लालू यादव के बेटे तेजस्वी पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं
राघोपुर:
बिहार के पूर्व क्रिकेटर तेजस्वी यादव एक मिशन पर निकले हैं। लालू प्रसाद यादव के 26 साल के बेटे और उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी तेजस्वी चाहते हैं कि इस बार वह अपने परिवार के पुराने गढ़ राघोपुर से जीत दर्ज करें जिस पर 2010 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने कब्ज़ा जमा लिया था।
तेजस्वी का यह मकसद आसान होता दिख रहा है क्योंकि इस बार के विधानसभा चुनाव में जेडीयू और राजद ने हाथ मिला लिया है। हालांकि कहानी में थोड़ा ट्विस्ट है, पिछली बार राघोपुर से सतीश कुमार जीते थे जिन्होंने इस बार भाजपा से हाथ मिला लिया है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इस बार सतीश की जगह गठबंधन ने लालू के बेटे को इस सीट से चुनावी टिकट मिला है।
तेजस्वी पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं और उनका मानना है कि बिहार के वैशाली जिले में स्थित राघोपुर उनके लिए एकदम सही जगह होगी। तेजस्वी के पिता लालू और मां राबड़ी देवी (दोनों ही पूर्व मुख्यमंत्री) यादव बहुल क्षेत्र राघोपुर से जीतते आ रहे हैं। यह सिलसिला 1995 से शुरू हुआ था और 15 साल तक चलता रहा इसलिए इसे राजद समर्थकों का गढ़ भी माना जाता है।
वीआईपी चुनावी क्षेत्र बेहाल
पिछले चुनाव में राबड़ी देवी की हार की मुख्य वजह वीआईपी चुनावी क्षेत्र के होते हुए भी इस इलाके में व्याप्त पिछड़ेपन को बताया गया था।
तेजस्वी यादव इस वजह से भलीभांति परिचित हैं इसलिए उन्होंने वोटरों को लुभाने के लिए पुलों का पुनर्निमाण शुरू कर दिया है। चुनावी अभियान पर भी वह कुछ कमर-तोड़ मेहनत कर रहे हैं और नाव से सफर कर रहे हैं क्योंकि राज्य के दूसरे इलाकों से जोड़ने के लिए पुल नहीं है और सड़के मरम्मत की गुहार लगा रही हैं।
लालू के सबसे छोटे बेटे को हर 100 मीटर पर लोगों से मिलने के लिए अपनी एसयूवी से उतरना अखर नहीं रहा है।
लालू के बेटे होने का फायदा?
80 साल की सुमति देवी से तेजस्वी ने पूछा - अपना आशीर्वाद नहीं दोगी? सुमति को सुनाई कम देता है इसलिए तेजस्वी ने उनका हाथ अपने सिर पर खुद ही रख लिया और कहा 'मैं अपने आप ही आपका आशीर्वाद ले लेता हूं।'
बिहार की राजनीति में जातीवाद हावी है लेकिन तेजस्वी का कहना है कि वह इसके अलावा युवाओं और विकास पर भी काम करना चाहते हैं। इस बात पर तेजस्वी के कट्टर प्रतिद्वंद्वी सतीश कुमार (भाजपा) हंसकर कहते हैं 'वो जवान हो सकता है, लेकिन मैं भी बहुत बुढ़ा नहीं हुआ हूं।' सतीश का कहना है कि तेजस्वी को लालू के बेटे होने का फायदा मिल सकता है लेकिन उनका वोटबैंक भी अब पूरी तरह उनका कहां रहा।
तेजस्वी का यह मकसद आसान होता दिख रहा है क्योंकि इस बार के विधानसभा चुनाव में जेडीयू और राजद ने हाथ मिला लिया है। हालांकि कहानी में थोड़ा ट्विस्ट है, पिछली बार राघोपुर से सतीश कुमार जीते थे जिन्होंने इस बार भाजपा से हाथ मिला लिया है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इस बार सतीश की जगह गठबंधन ने लालू के बेटे को इस सीट से चुनावी टिकट मिला है।
तेजस्वी पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं और उनका मानना है कि बिहार के वैशाली जिले में स्थित राघोपुर उनके लिए एकदम सही जगह होगी। तेजस्वी के पिता लालू और मां राबड़ी देवी (दोनों ही पूर्व मुख्यमंत्री) यादव बहुल क्षेत्र राघोपुर से जीतते आ रहे हैं। यह सिलसिला 1995 से शुरू हुआ था और 15 साल तक चलता रहा इसलिए इसे राजद समर्थकों का गढ़ भी माना जाता है।
वीआईपी चुनावी क्षेत्र बेहाल
पिछले चुनाव में राबड़ी देवी की हार की मुख्य वजह वीआईपी चुनावी क्षेत्र के होते हुए भी इस इलाके में व्याप्त पिछड़ेपन को बताया गया था।
राघोपुर में न पुल हैं न ढंग की सड़कें
तेजस्वी यादव इस वजह से भलीभांति परिचित हैं इसलिए उन्होंने वोटरों को लुभाने के लिए पुलों का पुनर्निमाण शुरू कर दिया है। चुनावी अभियान पर भी वह कुछ कमर-तोड़ मेहनत कर रहे हैं और नाव से सफर कर रहे हैं क्योंकि राज्य के दूसरे इलाकों से जोड़ने के लिए पुल नहीं है और सड़के मरम्मत की गुहार लगा रही हैं।
लालू के सबसे छोटे बेटे को हर 100 मीटर पर लोगों से मिलने के लिए अपनी एसयूवी से उतरना अखर नहीं रहा है।
लालू के बेटे होने का फायदा?
80 साल की सुमति देवी से तेजस्वी ने पूछा - अपना आशीर्वाद नहीं दोगी? सुमति को सुनाई कम देता है इसलिए तेजस्वी ने उनका हाथ अपने सिर पर खुद ही रख लिया और कहा 'मैं अपने आप ही आपका आशीर्वाद ले लेता हूं।'
बिहार की राजनीति में जातीवाद हावी है लेकिन तेजस्वी का कहना है कि वह इसके अलावा युवाओं और विकास पर भी काम करना चाहते हैं। इस बात पर तेजस्वी के कट्टर प्रतिद्वंद्वी सतीश कुमार (भाजपा) हंसकर कहते हैं 'वो जवान हो सकता है, लेकिन मैं भी बहुत बुढ़ा नहीं हुआ हूं।' सतीश का कहना है कि तेजस्वी को लालू के बेटे होने का फायदा मिल सकता है लेकिन उनका वोटबैंक भी अब पूरी तरह उनका कहां रहा।
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