
उपेंद्र कुशवाहा की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
बीजेपी की सहयोगी आरएलएसपी ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए सहयोगियों के लिए सीट बंटवारा कोई विवादपूर्ण मुद्दा नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में किसी को पेश न करने के गठबंधन के फैसले का समर्थन किया और जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने के लिए यह 'सर्वश्रेष्ठ विकल्प' है।
आरएलएसपी प्रमुख एवं केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने यह भी दावा किया कि महागठबंधन से मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी और एनसीपी के बाहर होने से बीजेपी नीत एनडीए को लाभ होगा।
अपनी पार्टी के इस रुख पर कि बीजेपी राज्य की 243 विधानसभा सीटों में से केवल 102 पर चुनाव लड़े और शेष सीट सहयोगी दलों के लिए छोड़ देगी, कुशवाहा ने कहा, 'ऐसी मांग थी, जो हमने विगत में उठाई थी। अब बात चल रही है। इसलिए इस विषय पर बाहर बात करना उचित नहीं होगा।'
मानव संसाधन राज्यमंत्री कुशवाहा ने कहा, 'सौदेबाजी करने का मेरा कोई इरादा नहीं है। हमारा एकमात्र उद्देश्य यह है कि बिहार में एनडीए की सरकार होनी चाहिए। हम इस दिशा में काम कर रहे हैं। हम किसी भी तरह की दबाव की राजनीति या सौदेबाजी करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं।' उन्होंने सीट बंटवारे को लेकर एनडीए में टकराव होने की खबरों को खारिज किया और इसे विरोधियों का 'दुष्प्रचार' करार दिया।
यह पूछे जाने पर कि क्या प्रतिद्वंद्वी विपक्षी खेमे के पास नीतीश कुमार जैसा कद्दावर नेता होने के बावजूद मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए बिना चुनाव मैदान में उतरकर एनडीए ने सही काम किया, कुशवाहा ने कहा, 'यह सर्वश्रेष्ठ विकल्प है।' कुशवाहा ने कहा, 'मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का फैसला सर्वश्रेष्ठ विकल्प है और हमने उसे अपनाया। वहां कोई चुनौती नहीं है... आज नीतीश राजग के लिए चुनौती नहीं हैं।'
आरएलएसपी ने कुछ महीने पहले मांग की थी कि कुशवाहा को एनडीए के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया जाए। हालांकि कुशवाहा मुद्दे पर सवालों को टाल गए। उनसे जब यह पूछा गया कि क्या वह उम्मीद करते हैं कि बीजेपी किसी गैर बीजेपी नेता को मुख्यमंत्री बना सकती है, कुशवाहा ने कहा, 'चुनाव में अभी यह मुद्दा नहीं है। एनडीए ने फैसला किया है कि बिहार में चुनाव नरेंद्र मोदी के नेतृतव में लड़ा जाएगा। जब समय आएगा तब इस मुद्दे को देखा जाएगा।'
कुशवाहा ने यह भी कहा कि बीजेपी जब जेडीयू की गठबंधन सहयोगी थी तो सरकार चलाने में इसकी कोई 'भूमिका नहीं' थी। उन्होंने कहा, 'गठबंधन में रहना और सरकार चलाना दो अलग-अलग चीजें हैं। हर कोई जानता है कि सभी नीतिगत फैसले नीतीश कुमार द्वारा लिए जा रहे थे। केवल नीतीश का हुक्म चलता था। बीजेपी सरकार में नाम मात्र को थी, न कि हकीकत में।'
कुशवाहा कोइरी समुदाय के प्रमुख नेता हैं। इस समुदाय के पांच प्रतिशत मतदाता हैं। उन्होंने मीडिया में आई इन खबरों को खारिज किया कि बिहार में समाजवादी पार्टी बीजेपी के कहने पर धर्मनिरपेक्ष गठबंधन से अलग हुई है। उन्होंने कहा कि यह नीतीश कुमार के 'अहंकार' का नतीजा है।
आरएलएसपी प्रमुख एवं केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने यह भी दावा किया कि महागठबंधन से मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी और एनसीपी के बाहर होने से बीजेपी नीत एनडीए को लाभ होगा।
अपनी पार्टी के इस रुख पर कि बीजेपी राज्य की 243 विधानसभा सीटों में से केवल 102 पर चुनाव लड़े और शेष सीट सहयोगी दलों के लिए छोड़ देगी, कुशवाहा ने कहा, 'ऐसी मांग थी, जो हमने विगत में उठाई थी। अब बात चल रही है। इसलिए इस विषय पर बाहर बात करना उचित नहीं होगा।'
मानव संसाधन राज्यमंत्री कुशवाहा ने कहा, 'सौदेबाजी करने का मेरा कोई इरादा नहीं है। हमारा एकमात्र उद्देश्य यह है कि बिहार में एनडीए की सरकार होनी चाहिए। हम इस दिशा में काम कर रहे हैं। हम किसी भी तरह की दबाव की राजनीति या सौदेबाजी करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं।' उन्होंने सीट बंटवारे को लेकर एनडीए में टकराव होने की खबरों को खारिज किया और इसे विरोधियों का 'दुष्प्रचार' करार दिया।
यह पूछे जाने पर कि क्या प्रतिद्वंद्वी विपक्षी खेमे के पास नीतीश कुमार जैसा कद्दावर नेता होने के बावजूद मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए बिना चुनाव मैदान में उतरकर एनडीए ने सही काम किया, कुशवाहा ने कहा, 'यह सर्वश्रेष्ठ विकल्प है।' कुशवाहा ने कहा, 'मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का फैसला सर्वश्रेष्ठ विकल्प है और हमने उसे अपनाया। वहां कोई चुनौती नहीं है... आज नीतीश राजग के लिए चुनौती नहीं हैं।'
आरएलएसपी ने कुछ महीने पहले मांग की थी कि कुशवाहा को एनडीए के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया जाए। हालांकि कुशवाहा मुद्दे पर सवालों को टाल गए। उनसे जब यह पूछा गया कि क्या वह उम्मीद करते हैं कि बीजेपी किसी गैर बीजेपी नेता को मुख्यमंत्री बना सकती है, कुशवाहा ने कहा, 'चुनाव में अभी यह मुद्दा नहीं है। एनडीए ने फैसला किया है कि बिहार में चुनाव नरेंद्र मोदी के नेतृतव में लड़ा जाएगा। जब समय आएगा तब इस मुद्दे को देखा जाएगा।'
कुशवाहा ने यह भी कहा कि बीजेपी जब जेडीयू की गठबंधन सहयोगी थी तो सरकार चलाने में इसकी कोई 'भूमिका नहीं' थी। उन्होंने कहा, 'गठबंधन में रहना और सरकार चलाना दो अलग-अलग चीजें हैं। हर कोई जानता है कि सभी नीतिगत फैसले नीतीश कुमार द्वारा लिए जा रहे थे। केवल नीतीश का हुक्म चलता था। बीजेपी सरकार में नाम मात्र को थी, न कि हकीकत में।'
कुशवाहा कोइरी समुदाय के प्रमुख नेता हैं। इस समुदाय के पांच प्रतिशत मतदाता हैं। उन्होंने मीडिया में आई इन खबरों को खारिज किया कि बिहार में समाजवादी पार्टी बीजेपी के कहने पर धर्मनिरपेक्ष गठबंधन से अलग हुई है। उन्होंने कहा कि यह नीतीश कुमार के 'अहंकार' का नतीजा है।
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