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आनंद मोहन के बेटे अंशुमन की दावेदारी पर क्यों भड़के NDA कार्यकर्ता? कहानी 'बिहार के मिनी चित्तौड़गढ़' की

Nabinagar Assembly Seat: बिहार का मिनी चितौड़गढ़ कहलाने वाले नबीनगर विधानसभा में राजपूत जाति की बहुलता है. यहां से 16 बार राजपूत जाति के लोगों ने चुनाव जीता है. प्रदेश के पहले उपमुख्यमंत्री और वित्तमंत्री अनुग्रह नारायण सिन्हा भी यही से चुनाव जीते थे.

आनंद मोहन के बेटे अंशुमन की दावेदारी पर क्यों भड़के NDA कार्यकर्ता? कहानी 'बिहार के मिनी चित्तौड़गढ़' की
सीएम नीतीश कुमार के साथ आनंद मोहन और उनके छोटे बेटे अंशुमन आनंद.
  • बिहार के नबीनगर विधानसभा क्षेत्र में राजपूत जाति की बहुलता है, यहां से 16 बार राजपूत विधायक बने हैं.
  • अभी यहां से RJD के विजय सिंह विधायक हैं. लेकिन इस बार यहां NDA से आनंद मोहन के बेटे अंशुमन की दावेदारी है.
  • स्थानीय एनडीए कार्यकर्ता बाहरी उम्मीदवार के खिलाफ विरोध जता रहे हैं और स्थानीय उम्मीदवार की मांग कर रहे हैं.
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औरंगाबाद (बिहार):

Bihar Assembly Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर प्रदेश का सियासी माहौल पूरे परवान पर है. राज्य की हर एक सीट को लेकर दोनों गठबंधनों में माथापच्ची जारी है. इस बीच राज्य के कुछ बाहुबली नेताओं की राजनीतिक महत्वकांक्षा भी देखने को मिल रही है. बिहार के औरंगाबाद जिले का नबीनगर विधानसभा सीट से भी कुछ ऐसी ही कहानी सामने आई है. बिहार का मिनी चित्तौड़गढ़ कहलाने वाले नबीनगर विधानसभा में राजपूत जाति की बहुलता है. यहां से 16 बार राजपूत जाति के लोगों ने चुनाव जीता है. प्रदेश के पहले उपमुख्यमंत्री और वित्तमंत्री अनुग्रह नारायण सिन्हा भी यही से चुनाव जीते थे.

अभी RJD से डब्लू सिंह विधायक, अंशुमन की दावेदारी से चर्चा तेज

वर्तमान में यह विधानसभा काराकाट लोकसभा में आता है, यहां से इस समय RJD के विजय कुमार सिंह उर्फ डब्लू सिंह विधायक हैं. लेकिन बीते कुछ दिनों से यह सीट पूर्व बाहुबली आनंद मोहन को लेकर चर्चाओं के केंद्र में है. दरअसल चर्चा है कि बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन के छोटे बेटे अंशुमन आनंद इस बार नबीनगर विधानसभा सीट से एनडीए के उम्मीदवार हो सकते हैं.

मालूम हो कि आनंद मोहन का पूरा परिवार इस समय एनडीए के साथ हैं. पत्नी लवली आनंद शिवहर से जदयू की सांसद हैं. बड़ा बेटा चेतन आनंद शिवहर विधायक हैं. अब उनके छोटे बेटे के भी नबीनगर सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अंशुमन आनंद.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अंशुमन आनंद.

अंशुमन की दावेदारी की चर्चा पर NDA कार्यकर्ताओं में रोष

लेकिन नबीनगर से किसी बाहरी उम्मीदवार को लेकर इस विधानसभा के एनडीए कार्यकर्ताओं में रोष हैं. स्थानीय एनडीए कार्यकर्ता शैलेश सिंह, बबलू सिंह, बसंत गुप्ता, अनीश राज मोनू, धर्मेन्द्र सिंह और सत्येन्द्र प्रसाद सहित अन्य का कहना है कि अगर नबीनगर विधानसभा से बाहरी कोई भी नेता को एनडीए टिकट देगी तो हमलोग बर्दाश्त नहीं करेंगे.

'लवली आनंद के समय हम लोग देख चुके हैं, बाहरी उम्मीदवार नहीं चलेगा'

लोगों ने यह भी कहा कि हमलोग NDA के वोटर होते हुए भी महागठबंधन के लोकल उम्मीदवार को भी वोट कर सकते हैं, क्योंकि इस विधानसभा ने 30 वर्ष पूर्व बाहरी उम्मीदवार और आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद को विधायक बनाकर देख ली है. जीतने के बाद विधायक से मिलने के लिए पटना और शिवहर जाना पड़ता था. जनता अपने विधायक से मिल नहीं पाती थी.

लोगों का कहना है कि पार्टी को सोच-समझ कर लोकल उम्मीदवार का चयन करना चाहिए ताकि एनडीए का वोटर अपना उम्मीदवार को वोट कर सकें.

पहले नबीनगर में कांग्रेस का था दबदबा

बताते चले कि नबीनगर में अब तक 18 बार चुनाव हो चुका है. जिनमें एक उपचुनाव शामिल है. शुरुआती दशकों में यहां कांग्रेस का वर्चस्व रहा. कांग्रेस ने 8 बार जीत हासिल की. उसके बाद राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने 3, जनता दल (यू) ने 2, और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, जनता पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी तथा बिहार पीपुल्स पार्टी ने एक-एक बार जीत दर्ज की है.

नबीनगर का चुनावी इतिसाह, हाल के चुनावों का

वर्तमान राजनीतिक स्थिति हाल के वर्षों में नबीनगर आरजेडी और जेडीयू के बीच संघर्ष का केंद्र बन गया है. आरजेडी ने 2000, फरवरी 2005 और 2020 में जीत हासिल की, जबकि जेडीयू ने 2010 और 2015 में जीत हासिल की थी. वहीं 2020 में RJD प्रत्याशी विजय कुमार सिंह उर्फ डब्लू सिंह ने JDU प्रत्याशी वीरेन्द्र कुमार सिंह को 20,121 वोटों के अंतर से हराया था.

नबीनगर में NDA की राह मुश्किल, RJD और CPI यहां मजबूत

भले ही भाजपा-नीत एनडीए आज अधिक एकजुट दिखता है, फिर भी नबीनगर में उनकी राह आसान नहीं है. फिलहाल नबीनगर विधानसभा और काराकाट लोकसभा क्षेत्र पर आरजेडी और उसके सहयोगी सीपीआईएम एल का मजबूत नियंत्रण है. 2020 के विधानसभा चुनावों में 2,75,914 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से मात्र 57.98% ने मतदान किया था.

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