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Bihar Election: बिहार महागठबंधन में दल हुए छह से आठ, किसकी सीट होगी कम और किसके ठाठ?

Mahagathbandhan Seat Sharing: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर शनिवार को तेजस्वी यादव के घर हुई बैठक में इंडिया ब्लॉक में दो और दलों को शामिल करने का फैसला लिया गया. ऐसे में अब बिहार महागठबंधन में दलों की संख्या बढ़कर 6 से 8 हो गई है.

Bihar Election: बिहार महागठबंधन में दल हुए छह से आठ, किसकी सीट होगी कम और किसके ठाठ?
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन में सीटों के बंटवारे पर चर्चा जारी है.
पटना:

Bihar Assembly Elections 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर NDA और महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत शुरू हो गई है. दोनों जगह सीटों के बंटवारे को लेकर पेंच फंसा हुआ है. NDA में चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेन्द्र कुशवाहा के बीच अधिक सीटें लेने को लेकर बयानबाजी तेज है. वहीं महागठबंधन में भी मुकेश सहनी, CPI माले और INC के बीच अधिक सीटें लेने के लिए भी दबाव बनाने की कोशिश जारी है. महागठबंधन के दलों के प्रदेश अध्यक्षों की बैठक तेजस्वी यादव के साथ हुई. इसमें एक बड़ा फैसला लिया गया कि अब महागठबंधन में दो और दल शामिल होंगे- पशुपति कुमार पारस की RLJP और हेमंत सोरेन की JMM.

बिहार में महागठबंधन में अभी 6 दल हैं- RJD, कांग्रेस, माले, CPI, CPM और VIP. अब इसमें JMM और LJP (पारस)भी जुड़ गए हैं. मतलब अब बिहार की 243 विधानसभा सीटों को इंडिया गठबंधन के 8 घटक दलों के बीच बांटा जाएगा.

बैठक के बाद सभी नेता यह कहते दिखे कि सीट शेयरिंग पर सकारात्मक बातचीत जारी है. मुकेश सहनी ने तो यहां तक कहा कि 15 सितंबर से पहले सीटों के बंटवारे का फाइनल फॉर्मूला सामने आ जाएगा.

लेकिन बिहार की राजनीति के जानकारों का कहना है कि यह इतना आसान नहीं है. क्योंकि चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों की अपनी-अपनी महत्वकाक्षाएं हैं, जिसके बीच से सहमति का रास्ता निकालना मुश्किल है.

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फिलहाल शनिवार को इंडिया गठबंधन में जिन दो दलों को शामिल किया गया, उसका कारण समझिए

पशुपति पारस के जरिए पासवान वोटों में सेंध लगाने की कोशिश

पशुपति पारस के जरिए महागठबंधन पासवान वोटों में सेंध लगाने की कोशिश करेगा. खासकर खगड़िया जहां से पासवान परिवार आता है. पारस भी खगड़िया के अलौली विधानसभा से लगातार लंबे समय तक विधायक रहे हैं. महागठबंधन में उनको 2-3 सीटें जरूर मिलेंगी, जहां पारस और उनके बेटे चुनाव लड़ सकते हैं. हाजीपुर में भी पारस को लड़ा कर पासवान वोटों में बिखराव कराया जा सकता है.

झामुमो को सीट देना लाजिमी, क्योंकि झारखंड में RJD और कांग्रेस भी सरकार में शामिल

जहां अब झारखंड मुक्ति मोर्चा की. RJD और कांग्रेस झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार में शामिल हैं. हेमंत सोरेन ने जब अपने राज्य में राजद को सीटें दी थी, तो बिहार में तेजस्वी का जेएमएम को सीटें देना लाजिमी है. बांका, मुंगेर, भागलपुर के वो इलाके जो झारखंड से लगते हैं वहां जेएमएम को सीटें दी जा सकती है.

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कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा- सभी को सीटों का त्याग कर बाकी दलों को एडजस्ट करना होगा

शनिवार को पटना में हुई बैठक के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने साफ कहा है कि सभी दलों को अपने कुछ सीटों का त्याग कर गठबंधन के बाकी दलों को एडजस्ट करना चाहिए. मतलब साफ है कि नए सहयोगियों के लिए अपनी सीटों से समझौता हर किसी को करना होगा. लेकिन यह इतना आसान नहीं है.

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बिहार विधानसभा चुनाव 2020: महागठबंधन के दलों का प्रदर्शन

  • राजद 144 सीटों पर लड़ी, जिसमें 75 पर सफलता मिली.
  • कांग्रेस 70 लड़ी थी, 19 पर जीत हासिल हुई.
  • माले 19 सीटों पर लड़कर 12 जीतों की जीती.
  • सीपीएम 4 सीट पर लड़कर 2 सीट जीतने में सफल रही.
  • वहीं सीपीआई ने 6 सीटों पर लड़कर 2 सीटें जीतीं थी.

महागठबंधन में सीटों को लेकर कहां आएगी अड़चन

इस बार मुकेश सहनी की वीआईपी भी महागठबंधन में हैं, जो 50 सीटों के साथ साथ उपमुख्यमंत्री का पद भी चाहते हैं. मुकेश सहनी यह भी चाहते हैं कि तेजस्वी के मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने के साथ उन्हें भी उपमुख्यमंत्री का चेहरा महागठबंधन घोषित करें. मुकेश सहनी की मांग सबसे बड़ी है. इन्हें कैसे एडजस्ट कराया जाता है, यह देखने वाली बात होगी.

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VIP या मुकेश सहनी को मनाना तेजस्वी या कांग्रेस के लिए कठिन काम होगा. महागठबंधन में उनको 20 से 25 सीटें ही मिल सकती है, इतनी सीटों पर भी महागठबंधन के कई दल आपत्ति कर रहे हैं. क्योंकि पिछली बार सहनी 11 सीटें लड़कर 4 ही जीत पाई थी, मगर इस बार तेजस्वी उन्हें अति पिछड़ा वोटों के लिए अपने साथ रखना चाहते हैं.

  • कांग्रेस इस बार 70 सीट ना मांग कर 60 सीटों तक मान जाएगी, बर्शते उनकी अच्छी या कहें जिताऊ सीटें मिलें.
  • माले का पिछले विधानसभा चुनाव में स्ट्राइक रेट बहुत अच्छा था तो जाहिर है वो भी पिछली बार से ज्यादा सीट चाहेंगे.

वोटर अधिकार यात्रा में इंडिया गठबंधन की दिखी थी एकजुटता

वोटर अधिकार यात्रा में भी राहुल गांधी ने मुकेश सहनी और दीपांकर भट्टाचार्य को हमेशा अपने साथ ही रखा. वैसे सीटों का बंटवारा देखने या कहने में आसान लगता है मगर जब बैठक होती है तो एक एक सीट पर दावेदारी की जाती है. बातचीत कर सुलझाने का प्रयास किया जाता है. जहां सबको कुछ ना कुछ सीटों का त्याग करना पड़ता है. इस बार भी महागठबंधन में का और आरजेडी की अपनी कुछ सीटों को छोड़ना होगी तभी बात बन पाएगी.

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