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पालीगंज विधानसभा सीट: काफी दिलचस्प रहा है चुनावी मुकाबला, जानें किसका पलड़ा है भारी

Paliganj Assembly Election 2025: पालीगंज विधानसभा सीट पर जातिगत समीकरण हमेशा से अहम रहे हैं. यहां के चुनावी नतीजों में मुख्य रूप से यादव, मुस्लिम और भूमिहार मतदाता भूमिका निभाते रहे हैं.

पालीगंज विधानसभा सीट: काफी दिलचस्प रहा है चुनावी मुकाबला, जानें किसका पलड़ा है भारी

Paliganj Assembly Election 2025: पटना जिले के ग्रामीण और कृषि प्रधान क्षेत्रों में गिनी जाने वाली पालीगंज विधानसभा सीट का बिहार की राजनीति में एक दिलचस्प इतिहास रहा है. 'धान का कटोरा' के नाम से मशहूर यह सीट पाटलिपुत्र लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में आती है और अपने मतदाताओं के बार-बार बदलते चुनावी मूड के लिए जानी जाती है.

राजनीतिक इतिहास

पालीगंज सीट पर राम लखन सिंह यादव (कांग्रेस) और चंद्रदेव प्रसाद वर्मा (सोशलिस्ट पार्टियों) का राजनीतिक वर्चस्व रहा है. इन दोनों दिग्गजों ने बारी-बारी से इस सीट पर पांच-पांच बार जीत दर्ज की है. 1951 में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के राम लखन सिंह यादव ने जीत हासिल की थी. कांग्रेस ने कुल छह बार यह सीट जीती है. 1990 के बाद यहां चुनावी समीकरण बदले. कांग्रेस का दबदबा खत्म हुआ और सीट बारी-बारी से भाजपा, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और CPI(ML) (लिबरेशन) के हाथ में आती रही.

2020 चुनाव परिणाम: CPI(ML) की बड़ी जीत

हाल के 2020 विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बड़ा उलटफेर देखने को मिला, जब महागठबंधन की ओर से लड़ रहे सीपीआई (माले) के उम्मीदवार संदीप सौरभ ने शानदार जीत दर्ज की. संदीप सौरभ ने जेडीयू के जय वर्धन यादव को 30,915 वोटों के अंतर से हरा दिया था, जो यह साबित करता है कि पालीगंज की जनता किसी एक पार्टी पर लंबे समय तक भरोसा नहीं करती.

जातीय समीकरण

पालीगंज विधानसभा सीट पर जातिगत समीकरण हमेशा से अहम रहे हैं. यहां के चुनावी नतीजों में मुख्य रूप से यादव, मुस्लिम और भूमिहार मतदाता भूमिका निभाते रहे हैं. MY (मुस्लिम-यादव) फैक्टर के अलावा, वामपंथी दलों का मजबूत आधार भी यहां की राजनीति को प्रभावित करता है.

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