भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार खेसारी लाल यादव राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के टिकट पर छपरा से चुनावी मैदान में है . खेसारी उर्फ शत्रुघ्न यादव पहली बार चुनावी अखाड़ा में जोर अजमाइश कर रहे हैं. लिहाजा, आजकल बिहार में हो रहे विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा में सारण लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाले छपरा विधानसभा की हो रही है . क्या वह छपरा से लगातार तीन चुनावों से जारी बीजेपी के विजयी रथ को रोक पायेंगे या फिर पुरानी सियासी ढ़र्रे को तोड़कर नया इतिहास रचेंगे . खासकर उस जगह पर जहां विकास ,धर्म और राजनीति की बड़ी बड़ी बातें कोई खास मायने नही रखती है . छपरा विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा असर जाति का है. यह बात इसलिए भी मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि मेरा घर भी सिताबदियरा में ही है जो इसी विधानसभा में पड़ता है. छठ पूजा की वजह से हफ्ते भर गांव जाने का मौका मिला. समाज के हर तबके से मिला . खूब चर्चा की . तब जाकर छपरा विधानसभा के बारे में कुछ लिखने की हिम्मत जुटा पाया हूं .
समझें, क्या है जातीय समीकरण
पहले छपरा के जातीय समीकरण की बात कर लें तो यहां लगभग 90 हजार बनिया मतदाता है . 50,000 राजपूत है , 45,000 यादव, 39,000 मुस्लिम और करीब 22,000 अन्य जाति के वोटर हैं . इनमें अनुसूचित जाति और कारीगर वर्ग शामिल है .साफ है कि छपरा की सियासत पर राजपूत और यादव जाति का दबदबा है . 1965 से लेकर 2010 तक इस सीट से या तो या तो राजपूत या फिर यादव जाति के उम्मीदवार ही जीतते रहे हैं . 2015 में पहली बार ये मिथ टूट गया. 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां से बीजेपी के सीएन गुप्ता विधायक बने जो वैश्य जाति से आते हैं. सीएन गुप्ता 2020 में भी चुनाव जीते.
बीजेपी ने इस बार अपने पुराने चेहरे की जगह छोटी कुमारी को मैदान में उतारा है जो बनिया जाति से आती हैं . छोटी कुमारी बीजेपी की पुरानी कार्यकर्त्ता है . शांत रहती है . कम बोलती है जो चुनावी मिजाज में फिट नहीं बैठता है . वैसे बीजेपी के लिये यहां बड़ी चुनौती पार्टी की बागी उम्मीदवार राखी गुप्ता है . राखी छपरा की मेयर रह चुकी है . बीजेपी की जुझारू कार्यकर्ता रही हैं. अब बीजेपी के बनिया वोटों के बिखरने का खतरा सता रहा है .
कैसा है जनता का रुझान
वहीं, अगर खेसारी लाल यादव की बात करें तो जब से उन्होंने नामांकन दाखिल किया है हर जगह उन्हीं की चर्चा है . पहले खबर थी कि छपरा से खेसारी की पत्नी चंदा देवी राजद के टिकट पर चुनाव लड़ेंगी पर अंतिम समय पर राजद ने खेसारी को मैदान में उतार दिया. अच्छी बात ये भी है कि वह जमीन से जुड़े मुद्दे उठा रहे हैं . खेसारी का घर भी सारण जिले में ही हैं. लिहाजा उनको सारी बातें पता है. खेसारी जहां भी जा रहे वहां लोगों की भारी भीड़ जुटती है. चाहे वह दिन का उजाला हो या रात का अंधेरा. हर कोई अपने पसंदीदा अभिनेता के बहुत करीब से देख रहे है. उनकी बातों को गौर से सुन रहे है . लोग कहते है कि अब तक पर्दे पर मोबाइल पर दे्खा है पहली बार अपनी आंखो से देख रहे है. खेसारी लोंगो से एक ही बात जोर देकर कह रहे है कि मैं छपरा के लोगों के लिये कुछ करना चाहता हूं. पलायन का दर्द समझता हूं . तेजस्वी भैया के नेतृत्व में बिहार के साथ साथ छपरा को भी बदलना है .
विकास और रोजगार की बात है मुद्दा
अब अगर मतदाताओं की बात करें तो उनकी राय मिली जुली है. सिताबदियारा के अलेख टोला के त्रिदेवा सिंह कहते हैं बहुत खराब लगता है कि लोग जाति के आधार नेता चुनते है. कोई विकास की बात नही करता है . रोजगार की बात नही करता है . कानून व्यवस्था की बात नही करता है . बीजेपी का विधायक चुनाव जीतकर भी हमारे गांव नही आता है . हमारे टोला में जाकर देखिए . जेपी का गांव है. सड़क टूटी फुटी है . रात को सड़क और गली में अंधेरा का सम्राज्य है . खेती में भी सरकारी योजनाओ का लाभ नही मिलता है . वही गरीबा टोला के भुआल यादव जो गाय और भैंस पालन के साथ खेती कर अपना गुजारा करते है . वह कहते है कि इस बार तो लालटेन की हवा है यानि खेसारी की धूम है . हमारे गांव में खेसारी की पत्नी चंदा वोट मांगने के लिये आई थी . हम तो खेसारी को वोट देंगे . वही गांव के य़ुवाओ से बात करें तो कईयों की राय जाति के आधार पर बंटी हुई है . राजपूत से बात करें तो वह कहते है हम यादव को वोट नही देंगे . अगर वोट देते है और अगर यादव उम्मीदवार चुनाव जीत जाता है तो उसका खामियाजा राजपूत समाज को ही भुगतना पड़ेगा . जबकि यादवो से बात करे तो वह खुलकर राजद के पक्ष में बात करते है .
सारण या छपरा की बात करें तो यह इलाका एक जमाने में लालू यादव का गढ़ हुआ करता था . लालू यादव यहां से सांसद रहे है . 2014 से बीजेपी के राजीव प्रताप रुढ़ी इस सीट से लगातार राजद को हराते रहे है . चाहे उम्मीदवार कोई भी रहा हो . पिछले चुनाव 2024 में तो रुढ़ी ने लालू की बेटी रोहणी आचार्य को हराया था . इसी तरह छपरा विधानसभा सीट पर भी पिछले तीन बार से बीजेपी का क़ब्ज़ा रहा है . ऐसे में भोजपुरी गायक और अभिनेता खेसारी लाल यादव को उम्मीदवार बनाकर आरजेडी अपने पुराने जनाधार को फिर से मज़बूत कर बीजेपी के किले में सेंध लगाने के फिराक में है . खेसारी के पक्ष में एक और अहम बात ये है कि जातीय समीकरण और उनकी खुद की लोकप्रियता ने मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है .
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