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बिहार के प्रधानमंत्री! चौंकिए मत... तब चुनाव बाद CM नहीं चुने जाते थे, ये मुस्लिम नेता थे पहले PM

PM Elections in Bihar: जी हां, एक दौर ऐसा भी था, जब बिहार के भी प्रधानमंत्री हुआ करते थे. ये पद राज्‍य के मुखिया का ही होता था, लेकिन इसे मुख्‍यमंत्री की बजाय प्रधानमंत्री कहा जाता था. मोहम्‍मद युनूस बिहार के पहले प्रधानमंत्री थे. 

बिहार के प्रधानमंत्री! चौंकिए मत... तब चुनाव बाद CM नहीं चुने जाते थे, ये मुस्लिम नेता थे पहले PM
  • बिहार में आजादी से पहले प्रांतीय सरकार के मुखिया को प्रधानमंत्री कहा जाता था, जो आज के मुख्यमंत्री के समान था.
  • 1937 के प्रांतीय चुनाव में मुस्लिम इंडिपेंडेंट पार्टी के मो. यूनूस बिहार के पहले PM बने और 109 दिन पद पर रहे.
  • श्रीकृष्ण सिंह ने मो यूनूस के बाद बिहार के प्रधानमंत्री और आजादी के बाद पहले मुख्यमंत्री के रूप में काम किया.
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Prime Minister of Bihar: अगर आपसे कहें कि भारत के पहले प्रधानमंत्री का नाम बताइए, तो आप आसानी से इसका जवाब दे देंगे. जवाब है- जवाहर लाल नेहरू, जो सबको पता है. लेकिन अगर आपसे पूछा जाए कि बिहार के प्रधानमंत्री का नाम बताइए, तो आपको लगेगा शायद सवाल ही गलत है. फिर ये कहा जाए कि सवाल सही है तो जवाब सोचते हुए शायद आपका माथा चकरा जाएगा. ये आजादी से काफी पहले की बात है. यानी भारत के पहले प्रधानमंत्री से भी पहले बिहार के प्रधानमंत्री हुआ करते थे. यानी देश के सबसे पहले प्रधानमंत्री. 

जी हां, एक दौर ऐसा भी था, जब बिहार के भी प्रधानमंत्री हुआ करते थे. ये पद राज्‍य के मुखिया का ही होता था, लेकिन इसे मुख्‍यमंत्री की बजाय प्रधानमंत्री कहा जाता था. मोहम्‍मद युनूस बिहार के पहले प्रधानमंत्री थे, जो पटना के रहने वाले थे. 

ब्रिटश राज में ऐसे होते थे चुनाव 

तब देश में ब्रिटिश राज हुआ करता था. अलग-अलग राज्‍यों में पनप रहे संतोष के बीच ब्रिटिश सरकार ने प्रांतीय चुनाव की व्‍यवस्‍था बनाई थी. 1935 में ब्रिटिश पार्लियामेंट ने गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट बनाया और इसके तहत प्रांतीय चुनाव कराया. प्रांत के प्रीमियर के चुनाव में जीतने वाला श्‍ख्‍स प्रधानमंत्री कहलाता था. चुनाव के आधार पर गठित प्रांतीय सरकार के मुखिया को तब प्रधानमंत्री कहा जाता था. ये पद आज के मुख्‍यमंत्री पद के समान ही है.इस चुनाव का सिलसिला सन 1937 में शुरू हुआ. 

इस तरह मो. युनूस बने प्रधानमंत्री 

 1937 में देश के सभी प्रांतों में चुनाव हुए और परिणाम कांग्रेस के पक्ष में रहे. बिहार सहित सभी प्रांतों में कांग्रेस ने भारी बहुमत से जीत हासिल की थी, लेकिन प्रांतीय सरकार के कामकाज में गवर्नर की भूमिका को लेकर कांग्रेस राजी नहीं हुई. चुनाव जीतने के बाद भी कांग्रेस ने सरकार बनाने से इंकार कर दिया. इसके बाद बिहार में मुस्लिम इंडिपेंडेंट पार्टी के मोहम्मद यूनुस को सरकार बनाने का मौका मिला. मो युनूस 109 दिन तक बिहार के प्रधानमंत्री पद पर रहे. 19 जुलाई 1937 तक उन्‍होंने इस पद पर काम किया. 

पिता ने बनाया बैरिस्‍टर, फिर...

मोहम्मद यूनुस पटना के ही रहने वाले थे. उनका जन्म 4 मई 1884 को पटना के नजदीक पनहरा गांव में हुआ था, जो मौजूदा समय में मसौढ़ी प्रखंड में पड़ता है. उनके पिता मौलवी अली हसन मुख्तार तब के जाने-माने वकील हुआ करते थे. अपने बेटे मोहम्मद यूनुस को भी उन्‍होंने पढ़ा-लिखा कर वकील ही बनाया था.

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बाद में मो यूनुस ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस के साथ की. हालांकि बाद में उन्‍होंने अपनी राहें जुदा कर ली. 1937 के प्रांतीय चुनाव से ठीक पहले मो यूनुस ने अपनी 'मुस्लिम इंडिपेंडेंट पार्टी' बनाई थी. इसी पार्टी से वो बिहार के प्रधानमंत्री रहे. 13 मई 1952 को लंदन में उनका निधन हो गया. 

श्रीकृष्ण सिंह पहले PM रहे, फिर CM

मो युनूस के ठीक बाद कांग्रेस के श्रीकृष्ण सिंह भी बिहार के प्रधानमंत्री रहे.  20 जुलाई 1937 को वे बिहार के प्रधानमंत्री बने और 31 अक्टूबर 1939 तक इस पद पर रहे. यानी उनका कार्यकाल 2 साल और 104 दिनों का रहा. 1946 में एक बार फिर उन्‍होंने इस पद को संभाला. 

1947 में आजादी के बाद 1950 में भारत का अपना संविधान बना और पहली बार चुनाव हुए तो प्रांतों में बनने वाली सरकार के मुखिया को मुख्यमंत्री का पदनाम दिया गया. 1950 के चुनावों में भी कांग्रेस को बहुमत से जीत हासिल हुई. बिहार में श्री कृष्ण सिंह मुख्यमंत्री बनाए गए. 

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