
नवरात्रि में पूरे देश में मंदिरों में आस्था का सैलाब नजर आता है. आस्था ऐसी की मंदिर में पूजा करने के लिए लोग घंटों कतार में खड़े रहते हैं. कई बार तो ऐसा होता है भीड़ की वजह से लोगों को दुर्घटना का शिकार होना पड़ता है. लेकिन इसके बावजूद आस्था में किसी तरह की कमी नहीं आती है. ऐसा ही आस्था का मंदिर बिहार के कैमूर जिले में चैनपुर में स्थित हरसू ब्रह्म स्थान है. इस मंदिर को लेकर बताया जाता है कि नवरात्रि के दौरान यहां भूतों का मेला लगता है. इसके लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमर पड़ती है. इतना ही नहीं इस मंदिर को भूत-पिसाच का सुप्रीम कोर्ट कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि कितना भी बिगड़ैल भूत-पिसाच हो बाबा के दरबार में शांत हो जाता है. ऐसे में यहां देश के अलग-अलग राज्यों से अपनी परेशानी दूर करने के लिए श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.
क्या है इस मंदिर की कहानी
हरसू ब्रह्म धाम की कहानी वर्षो पुरानी है. बाबा हरसू जो जाति के ब्राह्मण थे वह राजा शालिवाहन के राज्य पुरोहित थे, राजा को कोई संतान नहीं था. जिसको लेकर हरसू जी राजा को सलाह दी थी कि आप दूसरी शादी कर लें. लेकिन जब शादी हुई तो इससे पहली रानी नाराज हो गई और राजा से कह कर हरसू बाबा के महल को ध्वस्त करा दिया. इस घटना से हरसू बाबा नाराज हो गए और उन्होंने राजा और उनके राजपाट का विनाश कर डाला और खुद भी शरीर को त्याग दिया. ऐसे में लोगों की आस्था हरसू बाबा को लेकर काफी बढ़ गई और शरीर त्याग के बाद वहीं पर लोगों ने ब्रह्म स्थान बना दिया और पूजा अर्चना शुरू हो गई.

बढ़ रहा अंधविश्वास
धीरे-धीरे यहां लोगों की आस्था और भी बढ़ते गई और यह दूर-दूर तक फैल गई. अब विज्ञान के युग में लोग अंध-विश्वास के साथ जीने को मजबूर हैं. क्योंकि श्रद्धालुओं के बीच यह मान्यता हो गई की यहां आने से बड़े से बड़े रोग और भूत-प्रेत बाबा ठीक कर देते हैं.
बता दें, सरकार लगातार अंधविश्वास के खिलाफ अभियान चला रही. लेकिन इसके बावजूद लोग अंधविश्वास में जी रहे है और डॉक्टर के पास जाने के बदले ओझा गुनी के पास जाते है. पूरी नवरात्र अंधविश्वास से भरे लोगों का जमावड़ा लगता है.यह आस्था है या अंधविश्वास.
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