नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक को संसद में पारित कराने की मोदी सरकार की कोशिशों को करारा झटका लग सकता है। इसके अलावा सोमवार को जब बाजार खुलेंगे तो बाजार और रुपये की कीमत में भी गिरावट आने की आशंका है।
आपको बता दें कि बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी और उसके सहयोगी 60 से भी कम सीटों पर सिमट गए, जबकि वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाला महागठबंधन 170 से ज्यादा सीटें हासिल कर सरकार बनाने जा रहा है।
जवाहलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर और अर्थशास्त्री अरुण कुमार ने कहा, 'बिहार चुनाव के नतीजे से विपक्ष को नया हौसला मिलेगा। यह नरेंद्र मोदी सरकार के लिए जीएसटी पारित कराने की राह को और मुश्किल बनाएगी।'
संसद में अटका है अभी यह बिल
जीएसटी में देश के राज्यों में मौजूद अलग-अलग अप्रत्यक्ष करों को समाप्त कर वस्तुओं और सेवाओं पर एक समान कर लगाने का प्रावधान है। सरकार अगले साल अप्रैल से इसे लागू करना चाहती है। अभी यह विधेयक संसद में अटका हुआ है। अरुण कुमार ने कहा, 'बिहार चुनाव भाजपा के असंतुष्टों को भी अपनी बात उठाने का मौका देगा।
सरकार को अब जीएसटी और अन्य विवादास्पद विधेयकों पर अधिक समझौते करने पड़ेंगे।' उन्होंने कहा कि जीएसटी पर दलों के बीच कोई खास बुनियादी मतभेद नहीं है। यह मामला एक दूसरे पर राजनैतिक बाजी मारने जैसा हो चला है।
नुकसान की भरपाई करेगा केंद्र
जीएसटी में यह प्रावधान है कि राज्यों को कई करों को बंद करने से होने वाले नुकसान की भरपाई केंद्र करेगा। इसके लिए एक फीसदी अतिरिक्त कर लगाने का प्रावधान किया गया है। इसका मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के साथ साथ कंफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) ने भी विरोध किया है।
सीएआईटी के अध्यक्ष बीसी भरतिया और महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने एक संयुक्त बयान में कहा कि अंतर्राज्यीय व्यापार पर एक फीसदी अतिरिक्त कर लगाने से जीएसटी का स्वरूप बिगड़ेगा और इसका उल्टा असर होगा।
आपको बता दें कि बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी और उसके सहयोगी 60 से भी कम सीटों पर सिमट गए, जबकि वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाला महागठबंधन 170 से ज्यादा सीटें हासिल कर सरकार बनाने जा रहा है।
जवाहलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर और अर्थशास्त्री अरुण कुमार ने कहा, 'बिहार चुनाव के नतीजे से विपक्ष को नया हौसला मिलेगा। यह नरेंद्र मोदी सरकार के लिए जीएसटी पारित कराने की राह को और मुश्किल बनाएगी।'
संसद में अटका है अभी यह बिल
जीएसटी में देश के राज्यों में मौजूद अलग-अलग अप्रत्यक्ष करों को समाप्त कर वस्तुओं और सेवाओं पर एक समान कर लगाने का प्रावधान है। सरकार अगले साल अप्रैल से इसे लागू करना चाहती है। अभी यह विधेयक संसद में अटका हुआ है। अरुण कुमार ने कहा, 'बिहार चुनाव भाजपा के असंतुष्टों को भी अपनी बात उठाने का मौका देगा।
सरकार को अब जीएसटी और अन्य विवादास्पद विधेयकों पर अधिक समझौते करने पड़ेंगे।' उन्होंने कहा कि जीएसटी पर दलों के बीच कोई खास बुनियादी मतभेद नहीं है। यह मामला एक दूसरे पर राजनैतिक बाजी मारने जैसा हो चला है।
नुकसान की भरपाई करेगा केंद्र
जीएसटी में यह प्रावधान है कि राज्यों को कई करों को बंद करने से होने वाले नुकसान की भरपाई केंद्र करेगा। इसके लिए एक फीसदी अतिरिक्त कर लगाने का प्रावधान किया गया है। इसका मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के साथ साथ कंफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) ने भी विरोध किया है।
सीएआईटी के अध्यक्ष बीसी भरतिया और महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने एक संयुक्त बयान में कहा कि अंतर्राज्यीय व्यापार पर एक फीसदी अतिरिक्त कर लगाने से जीएसटी का स्वरूप बिगड़ेगा और इसका उल्टा असर होगा।
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