
- बिहार चुनाव में महागठबंधन के भीतर वैशाली और गौराबौराम सीटों पर आपस में टकरा रहे सहयोगी दल
- महागठबंधन की पार्टियों के बीच कहलगांव और सुल्तानपुर सीटों पर भी उम्मीदवारों के नामांकन को लेकर टकराव कायम
- कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम के खिलाफ आरजेडी ने अपना उम्मीदवार वापस लेकर सुधार की कोशिश की
बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के भीतर सीटों को लेकर हुई जंग खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. 20 अक्टूबर को बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए नाम वापस लेने का आख़िरी दी था . दूसरे चरण के लिए भी नामांकन का काम पूरा हो चुका है और 23 तारीख तक नाम वापस लिया जा सकेगा. पहले चरण में कौन सा उम्मीदवार किस सीट से लड़ेगा, ये अब फाइनल हो चुका है.
वैशाली और गौराबौराम सीटों पर जंग
ऐसे में सीटों के बंटवारे काम बिल्कुल अंत तक निपटाने में लगी महागठबंधन की पार्टियों के बीच कम से कम दो सीटों पर दोस्ताना लड़ाई होगी . इसका मतलब , इन सीटों पर महागठबंधन की दो पार्टियों के उम्मीदवारों ने इन सीटों पर अपना नामांकन भर दिया है . वैशाली और गौराबौराम दो ऐसी ही सीटें हैं . वैशाली सीट से जहां मैदान में राजद और कांग्रेस के उम्मीदवार आमने-सामने हैं वहीं गौराबौराम में मुकेश साहनी के भाई के सामने आरजेडी का उम्मीदवार भी मैदान में है.
पहले इस लिस्ट में लालगंज की सीट भी शामिल थी लेकिन इस सीट से कांग्रेस उम्मीदवार ने अब अपना नाम वापस लिया है. पहले माना जा रहा था कि महागठबंधन के भीतर चल रहे मान मनौवल के चलते सभी सीटों पर आख़िरकार महागठबंधन का एक ही उम्मीदवार मैदान में उतरेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
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कहलगांव और सुल्तानपुर सीटों पर भी टक्कर
इतना ही नहीं , दूसरे चरण के मतदान की दो सीटों के लिए भी महागठबंधन के दो उम्मीदवारों के बीच मुक़ाबला माना जा रहा है . इनमें कहलगांव और सुल्तानपुर जैसी सीटों शामिल हैं . हालांकि इन सीटों पर नाम वापस लेने की आख़िरी तारीख 23 अक्टूबर है और इसलिए गठबंधन के सभी दल इन सीटों पर केवल एक उम्मीदवार उतारने के लिए लागतार बात कर रहे हैं . वैसे गठबंधन के दलों को ये उम्मीद है कि नाम वापस लेने की आखिरी तारीख से पहले बात बन जाएगी और बाक़ी उम्मीदवार नाम वापस लेंगे . कांग्रेस के लिए राहत की बात ये रही कि आरजेडी ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम के खिलाफ अपना उम्मीदवार वापस ले लिए .
आरजेडी की सूची
उधर लंबे इंतज़ार के बाद आख़िरकार आरजेडी ने भी अपनी सूची जारी कर दी है . पार्टी की सूची पर नज़र दौड़ाएं तो कुछ दिलचस्प चीज़ें सामने आती हैं . पार्टी ने अपने क़रीब 50 फ़ीसदी विधायकों के टिकट या तो काट दिए हैं या फिर उनकी सीट बदल दी गई है . पार्टी ने सबसे ज़्यादा टिकट शाहाबाद मगध क्षेत्र में काटे हैं जहां 2020 में पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया था . पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस क्षेत्र के विधायकों के खिलाफ़ लोगों में काफी नाराज़गी है और पार्टी अगर उनको नहीं हटाती तो प्रदर्शन पर काफ़ी बुरा असर पड़ा .
यादव और मुस्लिम उम्मीदवारों पर भरोसा
पार्टी ने यादवों के अलावा कोइरी और मुसलमान समुदाय से आने वाले उम्मीदवारों पर काफ़ी भरोसा जताया है . पार्टी ने कोइरी जाति के 15 उम्मीदवार जबकि मुस्लिम वर्ग के 18 उम्मीदारों को टिकट दिया है . वहीं अपने आधार वोट यानि यादव समाज को भी सूची में अच्छी खासी जगह दी गई है . क़रीब 42 फीसदी यादव उम्मीदवार मैदान भी उतारा गया है .
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