बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को शराबबंदी के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए एक ताजा सर्वेक्षण का आह्वान किया.उनकी सरकार ने सात साल से अधिक समय पहले राज्य में शराबबंदी लागू की थी. कुमार ने नशामुक्ति दिवस के अवसर पर आयोजित एक सरकारी समारोह में इस आशय की एक टिप्पणी की . हर साल इस तिथि को नशामुक्ति दिवस मनाया जाता है जिसके तहत सरकारी अधिकारी और अन्य सार्वजनिक हस्तियां नशे के खिलाफ राज्य की लड़ाई को आगे बढ़ाने का संकल्प लेते हैं.
बिहार में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद आसीन रहने वाले कुमार (70) ने अपने शुरुआती अनुभवों को याद किया जिसके कारण उन्हें शराब से नफरत हो गई थी. उन्होंने कहा, ‘‘ जिस स्थान पर मैंने अपना बचपन बिताया था, वह इस बुराई से मुक्त था. जब मैं इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए पटना आया और किराए के जिस मकान में मैं रहता था, वहां पड़ोस में कुछ लोग शराब पीते थे और उपद्रव करते थे.''
उन्होंने अपने राजनीतिक गुरू कर्पूरी ठाकुर के शासन में राज्य में शराबबंदी की अल्पकालिक कोशिश का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘लेकिन सरकार दो साल से अधिक नहीं चली और उसके बाद के शासन द्वारा शराब पर प्रतिबंध हटा दिया गया. कई बडे लोगों के कड़े विरोध के बावजूद, हमने अप्रैल, 2016 में कदम उठाया. 2018 में किए गए एक सर्वेक्षण में इसका सकारात्मक परिणाम दिखा.''
कर्पूरी ठाकुर 1970 के दशक में जनता पार्टी के नेता के रूप में मुख्यमंत्री बने थे. कुमार ने कहा, ‘‘ 2018 में सर्वे कराया गया तो पता चला कि एक करोड़ 64 लाख लोगों ने शराब पीना छोड़ दिया है. वर्ष 2023 के सर्वे से पता चला कि एक करोड़ 82 लाख लोगों ने शराब पीना छोड़ दिया है. सर्वे से यह भी पता चला कि 99 प्रतिशत महिलायें जबकि 92 प्रतिशत पुरुष शराबबंदी के पक्ष में हैं. शराबबंदी को लेकर प्रतिदिन हमारे पास रिपोर्ट आती है. शराबबंदी कानून का उल्लंघन करने के आरोप में बहुत लोग पकड़े गये हैं.''
उन्होंने अधिकारियों से कहा, ‘‘आपलोग ठीक ढंग से एक बार फिर से शराबबंदी का सर्वे कीजिए. हम तो कहेंगे एक-एक घर में जाकर पता कीजिए कि शराबबंदी का क्या प्रभाव है.'' मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हमलोगों ने जाति आधारित गणना कराई जिसमें एक-एक घर जाकर सभी चीजों की जानकारी ली गयी. उसी प्रकार एक-एक घर जाकर शराबबंदी को लेकर ठीक ढंग से आंकलन कीजिए. सर्वे से ये पता चल जाएगा कि कौन-कौन लोग इसके पक्ष में हैं और कौन-कौन इसके खिलाफ . इससे पता चलेगा कि कितने लोग इसके पक्ष में हैं.''
उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में शराबबंदी लागू है लेकिन वहां इस पर अच्छे से काम नहीं होता है. कुमार ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी शराब पीने से होनेवाले दुष्परिणामों को लेकर सर्वे किया था और उसका रिपोर्ट जारी किया था. उनका कहना था कि शराब पीने से कई प्रकार की बीमारियां होती हैं और 27 प्रतिशत सड़क दुर्घटना शराब पीने के कारण होती है.
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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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