
- बिहार की राजनीति में अति पिछड़ा वर्ग लगभग 33 से 37 प्रतिशत आबादी के साथ सबसे बड़ा और निर्णायक वोट बैंक है.
- कांग्रेस ने इस वर्ग के लिए विशेष योजनाएं, आरक्षण विस्तार और स्थानीय नेतृत्व को बढ़ावा देने की घोषणा की है.
- राहुल गांधी ने पटना में 10 प्वाइंट विजन डॉक्यूमेंट जारी करते हुए इसे गारंटी बताया और नीतीश सरकार पर आलोचना की.
Caste in Bihar Politics: बिहार की राजनीति हमेशा जातीय समीकरणों के इर्द-गिर्द घूमती रही है. कथित भूरा बाल वाले सवर्ण, यादव, दलित और अल्पसंख्यक वोट बैंक अब तक सत्ता की राजनीति में निर्णायक माने जाते रहे हैं. लेकिन इस पूरे खेल में अति पिछड़ा वर्ग (EBC) यानी Extremely Backward Classes सबसे निर्णायक नजर आ रहा है. संख्या बल के लिहाज से EBC बिहार की राजनीति में सबसे बड़ा वोट बैंक है. लगभग 110 जातियां इस वर्ग में आती हैं. अनुमानित तौर पर बिहार की कुल आबादी का करीब 36-37% हिस्सा अति पिछड़ा वर्ग का है. कहा जाता है कि ईबीसी वर्ग को साधकर नीतीश सत्ता के शीर्ष पर लगातार बने हैं. अब कांग्रेस ने इस वर्ग को साधने के लिए बड़ा दांव खेला है.
कांग्रेस ने EBC के लिए किए कई ऐलान
कांग्रेस ने हाल ही में अति पिछड़ा वर्ग के लिए विशेष योजनाओं, आरक्षण में विस्तार और स्थानीय नेतृत्व को बढ़ावा देने जैसे कई अहम ऐलान किए. पार्टी का मकसद साफ है अब वह केवल अपने पारंपरिक वोट बैंक यानी दलित और अल्पसंख्यक वोट पर निर्भर नहीं रहना चाहती, बल्कि EBC को जोड़कर सत्ता की राह तलाश रही है.
कांग्रेस का नया दांव: 10 प्वाइंट गारंटी
पटना में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान राहुल गांधी ने अति पिछड़ा वर्ग के लिए 10 प्वाइंट वाला विजन डॉक्यूमेंट जारी किया. इस मौके पर उनके साथ तेजस्वी यादव भी मौजूद रहे.

EBC के लिए संकल्प पत्र जारी करते राहुल गांधी.
राहुल बोले- 10 प्वाइंट लागू करेंगे यह हमारी गारंटी
राहुल गांधी ने कहा कि ये जो 10 प्वाइंट है, यह हमने आपके नेताओं और महिलाओं से चर्चा करके तैयार किया है. यह सिर्फ घोषणा नहीं है बल्कि गारंटी है. नीतीश कुमार की सरकार 20 साल से सत्ता में है, उन्होंने यह क्यों नहीं किया? आरक्षण क्यों नहीं बढ़ाया? कॉन्ट्रैक्ट में आरक्षण क्यों नहीं दिया? यह सब बातें केवल आपसे वोट लेने के लिए की गईं. लेकिन हम गारंटी देते हैं कि हम इसे लागू करेंगे क्योंकि हम संविधान मानते हैं और संविधान में लिखा है कि हर नागरिक को प्रगति में भागीदारी मिलनी चाहिए.
तेजस्वी बोले- सरकार इन प्वाइंट की भी कर सकती है नकल
तेजस्वी यादव ने भी इस मौके पर राहुल गांधी का साथ दिया और कहा कि यदि जरूरत हुई तो इस 10 प्वाइंट एजेंडे में और भी सुधार व नए बिंदू जोड़े जाएंगे. उन्होंने भाजपा और नीतीश कुमार पर सीधा हमला बोला और कहा कि आरक्षण चोर लोग सत्ता में बैठे हैं. यह सरकार नकलची है. हमने जो बातें कहीं, वे उसकी नकल कर लेते हैं. हो सकता है हमारे इस विजन डॉक्यूमेंट की भी नकल कर लें.
BJP-JDU की रणनीति: जुमले बनाम काम
कांग्रेस-RJD के इस बड़े ऐलान के बाद NDA खेमे ने भी पलटवार शुरू कर दिया है. BJP और JDU का तर्क है कि कांग्रेस का यह कदम सिर्फ चुनावी जुमला है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने कार्यकाल में अति पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया, शिक्षा और नौकरियों में उनकी भागीदारी सुनिश्चित की और पंचायतों से लेकर विधानसभा तक उन्हें हिस्सेदारी दी. JDU नेताओं का कहना है कि कांग्रेस और राजद ने अपने शासनकाल में EBC के लिए कुछ नहीं किया, और अब चुनाव आते ही उन्हें यह वर्ग याद आ गया.

गिरिराज बोले- यह नेपो किड्स का विजन डॉक्यूमेंट
भाजपा के केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने राहुल गांधी और तेजस्वी यादव पर तंज कसते हुए कहा कि यह नेपो किड्स का विजन डॉक्यूमेंट है. बिहार को गाली देना, देश विरोधी नेताओं को मंच पर बुलाना यही इनका विजन है. प्रधानमंत्री मोदी और नीतीश कुमार ने EBC वर्ग को सत्ता और संगठन दोनों में उचित सम्मान दिया है, जो कांग्रेस 60 साल में नहीं कर पाई.
JDU का पलटवार: यह महज छलावा
JDU के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कांग्रेस और महागठबंधन के इस कदम को सीधा छलावा बताया. उन्होंने कहा कि जहां-जहां कांग्रेस की सरकार है, वहां जाति गणना पूरी हो चुकी है. लेकिन उन्होंने वहां भी इस तरह का कोई विजन डॉक्यूमेंट लागू नहीं किया. कर्पूरी ठाकुर को जननायक कहकर उनका नाम इस्तेमाल करना राजनीति से ज्यादा कुछ नहीं है. कांग्रेस को अति पिछड़ों से माफी मांगनी चाहिए.
जदयू नेताओं का मानना है कि कांग्रेस का यह कदम महागठबंधन के भीतर भी टकराव बढ़ाएगा, क्योंकि अब तक पिछड़ों और अति पिछड़ों की राजनीति पर राजद का दावा रहा है.
कांग्रेस का दांव कितना असरदार? समझे मायने
1. सामाजिक और राजनीतिक संदेश
EBC लंबे समय से मानते रहे हैं कि उनकी संख्या अधिक होने के बावजूद उन्हें सत्ता और नीति-निर्माण में उचित हिस्सेदारी नहीं मिलती. कांग्रेस का यह कदम उन्हें प्रतिनिधित्व और सम्मान का संदेश देगा.
2. वोट बैंक पर असर
बिहार और उत्तर प्रदेश दोनों में EBC निर्णायक भूमिका निभाते हैं. कांग्रेस यदि इस वर्ग को अपने साथ जोड़ने में सफल होती है, तो उसका वोट प्रतिशत बढ़ सकता है. यह सीधे तौर पर भाजपा-जेडीयू गठबंधन और राजद दोनों के लिए चुनौती होगी.
3. महागठबंधन में दबाव
राजद खुद को पिछड़ों का सबसे बड़ा संरक्षक मानता है. ऐसे में कांग्रेस का इस मुद्दे पर आक्रामक होना तेजस्वी यादव के लिए असहज स्थिति पैदा कर सकता है. हालांकि फिलहाल दोनों एक-दूसरे के साथ खड़े दिख रहे हैं.
4. NDA की चुनौती
BJP और JDU को कांग्रेस-RJD के इस कदम की काट निकालनी होगी. यह गठबंधन अब तक पंचायत स्तर से लेकर राज्य स्तर तक EBC नेताओं को आगे लाकर अपनी पकड़ मजबूत करता रहा है. आने वाले दिनों में वे और भी बड़े ऐलान कर सकते हैं.
5. विश्वसनीयता का सवाल
कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती यही है कि क्या EBC वर्ग उसके वादों पर भरोसा करेगा? क्योंकि बिहार में कांग्रेस का जनाधार सीमित रहा है और पिछले कई चुनावों में वह निर्णायक भूमिका में नहीं रही.

आने वाले चुनावों की डिसाइडिंग फैक्टर
कुल मिलाकर, कांग्रेस का यह कदम सिर्फ एक घोषणा नहीं बल्कि रणनीतिक बदलाव का संकेत है. पार्टी अब सामाजिक न्याय की राजनीति को नए सिरे से परिभाषित करने की कोशिश कर रही है.
किंगमेकर साबित होगा अति पिछड़ा वर्ग
आने वाले विधानसभा चुनाव में अति पिछड़ा वर्ग "किंगमेकर" साबित हो सकता है. कांग्रेस का नया "EBC कार्ड" अगर असर दिखाता है, तो यह चुनावी नतीजों का पासा पलट सकता है. लेकिन अगर यह सिर्फ चुनावी घोषणा साबित हुआ, तो कांग्रेस को कोई खास फायदा नहीं मिलेगा.
अति पिछड़ा वर्ग ही केंद्र में
साफ है कि आने वाले महीनों में बिहार की राजनीति का सबसे बड़ा केंद्रबिंदु अति पिछड़ा वर्ग ही होगा. कांग्रेस और महागठबंधन इसे सम्मान और गारंटी का मुद्दा बना रहे हैं, तो वहीं एनडीए इसे अपने काम और विकास के एजेंडे से साधने की कोशिश करेगा.
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