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उत्पादन में वृद्धि के बावजूद बिहारियों की थाली से दूर दूध अंडा और मांस, जानिए आंकड़े

बिहार उपलब्धता के मामले में जरूर पीछे है लेकिन अंडा, मांस और दूध का उत्पादन बढ़ा है. हालांकि राज्य पोषण सुधार में अब भी काफी पीछे है.

उत्पादन में वृद्धि के बावजूद बिहारियों की थाली से दूर दूध अंडा और मांस, जानिए आंकड़े
पटना:

बिहारियों की थाली में अंडा, मांस और दूध काफी कम परोसा जा रहा है. पशुपालन एवं डेयरी विभाग भारत सरकार द्वारा जारी ताजा आंकड़ों से यह पता चला है. भारत में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 485 ग्राम प्रतिदिन है वहीं बिहार में यह सिर्फ 285 ग्राम, प्रतिदिन है. देश में प्रति व्यक्ति अंडे की सालाना उपलब्धता 106 है, वहीं बिहार में यह सिर्फ 29 है. मांस की उपलब्धता में भी बिहार काफी पीछे है. देश में मांस की उपलब्धता साढ़े 7 किलो है, वहीं बिहार में यह सिर्फ सवा 3 किलो है. यह आंकड़े बताते हैं कि पोषण सुधार की दिशा में बिहार अब भी काफी पीछे है.

उत्पादन में हुई है वृद्धि

बिहार उपलब्धता के मामले में जरूर पीछे है लेकिन अंडा, मांस और दूध का उत्पादन बढ़ा है. बिहार में इस साल 13,397,690 टन दूध का उत्पादन हुआ है. दूध के उत्पादन में बिहार ने 4.24 % की वृद्धि दर्ज की, यह राष्ट्रीय औसत 3.58% से अधिक है. अंडा उत्पादन में वार्षिक वृद्धि दर में बिहार पहले स्थान पर है. बिहार की वृद्धि दर 9.99 फीसदी है, वहीं राष्ट्रीय वृद्धि दर 4.44 फीसदी है. मांस के उत्पादन में भी बिहार राष्ट्रीय वृद्धि दर 2.46 फीसदी से आगे 4.03 फीसदी पर है. पशु एवं मत्स्य विभाग की अपर सचिव डॉ एन विजयलक्ष्मी ने बताया कि पशुपालन सेवाओं के विस्तार, नस्ल सुधार कार्यक्रमों एवं विभाग की अन्य योजनाओं के कारण पशु उत्पादों के उत्पादन में वृद्धि दर्ज की गई है.

मछली उत्पादन में वृद्धि हुई लेकिन लाभ मिलना बाकी

बिहार ने बीते कुछ सालों में मछली उत्पादन में भी लगातार बेहतर किया है. पिछले साल 8.73 लाख टन मछली का उत्पादन हुआ था, इस साल यह बढ़कर 9.59 लाख टन हो गया. फिश सीड उत्पादन में भी बिहार ने 44.46% वृद्धि दर्ज की है. हालांकि उत्पादन में वृद्धि के बावजूद राजस्व में 1 फीसदी से भी कम वृद्धि हुई है. हालांकि विभाग की अपर सचिव एन विजयलक्ष्मी बताती हैं कि सरकार का लक्ष्य राजस्व वसूली से ज्यादा रोजगार सृजन पर है. हमारे पास 30 हजार जलकर हैं, इनमें 27 हजार हमने लीज पर दिए हैं. इन जलकर से हम राजस्व वसूलना नहीं बल्कि लोगों को संबल देना है.

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