जा रही है. चुनाव से पहले जो पहली किस्त सरकार ने महिलाओं के लिए आवंटित की थी वह राशि बढ़कर 2 लाख रुपए तक जाएगी. इससे पलायन भी रुकेगा और रोजगार भी पैदा होगा.

‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना' में ये प्रावधान शामिल है कि इस योजना के तहत आर्थिक सहायता के रूप में प्रत्येक परिवार की एक महिला की अपनी पसंद का रोजगार करने हेतु ₹ 10 हजार रुपए की राशि प्रथम किस्त के रूप में दी जाएगी. महिलाओं द्वारा रोजगार आरंभ करने के उपरांत आकलन कर ₹ 2 लाख रुपए तक की अतिरिक्त वित्तीय सहायता आवश्यकतानुसार दी जाएगी. पिछले कई दशकों से वर्ल्ड बैंक भारत में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को शर्तों के साथ पिछड़े इलाकों के आर्थिक विकास, विकास परियोजनाओं, जैसे बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य, शिक्षा और ग्रामीण विकास के लिए लोन देता रहा है.

पिछले दो महीनों में वर्ल्ड बैंक ने केंद्र और राज्य सरकारों की तीन अहम विकास की योजनाओं के लिए शर्तों के साथ हज़ारों करोड़ रुपये का ग्रांट जारी किया है. 23 अक्टूबर, 2025 को विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशक मंडल ने केरल में 280 मिलियन डॉलर के बजट वाला "केरल स्वास्थ्य प्रणाली सुधार कार्यक्रम" (Kerala Health Systems Improvement Program) को मंज़ूरी दी जिसके तहत 11 मिलियन बुजुर्गों और कमजोर लोगों की जीवन प्रत्याशा (life expectancy) और जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए कदम उठाने का प्रावधान है.

इससे पहले, 3 अक्टूबर, 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 60,000 करोड़ की बजट वाली युवाओं को कौशल प्रदान करने की योजना - पीएम-सेतु (अपग्रेडेड आईटीआई के माध्यम से प्रधानमंत्री कौशल और रोजगार परिवर्तन) को लांच किया था. योजना के कार्यान्वयन के प्रथम चरण में पटना और दरभंगा के आईटीआई पर विशेष ध्यान देने का प्रावधान है। इस योजना की भी co-financing वर्ल्ड बैंक (World Bank) और एशियाई डेवलपमेंट बैंक (Asian Development Bank) कर रहे हैं.

25 सितम्बर, 2025 को भी विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशक मंडल ने भारत में तटीय समुदायों को समर्थन देने के लिए तमिल नाडू और कर्नाटक में 212.64 मिलियन डॉलर की तटीय लचीलापन और अर्थव्यवस्था सुदृढ़ीकरण (Strengthening Coastal Resilience and the Economy (SHORE)) परियोजना को मंज़ूरी दी थी. इसके तहत तमिलनाडु और कर्नाटक राज्यों में 100,000 लोगों के लिए अधिक और विविध रोजगार उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है.

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