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This Article is From Nov 09, 2015

बिहार में बीजेपी की हार से अकाली दल को मिला सुकून

बिहार में बीजेपी की हार से अकाली दल को मिला सुकून
बिहार चुनाव में जीत के बाद जश्‍न मनाते पार्टी कार्यकर्ता (फाइल फोटो)
चंडीगढ़: बिहार में बीजेपी की करारी शिकस्त के बाद पंजाब में एनडीए के बिखरने की उम्मीद कम हो गयी है। शिरोमणि अकाली दल से बीजेपी के रिश्ते इन दिनों तल्ख़ हैं, लेकिन उसके नेताओं ने शिवसेना की तरह कम से कम खुले आम बीजेपी को चुटकी काटने से परहेज किया है।

बिहार में बीजेपी की हार के बाद एनडीए खेमे में खलबली है। शिवसेना ने तो नतीजों के फ़ौरन बाद बीजेपी को खरी खरी सुना दी। लेकिन ज़्यादा सुकून तो अकाली दल को मिला है। ड्रग्स और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर उसे आंखें दिखने वाली बीजेपी कमज़ोर हुई है। सबको दिखाने के लिए ये बयान ज़रूर आया।

शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता सुखदेव सिंह ढींढसा ने कहा कि बिहार के नतीजों का 2017 के चुनावों पर कोई असर नहीं पड़ेगा और न ही बीजेपी के साथ हमारे रिश्तों पर हम इकट्ठे चुनाव लड़ेंगे।

वहीं, 2017 में विधानसभा चुनाव से पहले अकाली दल से रिश्ता तोड़ने की राह पर चल रही बीजेपी के सुर भी बदले बदले से हैं। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव तरुण चुघ ने कहा, 'बिहार के नतीजों का पंजाब पर कोई असर नहीं पड़ेगा, हमारा गठबंधन मजबूत है।'

शिरोमणि अकाली दल के खिलाफ ज़बरदस्त सत्ता विरोधी लहर को देखते हुए बीजेपी ने पंजाब में अकेले चुनाव लड़ने की योजना बना रही थी। संघ गांवों में ज़मीनी आधार बनाने में जुटा है लेकिन अब लगता है ये सारी कवायद धरी रह जाएगी।

राजनीतिक विश्लेषक डॉ. प्रमोद कुमार कहते हैं कि बीजेपी के कमज़ोर होने से अकाली दल जैसी क्षेत्रीय दलों को फायदा हुआ है। अब उनकी पूछ बढ़ेगी, बीजेपी का रवैया बदलेगा और पंजाब में एनडीए बना रहेगा।'

लोकसभा चुनावों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बादल परिवार के साथ मंच साझा नहीं किया है। पंजाब को आर्थिक पैकेज, किसानों को मुआवज़ा जैसी मांगों पर मोदी सरकार ने ज़रा भी तवज्जों नहीं दी। बिहार के बाद अकाली दल के लिए बहारें लौट आयी हैं।

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