- बिहार चुनाव के पहले चरण में भाजपा ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी और बड़े-बड़े नेता मैदान में उतरे
- राजद के लिए तेजस्वी यादव ने अकेले कमान संभाली है. लालू यादव स्वास्थ्य कारणों से कम सक्रिय नजर आए
- कांग्रेस की तरफ से राहुल और प्रियंका गांधी ने प्रचार में प्रमुख भूमिका निभाई और राष्ट्रीय मुद्दों पर जोर दिया
बिहार विधानसभा चुनाव में पहले चरण का प्रचार मंगलवार शाम को थम गया. 121 सीटों पर प्रत्याशी अब घर-घर जाकर जनसंपर्क में जुट गए हैं. पहले चरण के चुनाव प्रचार का आकलन करें तो इस बार एनडीए और खासकर भाजपा ने अपना पूरा दम लगा दिया. प्रधानमंत्री, गृह मंत्री के साथ-साथ योगी आदित्यनाथ समेत बीजेपी शासित कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों प्रचार में कसर नहीं छोड़ी. आरजेडी में तेजस्वी अकेले कमान संभाले रहे. नीतीश कुमार ने धैर्य के साथ वोट मांगे तो कांग्रेस नेताओं ने राष्ट्रीय मुद्दे ज्यादा उछाले.
RJD से फाइट में BJP का संदेश पर जोर
नीतीश कुमार के पिछले 20 वर्षों के शासन में भाजपा करीब 15 साल उनके साथ सहयोगी दल के रूप में रही है. कई महत्वपूर्ण विभाग भाजपा के नियंत्रण में रहे. इस बार राजद के खिलाफ सबसे ज्यादा सीटों पर नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) ही लड़ रही है. भाजपा करीब 51 सीटों पर और जदयू लगभग 61 सीटों पर राजद से लड़ाई में है. हालांकि भाजपा की भारी भरकम प्रचार से यह संदेश देने की कोशिश रही है कि वही राजद के खिलाफ लड़ाई में मुख्य भूमिका निभा रही है.
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बीजेपी पहले दिन से ही आक्रामक भूमिका में रही. 20 साल पहले के लालू-राबड़ी राज के किस्सों को नई पीढ़ी को सुनाने से लेकर हर शुरुआती भाषण में यही कुछ सुनने को मिला. नीतीश कुमार और खुद के विभागों के कार्यों की चर्चा शायद ही कहीं सुनाई दी. अब तो इटली की भी चर्चा भाषण में आ गई.
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RJD में तेजस्वी ने अकेले कमान संभाली
लालू ने संभवतः स्वास्थ्य कारणों से अब तक जनता से कोई सीधा संवाद नहीं किया, लेकिन एक दिन पहले दानापुर में बाहुबली प्रत्याशी रीतलाल यादव और अन्य के साथ रोड शो किए. आरजेडी की तरफ से तेजस्वी अकेले कमान संभाले हुए हैं. उनके बड़े भाई तेजप्रताप भी छोटे भाई के खिलाफ हेलीकॉप्टर पर नजर आ रहे हैं.
राहुल-प्रियंका का राष्ट्रीय मुद्दों पर जोर
कांग्रेस की बात करें तो राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने भी अपने भाषणों में राष्ट्रीय मुद्दे ही ज्यादा उछाले. राहुल गांधी बेगूसराय में पोखर में कूद गए और सन ऑफ मल्लाह मुकेश सहनी के साथ मछली पकड़कर मीडिया में चर्चा में आए.
नीतीश धैर्य के साथ वोट मांगते दिखे
नीतीश कुमार धैर्य के साथ अपने कार्यों पर वोट मांगते नजर आए. उनकी खासियत रही कि उन्होंने अपनी 101 सीटों में बड़ी होशियारी से सभी धर्म-जाति के उम्मीदवारों को टिकट दिए. जबकि टिकट बंटवारे में बीजेपी का झुकाव सवर्ण और राजद का अपने एमवाई फैक्टर की तरफ ज्यादा दिखाई दिया.
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बीजेपी नेताओं का चिराग को सपोर्ट
चिराग पासवान अपने फिल्मी अंदाज में कम चर्चा में रहे. कई क्षेत्रों में उनके दल के लिए मुख्य रूप से भाजपा के बड़े नेता और कार्यकर्ता ही काम करते दिखे. कई सीटों पर अचानक से अनजान लोगों को टिकट मिलने की बात भी आम जनों के बीच रही.
मोकामा की अचानक घटना ने मीडिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा, लेकिन ऐसा आकलन है कि सिवाय पटना जिले की दो-चार सीटों को छोड़कर शायद ही इसका प्रभाव कहीं हो.
किस करवट लेगा चुनाव?
राजनीतिक में गठबंधन के अंदर की राजनीति और जाति के अंदर स्वयं को अकेला रखने की सियासत मतदान में कहीं कहीं प्रभाव डाल सकती है, लेकिन रिपोर्ट्स पर यकीन करें तो इसका अनुमान कम ही है क्योंकि चुनाव के नजदीक आते आते दोनों गठबंधन पूरी एकता और मजबूती से मैदान में हैं. जहां विरोधाभास है, वहां स्टार प्रचारक उस गैप को कम कर रहे हैं.
प्रचार थमने के बाद अब सारा खेल चुनाव प्रबंधन पर आ गया है. इतना तय है कि अपने ज्यादा वोटरों को मतदान केंद्र तक पहुंचा पाने वाले प्रत्याशी का ऊपरी हाथ रहेगा. लगभग हर प्रत्याशी का बैक ऑफिस इसमें जुटा है. टेक्नोलॉजी सबके पास है, धन सबके पास है, अब जिसके कार्यकर्ता मजबूत होंगे, मतों का झुकाव उधर ज्यादा होने का अनुमान रहेगा.
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