
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में कई सीटों से महागठबंधन के घटक दलों के बीच फ्रेंटली फाइट हो रही है. दरअसल यह दवाब की राजनीति और संवादहीनता का चरम है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम की सीट कुटुंबा से भी राजद ने चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी कर राज्य का सियासी पारा बढ़ा दिया था. लेकिन अंतिम दौर में तेजस्वी यादव ने कुटुंबा से कैंडिडेट उतारने का फैसला बदल लिया. लेकिन यह फैसला सामने से जितना आसान दिख रहा है, उतना है नहीं. कुटुंबा के लिए कांग्रेस को लालगंज का दावा छोड़ना पड़ा है.
पहले चरण की 6 सीटों पर फ्रेंडली
पहले चरण की एक सीट (वैशाली जिले की लालगंज) पर कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार वापस ले लिया जिसके बाद यहां RJD के सामने वोट कटने का संकट खत्म हो गया. लेकिन बाकी सीटों पर ऐसा नहीं हो पाया. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक़ लालगंज सीट पर उम्मीदवार की नामांकन वापसी के पीछे कुटुंबा सीट है, जहाँ से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम विधायक और एक बार फिर उम्मीदवार हैं.
लालगंज का दावा छोड़ा तो राजद ने कुटुंबा से नहीं उतारे कैंडिडेट
चर्चा थी कि RJD कुटुंबा से उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर चुकी थी. इससे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की मुश्किलें काफी बढ़ जाती. ऐसे में कांग्रेस ने लालगंज सीट पर उम्मीदवार वापस लेने का फ़ैसला कर RJD को जानकारी दी. जिसके बाद RJD ने आपके उम्मीदवारों का एलान किया तो उसमें कुटुंबा सीट नहीं थी.

पहले चरण की वो सीटें, जहां फ्रेंडली फाइट के आसार
इसके बाद कांग्रेस ने भी अपना वादा निभाया. लेकिन लालगंज के ठीक बगल की सीट वैशाली पर कांग्रेस–आरजेडी की कोई डील नहीं हो पाई. इसी तरह कांग्रेस ने CPI कोटे की सीट बछवाड़ा से अपना उम्मीदवार उतारा है, जिसकी प्रतिक्रिया में सीपीआई भी कांग्रेस के ख़िलाफ़ पहले चरण की राजापाकड़ और बिहारशरीफ सीट पर चुनाव लड़ रही है. सीपीआई ने रोसड़ा सीट पर भी उम्मीदवार घोषित किया था लेकिन उनका नामांकन ख़ारिज हो गया.
दूसरे चरण की सात सीटों पर भी ऐसे ही आसार हैं लेकिन नाम वापसी की आखिरी तारीख़ 23 अक्टूबर तक है. ये सीटें हैं.
- कांग्रेस Vs आरजेडी: कहलगांव, सुल्तानगंज, नरकटियागंज, सिकंदरा
- कांग्रेस Vs सीपीआई: करगहर
- वीआईपी Vs आरजेडी : चैनपुर, बाबूबरही
लालंगज मॉडल से फ्रेंडली फाइट वाली सीटों को कम करने की कोशिश
पहले चरण के लालगंज मॉडल की तर्ज पर इंडिया गठबंधन के घटक दलों के बीच कोशिश चल रही है. फ्रेंडली फाइट वाली सीटों की संख्या कम से कम रखी जाए. सूत्रों का मानना है कि दो–तीन सीटों पर बात बन सकती है लेकिन आधिकारिक तौर पर पार्टियां कुछ भी बोलने से बच रही हैं.

इंडिया गठबंधन की फ्रेंडली फाइट वाली तेरह सीटों में से पिछली बार नौ पर एनडीए, दो पर कांग्रेस और एक पर बीएसपी उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी जो बाद में जेडीयू में शामिल हो गए.
कांग्रेस की 10 सीटें फ्रेंटली फाइट में फंसी है
कांग्रेस की दोनों सीटों का अंतर बेहद कम था और इस बार दोनों सीटों पर सीपीआई भी लड़ रही है. यानी ये सीटें विपक्षी गठबंधन की कमजोर कड़ी बन गई हैं. सबसे ज़्यादा ख़तरा कांग्रेस को है, क्योंकि उसकी दस सीटें इसमें फँसी हुई है.
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