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बिहार के मुख्यमंत्री की गाड़ी का पॉल्यूशन फेल, नीतीश कुमार पर उठने लगे सवाल    

Nitish Kumar Bihar Law And Order: नीतीश कुमार को बिहार की कानून व्यवस्था को सुधारने वाले सीएम के तौर पर जाना जाता है, लेकिन अब उन पर सवाल उठ रहे हैं...

बिहार के मुख्यमंत्री की गाड़ी का पॉल्यूशन फेल, नीतीश कुमार पर उठने लगे सवाल    
Nitish Kumar Car Pollution: नीतीश कुमार की कार के प्रदूषण का मामला तूल पकड़ता जा रहा है.

Nitish Kumar Bihar Law And Order: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) की सरकारी गाड़ी BR01CL0077 नियमों का उल्लंघन करती पाई गई है. इस गाड़ी का पॉल्यूशन सर्टिफिकेट 4 अगस्त 2024 को समाप्त हो चुका है, लेकिन इसके बावजूद यह गाड़ी सड़कों पर चल रही है. यह जानकारी तब सामने आई जब मुख्यमंत्री रोहतास जिले के करहगर प्रखंड के कुसही बेतिया गांव में डीएम दिनेश कुमार राय के पिता की पुण्यतिथि में शामिल होने पहुंचे.हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब मुख्यमंत्री की गाड़ी नियमों का उल्लंघन करती पाई गई है. इससे पहले 23 फरवरी 2024 को इस गाड़ी का सीट बेल्ट न लगाने के लिए 1000 रुपये का चालान काटा गया था, लेकिन अब तक यह जुर्माना जमा नहीं किया गया है. 

परिवहन विभाग पर सवाल  

परिवहन विभाग राज्य भर में वाहन चेकिंग अभियान चला रहा है. इस अभियान के तहत आम जनता के वाहनों में अगर थोड़ी भी कागजी कमी मिलती है तो तुरंत चालान काटा जा रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री की गाड़ी का पॉल्यूशन फेल होने के बावजूद क्या उनपर जुर्माना लगाया जाएगा? आरजेडी नेता विमल कुमार ने कहा, "यह बिहार का दुर्भाग्य है कि मुख्यमंत्री की अपनी गाड़ी का पॉल्यूशन फेल है, जबकि वह आम जनता पर बेवजह जुर्माना लगवाकर अत्याचार करवा रहे हैं. राज्य के कई मंत्रियों की सरकारी गाड़ियों के कागजात भी अधूरे मिलेंगे. यह सुशासन के दावे की पोल खोलता है."  

समाजसेवी ने उठाए सवाल  

समाजसेवी आशुतोष कुमार ने इस मामले में कहा, "हमने भी इस गाड़ी का पॉल्यूशन चेक किया और पाया कि यह कई महीनों से फेल है. यदि यही मामला किसी आम व्यक्ति का होता, तो तुरंत चालान काटा जाता. मुख्यमंत्री की गाड़ी पर भी जुर्माना लगाना चाहिए."  

क्या होगा अगला कदम? 

अब यह देखना महत्वपूर्ण है कि मुख्यमंत्री की गाड़ी पर परिवहन विभाग कार्रवाई करता है या नहीं. अगर मुख्यमंत्री की गाड़ी पर जुर्माना नहीं लगता है, तो यह राज्य में कानून और नियमों के प्रति सरकार की गंभीरता पर सवाल खड़ा करेगा. इस घटना ने राज्य में नियमों के पालन और उनके लागू होने के तरीके पर बहस छेड़ दी है. विपक्ष सवाल उठा रहा है कि क्या नियम सिर्फ आम जनता के लिए बनाए गए हैं?
 

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