Bihar: जेडीयू लीडर केसी त्‍यागी बोले, 'देश में जनसंख्‍या नियंत्रण जरूरी लेकिन कानून...'

केसी त्‍यागी ने कहा, हमारी राय है कि जनसंख्या जनसंख्या नियंत्रण की समस्या से निपटने के लिए सरकार को कानून बनाकर आगे नहीं बढ़ना चाहिए.

Bihar: जेडीयू लीडर केसी त्‍यागी बोले, 'देश में जनसंख्‍या नियंत्रण जरूरी लेकिन कानून...'

KC Tyagi ने कहा, जनसंख्‍या नियंत्रण की समस्या से निपटने के लिए सरकार को कानून बनाकर आगे नहीं बढ़ना चाहिए

नई दिल्ली:

Bihar: जनता दल यूनाइटेड के प्रमुख नेता केसी त्यागी (KC Tyagi) ने कहा है कि देश में जनसंख्या नियंत्रण जरूरी है लेकिन कानून (Population control law)  बनाकर इस दिशा में आगे बढ़ना सही नहीं होगा. जेडीयू के प्रधान महासचिव त्‍यागी ने यह विचार NDTV के साथ विशेष बातचीत में व्‍यक्‍त किए. बिहार (Bihar) से राज्‍यसभा सांसद  रह चूके त्‍यागी ने कहा कि 2020 में सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने हलफनामा दिया जिसमें कहा गया था कि भारत में जनसंख्या पिछले 100 साल में पहली बार कम हुई है, फर्टिलिटी रेट घटी है और अलग से जबरदस्ती कानून बनाना आवश्यक नहीं है.

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जेडीयू नेता ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण को चुनावों से जोड़ना गलत होगा. उन्‍होंने कहा कि पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने अपनी किताब में कहा है कि लक्षद्वीप, केरल और श्रीनगर संभाग के 100 फ़ीसदी मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में फर्टिलिटी रेट 1.4 फ़ीसदी है जबकि उत्तर प्रदेश में फर्टिलिटी रेट 2.4 फीसदी है. ऐसा प्रचार करना गलत होगा कि मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है. हमारी राय है कि जनसंख्या जनसंख्या नियंत्रण की समस्या से निपटने के लिए सरकार को कानून बनाकर आगे नहीं बढ़ना चाहिए.

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गौरतलब है कि इससे पहले जेडीयू के एक और दिग्‍गज नेता और बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी इस मसले पर बिहार सरकार का रुख साफ कर दिया है. नीतीश ने कहा था कि देश की जनसंख्‍या को केवल कानून बनाकर नियंत्रित नहीं किया जा सकता, इसके लिए और भी उपाय करने होंगे. क्‍या देश में राष्‍ट्रीय स्‍तर पर जनसंख्‍या नियंत्रण कानून की जरूरत आ गई है, इस बारे में पत्रकारों की ओर से पूछे गए सवाल पर नीतीश बाबू ने कहा, 'एक बात हम साफ साफ कह रहे. जो राज्‍य जो करना चाहे करें लेकिन हमारा मानना है कि जनसंख्‍या को केवल कानून बनाकर नियं‍त्रित नहीं किया जा सकता.' उन्‍होंने कहा कि आप चीन को ही देख लीजिए, एक से दो (बच्‍चों की संख्‍या) किया, अब दो के बाद क्‍या हो रहा है. आप किसी भी देश का हाल देख लीजिए. यह सबसे बड़ी चीज है कि महिलाएं पढ़ी-लिखी रहेंगी तो इतनी जागृति आती है कि प्रजनन दर अपने आप कम होती है.'  उन्‍होंने कहा कि मेरा मानना है कि 2040 तक यह वृद्धि नहीं रहेगी. हमारी सोच साफ है कि इसे कैसे कम कर सकते हैं. यह बात सभी समुदायों पर लागू होती हैं. यदि महिलाएं पढ़ी-लिखी रहेंगी तो प्रजनन दर में कमी लाई जा सकती है.