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This Article is From Sep 20, 2015

बीजेपी ने दिया गच्चा, पप्पू यादव अब सपा-एनसीपी के साथ मिलकर लड़ेंगे बिहार चुनाव

बीजेपी ने दिया गच्चा, पप्पू यादव अब सपा-एनसीपी के साथ मिलकर लड़ेंगे बिहार चुनाव
पप्पू यादव (फाइल फोटो)
पटना: पप्पू यादव ने घोषणा की है कि उनकी नवगठित पार्टी जन अधिकार मोर्चा आगामी बिहार विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी और एनसीपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी। सपा और एनसीपी ने नीतीश-लालू गठबंधन द्वारा उन्हें कम सीट दिए जाने से नाराज होकर महागठबंधन से अलग होने का निर्णय लिया था।

कभी बीजेपी से बढ़ रही थी पप्पू यादव की करीबी
सूत्रों के मुताबिक मधेपुरा से सांसद पप्पू यादव हाल तक ऐसे संकेत दे रहे थे कि वह बीजेपी के साथ गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ेंगे, लेकिन उन्हें मजबूर होकर यू-टर्न लेना पड़ा। सूत्रों ने कहा कि पप्पू यादव ने नहीं, बल्कि बीजेपी ने उनके साथ गठबंधन करने से इनकार कर दिया।

पप्पू यादव बिहार के एक विवादित नेता हैं। एक हाई प्रोफाइल हत्याकांड में कुछ वर्ष पहले उनकी रिहाई को सीबीआई ने कोर्ट में चुनौती दे रखी है। पप्पू यादव मधेपुरा और उत्तरी बिहार के कुछ अन्य इलाकों में यादव वोटों पर पकड़ रखते हैं। यादव वोटरों का झुकाव ज्यादातर लालू यादव की ओर माना जाता है, जिनकी पार्टी सीएम नीतीश कुमार के साथ मिलकर इस बार चुनाव लड़ रही है।

आरजेडी से क्यों निकाले गए पप्पू यादव
मई में पप्पू यादव को लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी से निष्कासित कर दिया गया था, क्योंकि वह बार-बार लालू के उस बयान पर सवाल उठा रहे थे, जिसमें लालू ने कहा था कि उनके दोनों बेटों में से कोई एक पार्टी में उनका उत्तराधिकारी बनेगा।

पप्पू यादव के नजदीकी सूत्रों ने बताया कि आरजेडी से निष्कासित होने से पहले ही पप्पू यादव ने दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी, जिससे उनके बीजेपी के प्रति बढ़ते झुकाव का संकेत मिला था। लेकिन बीजेपी सूत्रों के मुताबिक पप्पू यादव की छवि और आपराधिक मामलों में उनकी संलिप्तता के कारण बीजेपी को इस बारे में दोबारा गौर करना पड़ा।

पप्पू यादव को वाई कैटेगरी की सिक्योरिटी
हालांकि दो महीने पहले गृह मंत्रालय ने पप्पू यादव को राजनीतिक विरोधियों, अपराधियों और माओवादियों से खतरा होने की बात बताकर वाई कैटेगरी की सुरक्षा प्रदान की गई। 48 वर्षीय सांसद की सुरक्षा में अब 11 सुरक्षाकर्मी तैनात हैं।
पप्पू यादव का मूल नाम राजेश रंजन है और उन्हें एक वाम नेता की हत्या के मामले में 2008 में दोषी करार दिया गया था, लेकिन ऊपरी अदालत ने उन्हें 2013 में बरी कर दिया। सीबीआई ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है।

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