- विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण में नीतीश कुमार की मजबूत जातीय और प्रशासनिक पकड़ निर्णायक साबित हो सकती है
- प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने चार उपचुनावों में महत्वपूर्ण वोट शेयर हासिल कर राजनीतिक प्रभाव दिखाया है
- पॉलिटिकल एक्सपर्ट सतीश के. सिंह कहते हैं कि पीके की पार्टी असर डालेगी, उन्होंने एक नैरेटिव खड़ा किया है.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण के लिए मंगलवार को वोट डाले जाएंगे. इस बार का चुनाव कई मायनों में खास है, लेकिन सबसे दिलचस्प बात यह है कि मुकाबला सिर्फ पारंपरिक दलों के बीच नहीं, बल्कि कई फैक्टरों के बीच भी है. तमाम फैक्टर के बीच सबसे अधिक चर्चा एन और पी फैक्टर की भी हो रही है. एनडीटीवी के एडिटर-इन-चीफ राहुल कंवल ने विशेष कार्यक्रम ‘मुकाबला - बिहार विधानसभा चुनाव 2025' में इन दोनों फैक्टर्स का गहराई से विश्लेषण किया है.
N फैक्टर: नीतीश कुमार की निर्णायक उपस्थिति
नीतीश कुमार बिहार की राजनीति के सबसे अनुभवी चेहरों में से एक हैं. हालांकि हाल के वर्षों में उनकी लोकप्रियता में गिरावट आई है, लेकिन वे अब भी एक मजबूत जातीय समीकरण और प्रशासनिक अनुभव के साथ मैदान में हैं. सतीश के. सिंह के अनुसार, नीतीश कुमार का प्रभाव अब भी निर्णायक है, खासकर ग्रामीण इलाकों और पुराने समर्थक वर्गों में. उनका मानना है कि वो निश्चित तौर पर इस चुनाव में भी बेहद प्रभावी हैं.
P फैक्टर: प्रशांत किशोर का नया प्रयोग
प्रशांत किशोर, जो पहले चुनावी रणनीतिकार के रूप में जाने जाते थे, अब खुद एक राजनीतिक दल जन सुराज के संस्थापक और नेता हैं. उन्होंने चार उपचुनावों में अपने उम्मीदवार उतारे और कुछ सीटों पर उल्लेखनीय प्रदर्शन किया. उदाहरण के लिए:
- बेलागंज में तीसरे स्थान पर रहते हुए 17,285 वोट मिले.
- इमामगंज में 37,103 वोट के साथ फिर तीसरे स्थान पर.
- रामगढ़ में 6,513 वोट, चौथा स्थान.
- तरारी में 5,592 वोट, तीसरा स्थान.
पॉलिटिकल एक्सपर्ट सतीश के. सिंह कहते हैं कि पीके की पार्टी असर डालेगी, लेकिन उन्होंने एक नैरेटिव खड़ा किया है. खासकर गंगा के उस पार और मगध क्षेत्र में उनका असर देखा जा सकता है. पटना की सीटों कुम्हरार और दीघा में उन्होंने बीजेपी को नुकसान पहुंचाया है.
क्या PK सरकार बनाने में गेमचेंजर बन सकते हैं?
विश्लेषकों का मानना है कि अगर जन सुराज को 7% से कम वोट मिलते हैं, तो उन्हें 0 से 5 सीटें मिल सकती हैं. 7-14% वोट शेयर पर 5 से 20 सीटें, और 14-17% पर 21 से 40 सीटें संभव हैं. लेकिन अगर वोट शेयर 18% से ऊपर चला गया, तो सीटों का अनुमान लगाना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि भारत के फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट सिस्टम में वोटों का बिखराव नतीजों को अप्रत्याशित बना देता है.

PK किसे नुकसान पहुंचाएंगे NDA या MGB?
यह चुनावी समीकरण का सबसे बड़ा सवाल है. अगर पीके के वोट गठबंधन (MGB) से ज्यादा कटते हैं, तो NDA को फायदा होगा. लेकिन अगर NDA से वोट कटते हैं, तो गठबंधन को बढ़त मिल सकती है. यही वजह है कि सतीश के. सिंह कहते हैं, “सीटें भले न आएं, लेकिन पीके के वोट ही इस बार सरकार की दिशा तय करेंगे.”
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