Ambulance Scam in Bihar: कोरोना वायरस के प्रकोप ने स्वास्थ्य सुविधाओं की कलई खोलकर रख दी, तमाम दावों के बीच लोग बुनियादी सुविधाओं के नाम पर दर-दर भटकते दिखाई दिए. बिहार में भी ऐसे ही हालात देखने को मिले और अब कोरोना से जंग के दौरान किए एक घोटाले की जानकारी सामने आ रही है. यह घोटाला बिहार के सिवान जिले में हुआ है. यहां सात लाख की कीमत वाली एंबुलेंस को 21 लाख में खरीदने का मामला सामने आया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार सात एंबुलेंस को पिछले साल ऊंचे दामों में खरीदा गया था, ध्यान देने वाली बात ये है कि इन एंबुलेंस का इस्तेमाल आज तक नहीं हुआ है. बताते चलें कि सिवान राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय का गृह जिला भी है. गौर है कि दूसरी लहर के दौरान राज्य में एंबुलेंस की कमी का मामला सामने आया था और इस विषय पर जमकर सियासी घमासान भी हुआ था.
नौ की लकड़ी नब्बे खर्च की तर्ज पर इन एंबुलेंस की खरीद की गई है. जिस एंबुलेंस की कुल कीमत सात लाख बताई जा रही है, उसके अपग्रेडशन के नाम पर 6 लाख 72 हजार का बिल पास कराया गया है. इतना ही नहीं मेडिकल उपकरण के नाम पर करीब 6 लाख और लिए गए हैं. इस तरह सात लाख की कीमत वाली एंबुलेंस को 21 लाख रुपये में खरीदा गया है. मामला सामने आने के बाद जिलाअधिकारी ने इसकी जांच कराने के आदेश दिए हैं, लेकिन इस मामले ने राज्य में एंबुलेंस खरीददारी के नाम पर किए गए बड़े घोटाले की तरफ इशारा कर दिया है.
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आने वाले दिनों में बिहार में इस एंबुलेंस घोटाले के नाम पर होने वाले राजनीतिक घमासान की संभावना को नकारा नहीं जा सकता है. कोरोना के दौरान बिहार में व्यवस्थाओं को लेकर विपक्ष लगातार सवालिया निशान लगाता रहा है. पिछले दिनों बिहार में एंबुलेंस के नाम पर उन दिनों राजनीतिक टकराव देखने को मिला था जब बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी के दफ्तर पर कुछ एंबुलेंस मिली थीं. पप्पू यादव ने इसका खुलासा किया था जिसके बाद उन्हें गिरफ्तारी का भी सामना करना पड़ा था.
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