
- बिहार में NDA में JDU, BJP लोक जनशक्ति पार्टी, HUM और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी शामिल हैं.
- लोक जनशक्ति पार्टी और हिन्दुस्तान अवाम मोर्चा के बीच सीट शेयरिंग को लेकर मतभेद और आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं.
- चिराग पासवान 35 से 40 सीटों की मांग कर रहे हैं जबकि जीतन राम मांझी 10 से 12 सीटों पर अड़े हुए हैं.
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार में सतारुढ़ NDA में JDU, BJP के साथ-साथ केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), जीतन राम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तान अवाम मोर्चा (HUM) और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी शामिल हैं. NDA के इन 5 दलों के लिए सीट शेयरिंग का मुद्दा लगातार फंसता नजर आ रहा है. सीट शेयरिंग से पहले फिर एनडीए के दो घटक दल आमने-सामने हो गए हैं. कल केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने चिराग पासवान के चाल और चरित्र पर सवाल उठाया था. आज लोजपा सांसद और चिराग पासवान के जीजा अरुण भारती ने एक्स पर पोस्ट कर मांझी पर पलटवार किया.
चिराग के सांसद बोले- 2020 में अकेले लड़कर 6 फीसदी वोट पाया
चिराग के बहनोई ने लिखा कि हम कार्यकर्ताओं की भावना और उम्मीद पूरा नहीं कर पा रहे थे, इसलिए हम 2020 में अकेले लड़े. हमने दिखाया कि बिहार में सिर्फ लोक जनशक्ति पार्टी ही अकेले लड़ने का माद्दा रखती है. हम 137 सीटों पर लड़े तो हमें 6% वोट आया, सभी सीटों पर लड़ते तो हमें 10 फीसदी वोट मिलते.

जीतन राम मांझी ने चिराग के चाल-चरित्र पर उठा थे सवाल
कल ही चिराग पासवान से जुड़े सवाल पर जीतन राम मांझी ने कहा था, "उनका चाल और चरित्र 2020 से जान रहे हैं. इसीलिए मैं उनके बारे में कुछ नहीं कहूंगा लेकिन अभी जरूरत है बिहार और भारत को एनडीए की. सभी लोगों को मिलकर एनडीए को मजबूत करना चाहिए." मांझी ने 2020 के उस वाकये की याद दिलाई जब चिराग पासवान अकेले लड़े और उन्होंने एनडीए को नुकसान पहुंचाया.
हालांकि यह पहली बार नहीं है जब दोनों दल आमने सामने हों. लेकिन सवाल है कि आखिर दोनों दल आपस में लड़ते क्यों रहते हैं? ज्यादा सीटों की चाह में या दलितों के बड़े नेता के रूप में खुद को स्थापित करने की हसरत के कारण?
चिराग की डिमांड 35-40 तो जीतन मांग रहे 10-12 सीटें
जीतन राम मांझी और चिराग पासवान दोनों अपने लिए अधिक सीटें चाहते हैं. चिराग की डिमांड 35- 40 सीटों की है. वहीं मांझी 10 से 12 सीटें मांग रहे हैं. दोनों ही मांगे पूरी नहीं हो रही हैं. मांझी जानते हैं कि अगर चिराग को ज्यादा सीटें मिली तो उनकी सीटें घटेगी, इसलिए वे चिराग पासवान के इतिहास और हालिया बयानों को सरकार विरोधी दिखाकर चिराग पर हमलावर रहते हैं.

अधिक सीटों के लिए क्या है लोजपा का तर्क?
वहीं लोजपा का तर्क है कि उनके ज्यादा सांसद हैं, साथ ही मांझी के पास 3 फीसदी और पासवान के पास 5 फीसदी वोट है. इसलिए उन्हें ज्यादा सीटें मिलनी चाहिए. तभी अरुण भारती बार-बार कार्यकर्ताओं की ताकत का जिक्र कर रहे हैं.
NDA के लिए चिराग और जीतन दोनों जरूरी
हालांकि NDA के लिए दोनों जरूरी हैं. दरअसल, बिहार में अनुसूचित जाति की आबादी 19.65 फीसदी है. बिहार की 243 में से 38 सीटें अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है, इनमें से 20 सीटें एनडीए के पास है.
NDA इस आंकड़े को बढ़ाना चाहता है. कांग्रेस की भी इस पर नज़र है. कांग्रेस ने अनुसूचित वर्ग से आने वाले राजेश राम को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. जीतन राम मांझी और चिराग पासवान मुशहर और पासवान जाति के वोट बैंक पर मजबूत पकड़ रखते हैं. इसलिए एनडीए के लिए दोनों अहम हैं.

पहले भी चिराग और जीतन में हो चुकी है भिड़ंत
इससे पहले भी जीतन राम मांझी ने चिराग पासवान को अनुभवहीन बताया था तो अरुण भारती ने पलटवार किया था. जुलाई में चिराग पासवान ने बिहार की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए थे तब भी जीतन राम मांझी ने पलटवार किया था. चिराग पासवान ने कहा था कि मुझे दुख है कि मैं इस सरकार का समर्थन कर रहा.
तब जीतन राम मांझी ने लिखा था कि मुझे ख़ुशी है कि मैं बिहार में एक ऐसी सरकार का समर्थन कर रहा हूँ जो अपराध और अपराधियों से कोई समझौता नहीं करती. दोनों के बीच तल्खियां इतनी रही हैं कि चिराग इमामगंज उपचुनाव में मांझी की बहु के लिए प्रचार तक में नहीं गए.
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