
- बिहार की 243 विधानसभा सीटों के आगामी चुनाव के बाद मैथिली ठाकुर और बीजेपी नेता विनोद तावड़े की मुलाकात हुई है.
- मुलाकात के बाद मैथिली ठाकुर को चुनाव में टिकट मिलने और चुनाव लड़ने की संभावनाएं बढ़ गई हैं.
- मैथिली ठाकुर की दरभंगा की अलीनगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा राजनीतिक गलियारों में हो रही है.
चुनाव आयोग की ओर से बिहार की 243 विधानसभा सीटों के लिए दो चरणों में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है. इसी बीच, बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका मैथिली ठाकुर की मुलाकात बीजेपी के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े से हुई है. इस मुलाकात के बाद से बिहार के राजनीतिक गलियारों में अटकलों का दौर शुरू हो गया है.
ऐसी खबरें हैं कि बीजेपी उन्हें आगामी चुनाव में टिकट दे सकती है, जिसके बाद उनके चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही है. राजनीतिक दल जहां अपने-अपने खेमे को मजबूत करने में जुटे हैं. वहीं, मैथिली ठाकुर और बीजेपी नेता की यह मुलाकात राज्य की राजनीति में नए समीकरणों की ओर इशारा कर रही है.

दरअसल, रविवार को मैथिली ठाकुर ने बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और बिहार के प्रभारी विनोद तावड़े से मुलाकात की. इस अहम बैठक के दौरान बीजेपी के दिग्गज नेता नित्यानंद राय भी मौजूद थे. विनोद तावड़े ने मैथिली ठाकुर के साथ मुलाकात की यह तस्वीर अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर साझा की थी. तस्वीर में मैथिली ठाकुर के साथ उनके पिता भी नजर आ रहे हैं. आगामी विधानसभा चुनावों की तारीखें घोषित होने के बीच हुई इस मुलाकात को मैथिली ठाकुर की सियासी एंट्री से जोड़कर देखा जाना लाजमी है. दरभंगा की अलीनगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की बात कही जा रही है.
मिथिलांचल का प्रभावशाली चेहरा मानी जाती हैं मैथिली ठाकुर
मैथिली ठाकुर मिथिलांचल का एक बहुत बड़ा और प्रभावशाली चेहरा हैं. मैथिली और भोजपुरी जैसी स्थानीय भाषाओं में लोकगीत, छठ गीत, कजरी और पारंपरिक भजन गाती हैं. उनके पिता रमेश ठाकुर भी संगीतकार हैं, जिन्होंने उन्हें बचपन से ही संगीत की शिक्षा दी, जिससे उनकी संगीत की जड़ों पर मिथिला की छाप गहरी है.
मैथिली के लाखों फॉलोअर्स हैं
मैथिली ठाकुर की लोकप्रियता केवल बिहार तक ही सीमित नहीं है, लेकिन मिथिलांचल में यह अत्यधिक प्रभावी है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उनके लाखों फॉलोअर्स हैं, खासकर युवाओं के बीच उनकी जबरदस्त फैन फॉलोइंग है. यह उन्हें किसी भी राजनीतिक दल के लिए एक 'गेम चेंजर' या प्रभावशाली चेहरा बनाता है. 2023 में चुनाव आयोग ने उन्हें बिहार का 'स्टेट आइकन' नियुक्त किया था। उन्होंने मतदाता जागरूकता अभियानों में भी सक्रिय भूमिका निभाई है.
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