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सीटों के बंटवारे पर बिहार में कहां फंसा है पेंच? पढ़ें इनसाइड स्टोरी 

बिहार में सीटों के बंटवारे को लेकर एनडीए और महागठबंधन के दलों में अभी कोई गणित सेट नहीं हो पाया है. माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में दोनों ही गठबंधन कि किस पार्टी को कौन सी सीट मिल रही है ये साफ हो पाएगा.

सीटों के बंटवारे पर बिहार में कहां फंसा है पेंच? पढ़ें इनसाइड स्टोरी 
बिहार चुनाव में सीटों के बंटवारे पर क्या फंस सकता है कोई पेंच
  • बिहार में एनडीए और महागठबंधन के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत अंतिम चरण में है
  • कहा जा रहा है कि जेडीयू बीजेपी से एक सीट अधिक लड़ेगी और एनडीए के सहयोगियों में 40 सीटें बांटी जानी हैं
  • चिराग पासवान को 20 से 25 सीटों का ऑफर मिलने की संभावना है. हालांकि, वह कम से कम 30 सीटें चाहते हैं.
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नई दिल्ली:

बिहार में सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत अंतिम दौर में है.बात एनडीए की हो या महागठबंधन की दोनों जगह कोई ना कोई पेंच फंसा हुआ है.एनडीए में तो इतना जरूर है कि जेडीयू बीजेपी से एक सीट अधिक लड़ेगी और वो संख्या 100 के करीब हो सकती है. पिछली बार जेडीयू 115 सीट और बीजेपी 110 सीट पर लड़ी थी. ऐसे में एनडीए के पास अपने सहयोगियों को देने के लिए 40 सीटें बचती हैं . ये 40 सीटें चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेन्द्र कुशवाहा में बांटी जानी हैं. माना जा रहा है कि चिराग पासवान को 20-25 सीटों का ऑफर दिया जाएगा बाकी सीटें मांझी और कुशवाहा के खाते में जाएंगी.

मगर सबसे बड़ा सवाल है कि क्या चिराग पासवान 20 या 25 सीटों पर मान जाएंगे क्योंकि उनको लगता है कि 5 सांसदों के लिहाज से उन्हें कम से कम 30 सीटें बनती है. वहीं, दूसरी तरफ अब चिराग पासवान और प्रशांत किशोर के बीच बातचीत की भी बात कही जा रही है. मगर सवाल ये है कि बिहार में सीटों को लेकर चिराग क्या केन्द्र में अपना मंत्री पद दांव पर लगाऐंगे? चिराग की कोशिश होगी कि लोकसभा की तरह विधानसभा में भी अच्छा प्रदर्शन किया जाए क्योंकि चिराग के प्रर्दशन पर निर्भर करेगा कि सरकार बनाने को लेकर बीजेपी की रणनीति क्या होगी.

वहीं, दूसरी तरफ है महागठबंधन जहां सहयोगी दलों की संख्या 6 से बढ़कर 8 होने वाली है. महागठबंधन में RJD,कांग्रेस,माले,सीपीआई,सीपीएम,वीआईपी के अलावा जेएमएम और पशुपति पारस की पार्टी भी शामिल होगी. महागठबंधन में तेजस्वी की दिक्कत ये है कि महागठबंधन बड़ा तो हो रहा है मगर बांटने के लिए उनके पास सीट नहीं है,करीब सवा सौ सीट तो आरजेडी लड़ेगी ही बाकी सहयोगियों को दी जाएगी. पिछली बार आरजेडी 144 सीटों पर लड़ी थी. कांग्रेस इस बार 70 सीट ना लड़े मगर 62-64 सीटें तो मांग ही रही है.यहां पर ये बताना भी ज़रूरी है कि कांग्रेस इस बार संख्या पर उतना जोर नहीं दे रही है जितना कौन सी सीट लड़ेगी इस बात पर.

कांग्रेस और आरजेडी की बातचीत इसी बात को लेकर हो रही है. कांग्रेस का तेजस्वी को महागठबंधन का सीएम का चेहरा घोषित ना करने के पीछे भी यही बात कही जा रही है कि जब तक सीटों का बंटवारा ना हो जाए और पहले कुछ बातें तय हो जाएं, उसके बाद ही सीएम चेहरे की भी घोषणा कर देंगे. अब बात करते हैं मुकेश सहनी की जो 60 सीटों की बात करते हैं और साथ में डिप्टी सीएम की भी.खुद ये भी कहते हैं कि सीटों की संख्या पर बातचीत हो सकती है मगर डिप्टी सीएम पर कोई समझौता नहीं होगा.

मुकेश सहनी ये भी कहते हैं कि महागठबंधन को सीएम फेस के साथ डिप्टी सीएम के चेहरे की घोषणा करनी चाहिए .सहनी 2020 में एनडीए के साथ थे 13 सीट लड़े थे और 4 सीट जीते थे.इस बार 60 सीटों की मांग करने वाले सहनी कितनी सीटों पर मानेंगे ये देखना होगा.उसी तरह माले जो पिछली बार 19 सीट लड़ कर 12 सीट जीती थी इस बार अधिक सीटें मांग रही है.सीपीआई और सीपीएम को पिछली बार 6 और 4 सीटें दी गई थीं उन्होंने जीती थी दो-दो .इस बार भी इन्हें इतनी ही सीट मिलेगी.पशुपति पारस और जेएमएम को भी 3-4 सीटें देनी ही पड़ेगी.कुल मिलाकर सीटों को लेकर दोनों गठबंधन में तकरार तो है ही और उम्मीद की जा रही है अगले कुछ दिनों में इसे सुलझा लिया जाएगा.

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