बिहार में बीजेपी और जेडीयू भले ही साथ में सरकार चला रहे हों लेकिन दोनों के बीच दूरियां कई मौकों पर साफ दिख जाती हैं. चाहे केंद्र सरकार में जेडीयू का कोई मंत्री न होने का मामला हो या फिर तीन तलाक बिल का जेडीयू द्वारा विरोध. राज्य के मुजफ्फरपुर में दिमागी बुखार यानी इंसेफलाइटिस से 100 से ज्यादा बच्चों की मौत के मामले में भी कुछ ऐसा ही दिख रहा है. मुजफ्फर में बच्चों की मौत होती रही और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को वहां जाने की फुर्सत करीब हफ्ते भर बाद मिली. इसके लिए मीडिया में उनकी जमकर आलोचना भी हुई. हालांकि बिहार में स्वास्थ्य मंत्रालय का जिम्मा बीजेपी के पास है और पार्टी के नेता मंगल पांडे स्वास्थ्य मंत्री हैं. मंगल पांडे भी मुजफ्फरपुर तब पहुंचे जब स्थिति विकराल रूप ले चुकी थी. इसके लिए उनकी आलोचना भी हुई और उनसे नीतीश की नाराजगी की खबरें भी आईं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के साथ बैठक के दौरान भी वह भारत-पाकिस्तान के मैच का स्कोर पूछते दिखे जिससे मामले को लेकर उनकी गंभीरता पर भी प्रश्नचिन्ह लगा. इन सब बातों के बावजूद 'सुशासन बाबू' यानी नीतीश कुमार की इस मामले में ज्यादा आलोचना होती रही और बीजेपी ने इस मामले में चुप्पी साधे रखी. बीजेपी के जितने भी मंत्री हों, मुजफ्फरपुर प्रकरण पर भले ही उनकी सीधी जिम्मेवारी बनती हो, लेकिन चुप्पी साधकर वो नीतीश कुमार को ही निशाना बनने दे रहे हैं. मालूम होता है कि पार्टी के अंदर एक सोची समझी रणनीति के तहत भाजपा नेता ऐसा कर रहे हैं.
राज्यसभा में ट्रिपल तलाक़ बिल का एनडीए की सहयोगी पार्टी जेडीयू विरोध करेगी. हालांकि वह इस बिल के ख़िलाफ़ वोट करेगी या सदन का वोटिंग के समय बहिष्कार करेगी इस पर पार्टी ने अपना निर्णय सार्वजनिक नहीं किया हैं. लेकिन जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूसरी बार शपथ लिया है, बीजेपी और जेडीयू के बीच रिश्ते सहज नहीं दिख रहे हैं. हालांकि नीतीश कुमार बार-बार सफाई दे रहे हैं कि रिश्ते पूरी तरह से सामान्य हैं, लेकिन यह बात किसी के भी गले से नीचे नहीं उतर रहे हैं और आपस में तनाव से जुड़ीं कई तरह की बातें सामने आ रही हैं. फिलहाल ताजा घटनाक्रम में नीतीश सरकार ने तेजस्वी यादव को बड़ी राहत दी है जिसमें उनके उप मुख्यमंत्री पद पर रहने के दौरान आवंटित बंगले में हुए खर्च की जांच से इनकार करना है. राज्य सरकार के इस फैसले पर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं .लेकिन इन अटकलों के बीच बीते कुछ दिनों में हुए घटनाक्रमों पर भी एक नजर दौड़ाएं तो ऐसा लगता है कि अंदर ही अंदर जरूर कुछ न कुछ चल रहा है.
बिहार में नीतीश सरकार ने दी आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को बड़ी राहत, कयासबाजी शुरू
मोदी का 50 करोड़ की मदद मांगना
मुजफ्फरपुर और गया के दौरे में नीतीश कुमार के साथ उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी साथ में थे. इस दौरान नीतीश के इस घोषणा के बावजूद राज्य सरकार अपने ख़र्चे से 100 बेड के आईसीयू का निर्माण कराएगी, उसके विपरीत सुशील मोदी ने पहले ट्वीट किया और शुक्रवार को केंद्रीय वित्त मंत्री से इसके लिए विधिवत रूप से मदद मांगी. निश्चित रूप से नीतीश कुमार को ये बात गले से नहीं उतर रही होगी कि आख़िर मात्र पचास करोड़ की मदद मांगने की क्या ज़रूरत थी.
अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में गुरुवार को लू से पीड़ित मरीज का हाल जानते माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार एवं माननीय उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी। pic.twitter.com/XNRgCB4hjh
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) June 21, 2019
योग भी नहीं पाया जोड़
'विश्व योग दिवस के अवसर पर BJP नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एक बार फिर सहयोगी या गठबंधन सरकार चलाने के बावजूद सरकारी कार्यक्रम से अपने आप को अलग रखना यह दिखाता है कि अभी तक वो इस मुद्दे पर तन और मनसे साथ नही हैं. हालांकि जनता दल यूनाइटेड के कोटे से नीतीश मंत्रिमंडल में कई मंत्री और पटना के मुख्य कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पहुंचे थे लेकिन उस समारोह की तस्वीरों से साफ़ झलक रहा है की कितने अनमने ढंग से ये लोग एक साथ योगकर रहे हैं.
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर कंकड़बाग स्टेडियम में आयोजित योग कार्यक्रम में। pic.twitter.com/4T7uV4X9bw
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) June 21, 2019
जिम्मेदारी से भाग रहे बीजेपी के मंत्री
इससे पहले मुज़फ़्फ़रपुर प्रकरण पर ही बीजेपी के वरिष्ठ नेता डॉक्टर सीपी ठाकुर ने चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने के लिए पत्र लिखा वो भी नीतीश कुमार के साथ रिश्तों को झलकाता है. डॉक्टर ठाकुर को ये बात अच्छी तरह से मालूम है कि स्वास्थ्य विभाग की खराब हालात पर बिहार में बीजेपी के कोटे से बने मंत्री अपनी ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकते हैं. जैसा कि स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय मुज़फ़्फ़रपुर जाने के बजाय दिल्ली और छपरा में पार्टी के कार्यक्रम को प्राथमिकता दी. उससे नीतीश कुमार के ख़ुश रहने का कोई कारण नहीं बनता. हालाँकि नीतीश कुमार भी मुज़फ़्फ़रपुर जाने से पहले दिल्ली में तीन दिन का प्रवास नीति आयोग की बैठक के बहाने किया ।
पास होकर भी दूर
बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता ये बात मानते हैं कि रिश्ते अगर सामान्य होते तो नीतीश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरी बार शपथ लेने के बाद दो बार दिल्ली गए लेकिनअभी तक औपचारिक रूप से उन्होंने प्रधानमंत्री के साथ कोई मुलाक़ात नहीं की है. हालांकि नीति आयोग की बैठक में और देश में एक साथ चुनाव कराने के इस हफ़्ते की बैठक में दोनों आमने सामने हुए. जानकार मानते हैं कि नीतीश स्वभाव के ज़िद्दी हैं और जब तक केंद्रीय मंत्री मंडल में उनके अनुपातिक प्रतिनिधित्व की मांग को माना नहीं जायेगा तब तक वो ऐसे साथ साथ सरकार चलाते हुए दूरी बनाये रखेंगे.
चमकी बुखार के डर से बच्चों को गांवों से बाहर भेज रहे हैं लोग
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