बेंगलुरु:
बेंगलुरु से तक़रीबन 30 किलोमीटर दूर बनरगट्टा रोड पर बने श्री आशापुरा माताजी धाम में लगभग 12 बजे धूमधाम से घोड़ी चढ़कर दूल्हा पहुंचा. समां कुछ ऐसा बंधा था जैसे कोई खर्चीली शादी हो लेकिन जैसे ही हम गेट पर पहुंचे तो पता चला कि शादी सिर्फ एक लाख इक्यावन हज़ार में हो रही है.
इतने से कम रुपये में शामिल मेन्यू को सुनकर तो आप और दंग रह जाएंगे. इसमें 250 लोगों का 3 वक़्त का खाना, ढोल बाज, पंडित, शादी और रिसेप्शन का पंडाल, घोड़ी, वर माला, 10 एसी कमरे वर-वधू के परिवार के लिए और शहर से यहां तक बाराती और घरातियों को लाने के लिए 2 बस. इतना ही नहीं, खाने में पकवानों की कोई कमी नहीं, दक्षिण के इडली डोसा से लेकर राजस्थान की गूंथा मेथी से लेकर बंगाली रसगुल्ले और काजू बर्फी तक.
सस्ती शादी का आयोजन जैन समाज के एक ट्रस्ट की तरफ से किया जा रहा है जिसका नाम है आशापुरा माता भंडारी जैन ट्रस्ट मंडल. इसके सचिव पारस मल भंडारी से मैंने पूछा कि आखिर इतने सस्ते में इस महंगाई के ज़माने में आप निपटाते कैसे हैं.
उनका जवाब था कि ट्रस्ट की तरफ़ से विवाह और रिसेप्शन मंडल दिया जाता है. साफ़-सफाई, बिजली, पानी इसका खर्च ट्रस्ट नहीं लेती और साथ-साथ जैन सम्प्रदाय की धार्मिक मानयताओं के तहत सारा कर्यक्रम सूर्यास्त से पहले होता है यानी जेनटर और साज-सज्जा पर आने वाला खर्च भी बच जाता है. ऐसे में बड़ा खर्चा सिर्फ खानपान का है. ट्रस्ट का कैटरर के साथ अनुबंध है कि साल में कितनी शादी वो करवाएंगे. ऐसे में मिला-जुलाकर नोटबंदी के इस दौर में लोगों को काफी रहत मिल रही है.
दुल्हन के चाचा ने बताया कि समाज में इतने कम रुपये में शादी की बात सुनकर उन लोगों को पहले तो यकीन नहीं हुआ फिर अब जब शादी धूमधाम से हो गई तो भरोसा नहीं हो रहा कि इतने कम खर्च में भी शादी हो सकती है. वो भी तब जब नोटबंदी की वजह से 2500 रुपये के लिए घंटों लाइन लगना पड़ता है. भले ही शादी के लिए ढाई लाख रुपये मिल जाये. लड़के वाले खुश हैं कि पैसे काम खर्च हुए तो ऐसे में बचे हुए पैसे का इस्तेमाल वधु के लिए गहने में किया जाएगा जो कि आगे चलकर उनके काम आएगा.
इतने से कम रुपये में शामिल मेन्यू को सुनकर तो आप और दंग रह जाएंगे. इसमें 250 लोगों का 3 वक़्त का खाना, ढोल बाज, पंडित, शादी और रिसेप्शन का पंडाल, घोड़ी, वर माला, 10 एसी कमरे वर-वधू के परिवार के लिए और शहर से यहां तक बाराती और घरातियों को लाने के लिए 2 बस. इतना ही नहीं, खाने में पकवानों की कोई कमी नहीं, दक्षिण के इडली डोसा से लेकर राजस्थान की गूंथा मेथी से लेकर बंगाली रसगुल्ले और काजू बर्फी तक.
सस्ती शादी का आयोजन जैन समाज के एक ट्रस्ट की तरफ से किया जा रहा है जिसका नाम है आशापुरा माता भंडारी जैन ट्रस्ट मंडल. इसके सचिव पारस मल भंडारी से मैंने पूछा कि आखिर इतने सस्ते में इस महंगाई के ज़माने में आप निपटाते कैसे हैं.
उनका जवाब था कि ट्रस्ट की तरफ़ से विवाह और रिसेप्शन मंडल दिया जाता है. साफ़-सफाई, बिजली, पानी इसका खर्च ट्रस्ट नहीं लेती और साथ-साथ जैन सम्प्रदाय की धार्मिक मानयताओं के तहत सारा कर्यक्रम सूर्यास्त से पहले होता है यानी जेनटर और साज-सज्जा पर आने वाला खर्च भी बच जाता है. ऐसे में बड़ा खर्चा सिर्फ खानपान का है. ट्रस्ट का कैटरर के साथ अनुबंध है कि साल में कितनी शादी वो करवाएंगे. ऐसे में मिला-जुलाकर नोटबंदी के इस दौर में लोगों को काफी रहत मिल रही है.
दुल्हन के चाचा ने बताया कि समाज में इतने कम रुपये में शादी की बात सुनकर उन लोगों को पहले तो यकीन नहीं हुआ फिर अब जब शादी धूमधाम से हो गई तो भरोसा नहीं हो रहा कि इतने कम खर्च में भी शादी हो सकती है. वो भी तब जब नोटबंदी की वजह से 2500 रुपये के लिए घंटों लाइन लगना पड़ता है. भले ही शादी के लिए ढाई लाख रुपये मिल जाये. लड़के वाले खुश हैं कि पैसे काम खर्च हुए तो ऐसे में बचे हुए पैसे का इस्तेमाल वधु के लिए गहने में किया जाएगा जो कि आगे चलकर उनके काम आएगा.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं