प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी नीत एनडीए को मिली करारी शिकस्त की गाज राज्य से आने वाले मंत्रियों पर गिर सकती है। बीजेपी सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में फेरबदल का कोई वक्त तो तय नहीं किया गया है, लेकिन उम्मीद है कि संसद के शीतकालीन सत्र से पहले यह हो जाएगा।
सूत्र ने बताया कि पीएम मोदी उन मंत्रियों को हटा सकते हैं, जो बिहार चुनाव में उम्मीद के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि पार्टी की शीर्ष इकाई और प्रधानमंत्री उन मंत्रियों पर भी कार्रवाई कर सकते हैं, जिन्होंने गोकशी और दादरी की घटना पर गैरजिम्मेदाराना बयान दिए।
आपको बता दें कि केंद्र के पांच अहम मंत्री पूरे विधानसभा चुनाव के दौरान बिहार में डेरा डाले रहे। इनमें खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान और कृषि मंत्री राधामोहन सिंह भी शामिल हैं, जो कि दाल के बढ़े दामों को लेकर देश भर में मचे विवाद के बीच भी बिहार में ही डटे रहे।
सूत्र यह भी बता रहे हैं कि प्रधानमंत्री पार्टी के उन नेताओं से भी खासे 'खफा' हैं, जिन्होंने दादरी में बीफ की अफवाह पर भीड़ द्वारा एक व्यक्ति की हत्या पर गैरजिम्मेदाराना बयान दिए। आपको बता दें कि यह मुद्दा भी बिहार के चुनाव में खासा छाया रहा था और मुस्लिम मतदाताओं को गोलबंद करने में अहम कारक साबित हुआ।
बीजेपी ने हालांकि बिहार चुनावी के इन नतीजों को पीएम मोदी के 18 महीनों के कार्यकाल की रायशुमारी मानने से इनकार कर दिया है, लेकिन कई लोग इसे ऐसा ही मान रहे हैं। इस नतीजे से गदगद विपक्ष ने का कहना है कि बीजेपी के विकास के एजेंडा की पोल खुल गई है कि यह देश के गरीबों के लिए नहीं बल्कि सिर्फ अमीरों के विकास का मॉडल हैं।
सूत्र ने बताया कि पीएम मोदी उन मंत्रियों को हटा सकते हैं, जो बिहार चुनाव में उम्मीद के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि पार्टी की शीर्ष इकाई और प्रधानमंत्री उन मंत्रियों पर भी कार्रवाई कर सकते हैं, जिन्होंने गोकशी और दादरी की घटना पर गैरजिम्मेदाराना बयान दिए।
आपको बता दें कि केंद्र के पांच अहम मंत्री पूरे विधानसभा चुनाव के दौरान बिहार में डेरा डाले रहे। इनमें खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान और कृषि मंत्री राधामोहन सिंह भी शामिल हैं, जो कि दाल के बढ़े दामों को लेकर देश भर में मचे विवाद के बीच भी बिहार में ही डटे रहे।
सूत्र यह भी बता रहे हैं कि प्रधानमंत्री पार्टी के उन नेताओं से भी खासे 'खफा' हैं, जिन्होंने दादरी में बीफ की अफवाह पर भीड़ द्वारा एक व्यक्ति की हत्या पर गैरजिम्मेदाराना बयान दिए। आपको बता दें कि यह मुद्दा भी बिहार के चुनाव में खासा छाया रहा था और मुस्लिम मतदाताओं को गोलबंद करने में अहम कारक साबित हुआ।
बीजेपी ने हालांकि बिहार चुनावी के इन नतीजों को पीएम मोदी के 18 महीनों के कार्यकाल की रायशुमारी मानने से इनकार कर दिया है, लेकिन कई लोग इसे ऐसा ही मान रहे हैं। इस नतीजे से गदगद विपक्ष ने का कहना है कि बीजेपी के विकास के एजेंडा की पोल खुल गई है कि यह देश के गरीबों के लिए नहीं बल्कि सिर्फ अमीरों के विकास का मॉडल हैं।
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