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चोरिया-बरियारपुर सीट : पिछले चुनाव में बड़े मार्जन से जीती RJD के सामने BJP को करनी पड़ेगी कड़ी मशक्कत

चेरिया-बरियारपुर सीट के चुनावी नतीजे हर बार चौंकाने वाले रहे, क्योंकि मतदाताओं ने अधिक बार बदलाव के पक्ष में फैसला सुनाया हालांकि 2020 विधानसभा चुनाव सहित दो बार राजद ने इस सीट से बड़े मार्जिन से जीत हासिल की है.

चोरिया-बरियारपुर सीट : पिछले चुनाव में बड़े मार्जन से जीती RJD के सामने BJP को करनी पड़ेगी कड़ी मशक्कत
प्रतीकात्मक फोटो

बिहार की चेरिया-बरियारपुर क्षेत्र मुख्य रूप से ग्रामीण और बाढ़ प्रभावित इलाका है. कोसी और गंडक नदियों के बीच बसे इस क्षेत्र में हर साल आने वाली बाढ़ किसानों की फसलों और आजीविका को प्रभावित करती है. यादव, कुर्मी, पासवान और मुस्लिम मतदाता यहां के चुनावी गणित को तय करते हैं. यादव-मुस्लिम आबादी करीब 40% होने से राजद को यहां परंपरागत बढ़त मिलती रही है. भाजपा ने हाल के वर्षों में मंदिर विकास योजनाओं और स्थानीय संपर्कों के माध्यम से अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की है. शिक्षा, स्वास्थ्य और राहत व्यवस्था की समस्याएं यहां प्रमुख हैं. सड़क और बिजली के हालात सुधरे हैं, लेकिन रोजगार की कमी अब भी बड़ी चिंता है. जन सुराज की पहुंच सीमित है, पर युवाओं के बीच उसका आकर्षण बढ़ रहा है.

इस सीट के चुनावी नतीजे हर बार चौंकाने वाले रहे, क्योंकि मतदाताओं ने अधिक बार बदलाव के पक्ष में फैसला सुनाया हालांकि 2020 विधानसभा चुनाव सहित दो बार राजद ने इस सीट से बड़े मार्जिन से जीत हासिल की है. ऐसे में एनडीए को इस सीट पर जीत के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है.  चेरिया बरियारपुर, बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र के सात विधानसभा क्षेत्रों, चेरिया बरियारपुर, बछवाड़ा, तेघरा, मटिहानी, साहबपुर कमाल, बेगूसराय और बखरी (एससी) में से एक है.

चेरिया बरियारपुर एक सामुदायिक विकास खंड है, जो मध्य गंगा मैदानों में स्थित है. बेगूसराय शहर से 22 किमी दूर, यह इलाका बुढ़ी गंडक, करेह और बागमती नदियों से घिरा है. निचला भूभाग होने से मानसून में बाढ़ की चपेट में रहता है, लेकिन उपजाऊ मिट्टी कृषि को मुख्य आजीविका बनाती है. धान, गेहूं और मक्का प्रमुख फसलें हैं. हाल के वर्षों में बाढ़ ने लाखों हेक्टेयर फसल बर्बाद की है, जिससे किसान परेशान हैं. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बेगूसराय को बाढ़ प्रभावित जिला घोषित करने की मांग की है. आसपास के क्षेत्रों की बात करें तो रोसड़ा 30 किमी और दलसिंहसराय 40 किमी की दूरी पर हैं. वहीं चेरिया बरियारपुर से प्रदेश की राजधानी पटना 120 किलोमीटर की दूरी पर है. 1977 में गठित यह सामान्य सीट चेरिया-बरियारपुर, चौराही ब्लॉकों और नवकोठी के कुछ पंचायतों को कवर करती है. जातीय समीकरण की बात करें तो कुशवाहा समुदाय का दबदबा है, साथ ही यादव, भूमिहार और पिछड़े वोटर प्रभावी हैं.

यहां पर अब तक 11 बार विधानसभा चुनाव हुए, लेकिन ज्यादातर बार परिणाम बदलते रहें. 1977-85 में कांग्रेस, 1990-95 में जनता दल, 2005 में लोजपा (दो बार मामूली अंतर से), 2010-15 में जदयू, 2000-2020 में राजद ने जीती. 1980 में सीपीआई की एकमात्र जीत. राजद की जीतें भारी मार्जिन वाली रहीं, जिसमें 2000 में 35,154 वोट, 2020 में राजबंशी महतो ने जदयू की मंजू वर्मा को 40,897 वोटों से हराया था. वहीं 2015 में जदयू की मंजू वर्मा ने 29,736 वोटों से जीत हासिल की, जबकि 2010 में 1,061 वोटों से। लोजपा को 2005 में जीत, जबकि 2010 में हार का सामना करना पड़ा. चुनाव आयोग के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस क्षेत्र की कुल जनसंख्या 4,44,930 है, जिसमें पुरुष 2,31,869 और महिलाएं 2,13,061 हैं। कुल मतदाता 2,71,391 हैं, जिनमें पुरुष 1,41,838, महिला 1,29,537 और थर्ड जेंडर 16 शामिल हैं.

2025 चुनाव की बात करें तो इस बार क्षेत्र में बाढ़ नियंत्रण, रोजगार, शिक्षा और कृषि सुधार प्रमुख मुद्दे होंगे. विपक्ष महागठबंधन (राजद-कांग्रेस) और एनडीए (जदयू-बीजेपी) के बीच टक्कर होगी। विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से मतदाता सूची विवाद है, जिसको लेकर विपक्ष कथित तौर पर वोट चोरी का आरोप लगा रहा है। बेगूसराय वामपंथी विचारों का गढ़ रहा, लेकिन अब जातीय समीकरण तय करेंगे. जनसुराज और अन्य नई पार्टियां भी मैदान में हैं.

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