
- JDU के प्रदेश महासचिव राणा रणधीर सिंह चौहान ने BSP का दामन थामते हुए नामांकन भी दाखिल कर दिया.
- उनकी पत्नी सुनीता चौहान तीन बार बेलसंड की विधायक रह चुकी हैं. चौहान का बेलसंड में अपना जनाधार भी है.
- शिवहर के मोहम्मद सरफुद्दीन ने BSP के टिकट पर नामांकन भरा, इससे NDA और महागठबंधन की मुश्किलें बढ़ गई दिखती हैं
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में दो चरणों में मतदान होने हैं. दोनों ही चरणों के लिए नामांकन की तारीख सोमवार को खत्म हो चुकी है. इसी बीच शिवहर और बेलसंड में जेडीयू को तगड़ा झटका लगा है. जेडीयू के प्रदेश महासचिव और बेतिया के जिला प्रभारी राणा रणधीर सिंह चौहान ने बीएसपी का दामन थामते हुए सोमवार को अपना नामांकन दाखिल कर दिया. चौहान की पत्नी सुनीता चौहान तीन बार बेलसंड की विधायक रह चुकी हैं. जहां वो दो बार जेडीयू से चुनाव जीती थीं. इस बार बेलसंड की सीट अंतिम समय पर लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के खाते में चली गई. ऐसे में ये स्थिति पैदा हुई है. बता दें कि चौहान की बेलसंड के साथ शिवहर में भी अच्छी पकड़ है. इसके अलावा उनका अपना जनाधार भी है. लिहाजा उनके दूसरी पार्टी से नामांकन भरने के साथ ही एनडीए और महागठबंधन की मुश्किलें बढ़ गई दिखती हैं.
आश्वासन देने के बाद मुकरी पार्टी
चौहान ने बताया कि उन्हें लगातार उम्मीदवार बनाने का आश्वासन मिलता रहा लेकिन अंत समय में सीट अन्य के खाते में दे दिया गया. उन्होंने कहा कि उन्होंने जेडीयू नहीं छोड़ा है बल्कि जेडीयू के कुछ बाहरी नेताओं ने उनके साथ धोखा किया है. वैसे ही स्थिति शिवहर विधानसभा में भी देखी जा रही है जहां दो बार के जेडीयू से विधायक रहे मोहम्मद सरफुद्दीन ने बीएसपी के टिकट पर सोमवार को नामांकन दाखिल किया है. अंतिम समय में इनका टिकट काटकर डॉक्टर श्वेता को जेडीयू का प्रत्याशी बनाया गया है जो सीतामढ़ी के मशहूर चिकित्सक डॉक्टर वरुण कुमार की पत्नी हैं. मोहम्मद सरफुद्दीन की मुसलमानों के साथ अन्य जातियों पर भी अच्छी पकड़ है और दो बार विधायक रहने के कारण लोगों से काफी जुड़ाव भी है ऐसे में एनडीए और महागठबंधन के लिए दोनों सीटें मुश्किल स्थिति में पड़ गई हैं.
पूर्व विधायक मोहम्मद सरफुद्दीन ने बताया कि उन्हें टिकट के लिए सीएम आवास से फोन गया था फिर उसके बाद अचानक उनका टिकट काटकर बाहरी प्रत्याशी को दे दिया गया. उन्होंने कहा कि उनके साथ अन्याय हुआ है. राणा रणधीर सिंह चौहान और पूर्व विधायक मोहम्मद सरफुद्दीन के बहुजन समाज पार्टी से उम्मीदवार होने के बाद शिवहर और बेलसंड की राजनीतिक माहौल गर्म हो गई है और अब मुकाबला काफी दिलचस्प बन गया है.
राणा रणधीर सिंह चौहान का राजनितिक सफर
जेडीयू के प्रदेश महासचिव और बेतिया जिला के प्रभारी राणा रणधीर सिंह चौहान ने साल 2000 मे बेलसंड से निर्दलीय चुनाव लड़ा था जिसमें तकरीबन 24,000 वोट हासिल हुआ था. 2005 में पहली बार एलजेपी के टिकट पर उनकी पत्नी सुनीता सिंह चौहान चुनाव जीती थीं. अगले दो चुनावों साल 2010 और 2015 में जीत दर्ज कर सुनीता सिंह चौहान ने जीत की हैट्रिक बनाई थी. हालांकि 2020 के चुनाव में कुछ हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा था. अंतिम समय में उनकी पत्नी सुनीता सिंह चौहान का टिकट कटने के बाद राणा रणधीर सिंह चौहान ने बीएसपी से उम्मीदवारी दी है.
पूर्व विधायक मोहम्मद सरफुद्दीन का राजनीतिक सफर
शिवहर के दो बार जेडीयू से विधायक रहे मोहम्मद सरफुद्दीन का सफर एलजेपी से शुरू हुआ था. दो बार एलजेपी से चुनाव हारने के बाद 2010 और 2015 में बतौर जेडीयू प्रत्याशी उन्होंने जीत हासिल की. हालांकि 2020 के चुनाव में बाहुबली आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि जेडीयू का मतलब शिवहर और बेलसंड में राणा रणधीर सिंह चौहान और मोहम्मद सरफुद्दीन हैं बाकी यहां कोई जेडीयू नहीं है.
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