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Bihar Election 2025: लालू-तेजस्वी की टेंशन बढ़ी! कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को अपने ही क्षेत्र में वोटरों ने घेरा, लगाए 'मुर्दाबाद' के नारे

बिहार कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और कुटुम्बा विधायक राजेश कुमार राम को औरंगाबाद के देव में विरोध का सामना करना पड़ा. आंबेडकर छात्रावास के शिलान्यास में जनता ने 'मुर्दाबाद' के नारे लगाए. क्या कट सकता है विधायक का टिकट?

Bihar Election 2025: लालू-तेजस्वी की टेंशन बढ़ी! कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को अपने ही क्षेत्र में वोटरों ने घेरा, लगाए 'मुर्दाबाद' के नारे
वापस जाओ के नारे! बिहार कांग्रेस चीफ राजेश कुमार राम पर जनता का गुस्सा फूटा, दोबारा टिकट पर संकट!

Bihar News: बिहार की राजनीति में इस समय सियासी हलचल तेज है. एक तरफ जहां राजद के कई विधायकों पर जनता की नाराजगी है, वहीं अब कांग्रेस के भी प्रदेश अध्यक्ष को अपने ही गढ़ में वोटरों के तीखे विरोध का सामना करना पड़ा है. मामला औरंगाबाद जिले के देव प्रखंड का है, जहां कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और कुटुम्बा विधायक राजेश कुमार राम शनिवार शाम को आंबेडकर छात्रावास का शिलान्यास करने पहुंचे थे. लेकिन कार्यक्रम में जो हुआ, उसने सबको चौंका दिया.

'वापस जाओ' के लगे नारे

कार्यक्रम में पहले से ही सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित थे. जैसे ही कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार राम ने मंच संभाला और भाषण देना शुरू किया, भीड़ में मौजूद लोगों ने जोरदार विरोध शुरू कर दिया. पूरे कार्यक्रम में 'मुर्दाबाद' और 'राजेश कुमार राम वापस जाओ' के नारे गूंजने लगे. यह विरोध इतना तीखा था कि कार्यक्रम में शामिल सुरक्षा बलों को भीड़ को शांत कराने की कोशिश करनी पड़ी, लेकिन भीड़ शांत नहीं हो पाई. हैरानी की बात यह रही कि भीषण विरोध के बावजूद विधायक राजेश कुमार राम अडिग रहे और नारेबाजी के बीच भी अपना भाषण जारी रखा. इस घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने कांग्रेस हाईकमान और महागठबंधन के नेताओं की टेंशन बढ़ा दी.

दूसरी बार के विधायक पर क्यों फूटा गुस्सा?

राजेश कुमार राम कुटुम्बा विधानसभा क्षेत्र से दूसरी बार विधायक हैं. आम तौर पर, प्रदेश अध्यक्ष पद पर बैठे किसी नेता को अपने ही क्षेत्र में इस तरह का खुला विरोध कम ही झेलना पड़ता है. जनता का गुस्सा अक्सर विकास कार्यों की कमी, जनसंपर्क या स्थानीय मुद्दों की अनदेखी से जुड़ा होता है. अगर यह विरोध आगामी चुनाव तक जारी रहता है, तो विधायक राजेश कुमार राम के लिए यह बड़ी चुनौती साबित हो सकता है. एक प्रदेश अध्यक्ष का अपने ही गढ़ में यह हाल होना, महागठबंधन के टिकट वितरण और चुनावी रणनीति पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है.

हाईकमान की नजर

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इस विरोध पर क्या प्रतिक्रिया देता है. क्या पार्टी जनता के गुस्से को गंभीरता से लेगी और अगले चुनाव में टिकट काटने का फैसला लेगी? या फिर पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के पद को देखते हुए उन्हें फिर से मौका देगी? जिस तरह से विधायक राजेश कुमार राम को अपने ही क्षेत्र के वोटरों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है, उससे साफ है कि उनका राजनीतिक भविष्य अब आने वाले समय और पार्टी के फैसले पर निर्भर करेगा.

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