- मुजफ्फरपुर जिले में 100 से ज्यादा बच्चों की मौत
- केंद्रीय मंत्री से लेकर राज्य के मंत्री तक दौरे पर
- आईसीयू में एक बेड पर एक से ज्यादा बच्चे भर्ती
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में 100 से ज्यादा बच्चों की मौत की खबर ने देश को झकझोर कर रख दिया है. केंद्रीय मंत्री से लेकर राज्य के मंत्री तक सभी वहां का दौरा कर रहे हैं लेकिन बच्चों की मौत का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. इसी मुद्दे पर एनडीटीवी के पत्रकारों ने मुजफ्फरपुर के सांसद अजय निषाद, लोक जनशक्ति पार्टी के सांसद चिराग पासवान, बिहार के मंत्री सुरेश शर्मा और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से इस सिलसिले में बात की. सबने चिंता जाहिर की लेकिन हकीकत अभी भी यही है कि मुजफ्फरपुर मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा सुविधाओं को लेकर कुछ खास बदलाव नहीं हुए हैं. मुजफ्फरपुर से बीजेपी सांसद अजय निषाद ने कहा कि चमकी बुखार के लिए 4जी जिम्मेदार है. गांव, गर्मी, गरीबी और गंदगी को बीजेपी सांसद ने 4जी बताया और कहा कि अति पिछड़ा समाज के लोग इस बीमारी से ताल्लुक हैं.
मुजफ्फरपुर के सांसद अजय निषाद ने कहा कि बिहार में गर्मी ज्यादा पड़ रही है और मरने वाले अधिकांश बच्चे गरीब तबके से हैं. जब एनडीटीवी के पत्रकार ने उनसे पूछा कि कोई दो काम बता दीजिए जिससे यह पता चले कि इस हालात से निपटने के लिए सरकार ने कुछ किया है तो सांसद अजय निषाद ने कहा कि सरकारी अस्पतालों को तैयार किया जा रहा है और 100 बेड का अलग अस्पताल बनेगा जैसा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है. जब उनसे यह पूछा गया कि यह तो तत्काल में होता नहीं दिख रहा, मौत नहीं रूक रही है, स्वास्थ्य मंत्री प्रेस कांफ्रेंस में क्रिकेट मैच की बात पूछते हैं, ऐसे में कही कोई गंभीरता नहीं दिख रही है. इन सवालों को नकारते हुए सांसद का कहना था कि सभी इस मसले पर गंभीर हैं.
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उधर लोक जनशक्ति पार्टी के सांसद चिराग पासवान ने कहा है कि पक्ष और विपक्ष को ऐसे समय में एक जुट होकर काम करना चाहिए. हालांकि यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी थी लेकिन क्यों नहीं हुआ यह तो सवाल है हीं. जब चिराग से पूछा गया कि 2014 में ही वादा किया गया था कि 100 बेड का अस्पताल बनाया जाएगा लेकिन अभी तक तो कुछ हुआ नहीं. इस सवाल पर चिराग का कहना था कि क्या हुआ क्या नहीं हुआ इस पर अभी जाने का कोई मतलब नहीं है.
बिहार के मंत्री सुरेश शर्मा ने कहा है कि 200 से ज्यादा बच्चे ठीक होकर अस्पताल से वापस घर गए हैं उनका जिक्र भी होना चाहिए. बता दें कि रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्वनी चौबे, बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के साथ सुरेश शर्मा भी प्रेस कांफ्रेंस में उपस्थित थें. इस प्रेस कांफ्रेंस में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्वनी चौबे सोते नजर आए थें तो बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे क्रिकेट अपडेट पूछ रहे थें.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से जब मुजफ्फरपुर की घटना पर सवाल किया गया तो उनका कहना था कि जो भी संसाधन की जरूरत है उसे पूरा किया जा रहा है. हालांकि प्रेस कांफ्रेंस के दौरान बिहार के स्वास्थ्य मंत्री द्वारा क्रिकेट अपडेट पूछे जाने पर जब स्वास्थ्य मंत्री से उसकी गंभीरता को लेकर सवाल किया गया तो वो इसका जवाब देने से बचते नजर आए.
इस बीच 107 बच्चों की मौत के बाद आज पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुजफ्फरपुर मेडिकल कॉलेज का दौरा किया. अस्पताल में मौत का सिलसिला 17 दिन पहले शुरू हुआ था जो अभी भी जारी है. पूरे बिहार में अभी तक 126 बच्चों की मौत हो चुकी है. मुख्यमंत्री के इस रवैये से लोगों में काफी नाराजगी है.
समूचे बिहार में जारी एक्यूट एन्सेफेलाइटिस सिन्ड्रोम (AES) के तांडव में सवा सौ से ज़्यादा, और सिर्फ मुज़फ़्फ़रपुर में 109 बच्चों के काल के गाल में समा जाने के बाद सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को फुर्सत मिली, और मंगलवार को वह मुज़फ़्फ़रपुर के श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (SKMCH) पहुंचे, जहां अब तक 89 बच्चों की मौत हो चुकी है. SKMCH के अलावा मुज़फ़्फ़रपुर के ही केजरीवाल अस्पताल में भी 19 बच्चे इस जानलेवा बीमारी का शिकार हो चुके हैं.
इस बीमारी के सबसे ज़्यादा शिकार मुज़फ़्फ़रपुर में ही देखने को मिल रहे हैं, और मंगलवार सुबह SKMCH के सुपरिंटेंडेंट सुनील कुमार शाही ने जानकारी दी थी कि कुल मिलाकर अस्पताल में 330 बच्चों को एक्यूट एन्सिफेलाइटिस सिन्ड्रोम (AES) के चलते भर्ती करवाया गया, जिनमें से 100 को इलाज के बाद छुट्टी दी जा चुकी है, और 45 बच्चों को मंगलवार को डिस्चार्ज कर दिया जाएगा.
सिर्फ 17 दिन के भीतर एक ही शहर में यह बीमारी सौ से ज़्यादा बच्चों की जान ले चुकी है, और मुख्यमंत्री से पहले राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे भी सोमवार को ही पहली बार मुज़फ़्फ़रपुर पहुंचे थे, जहां उन्होंने मरीज़ों और उनके परिजनों से मुलाकात के अलावा डॉक्टरों से भी बात की.
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डॉ. हर्षवर्धन मुजफ्फरपुर मेडिकल कॉलेज में 2014 में भी गए थे, 2019 में भी गए. 2014 में 20 से 22 जून तक डॉ. हर्षवर्धन मुजफ्फरपुर में ही रहे थे. इस दौरे के बारे में 2014 में डॉ. हर्षवर्धन ने फेसबुक पर विस्तार से लिखा है जो अभी भी मौजूद है. उसके कुछ दिनों बाद वे स्वास्थ्य मंत्री पद से हटा दिए गए और उनकी जगह डॉ. जे पी नड्डा आ गए. सवाल इन पांच सालों में केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने मुज़फ्फरपुर को लेकर ऐसा कुछ भी नहीं किया जो इस समस्या से निपटने में मदद कर सके. उन घोषणाओं पर अभी तक अमल नहीं किया गया जो कई स्तरों की बैठकों के बाद किए गए थे.
2014 में हर्षवर्धन ने कहा था कि 100 फीसदी टीकाकरण होना चाहिए. कोई बच्चा टीकाकरण से नहीं छूटना चाहिए. जल्दी ही यहां 100 बिस्तरों वाला बच्चों का अस्पताल बनाया जाएगा. पांच साल बाद वही डॉ. हर्षवर्धन जब दोबारा स्वास्थ्य मंत्री बने हैं तो वही सब दोहरा रहे हैं जो 2014 में कहा था.
Video: मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत पर बोले चिराग पासवान- हर साल ये समस्या होती है
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