बेंगलुरु शहर के भीड़भाड़ वाले इलाकों में घुड़सवार पुलिस की तैनाती की गई है.
बेंगलुरु:
बेंगलुरु में अब भीड़ भरे इलाकों में अब घोड़ों पर सवार पुलिस के जवान हर गतिविधि पर नजर रखेंगे. जरूरत पड़ने पर यह घुड़सवार पुलिस कर्मी संकरे और भीड़भाड़ वाले रास्तों से होकर तुरंत मौके पर पहुंचेंगे और हालात पर काबू पाएंगे. बेंगलुरु में तेजी से बढ़ती आबादी और वाहनों की तादाद की वजह से अपराधों में भी वृद्धि हुई है. ऐसे में अब भीड़भाड़ वाले इलाकों में घुड़सवार पुलिस की तैनाती पहली बार की गई है. 
घुड़सवार पुलिस की शुरुआत चार घोड़ों से हुई है जो कि जल्द ही 11 घोड़ों का कनटिनजेंट बन जाएगा. यह घोड़े मैसूर से लाए जाएंगे जहां माउंटेड पुलिस फोर्स की एक पूरी कंपनी 1951 से स्थानिय पुलिस की मदद कर रही है. बेंगलुरु के पुलिस कमिश्नर प्रवीण सूद ने मीडिया को बताया कि चुने हुए दिनों में खास जगहों पर इनकी तैनाती दोपहर तीन बजे से बाजार बंद होने तक की जाएगी. 
मैसूर में माउंटेड पुलिस का इस्तेमाल लंबे अरसे से हो रहा है. हालांकि इस पर सवाल भी उठाए जा रहे थे कि आखिर इतने रुपये अपेक्षाकृत छोटे से शहर की पोलिसिंग पर क्यों खर्च किए जा रहे हैं? अब बेंगलुरु में अस्तबल बनवाए जा रहे हैं ताकि इन घोड़ों की देखरेख अच्छी तरह से हो सके.
दरअसल कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर और बेंगलुरु के पुलिस कमिश्नर प्रवीण सूद हाल ही में एक पुलिस कॉन्फ्रेंस के सिलसिले में लंदन गए थे. वहां की घुड़सवार पुलिस से यह दोनों काफी प्रभावित हुए. इसके बाद बेंगलुरु में घुड़सवार पुलिस की तैनाती का फैसला लिया गया. 
सरकार ने 20 करोड़ रुपये सिटी पुलिस कंट्रोल रूम को दिए हैं ताकि इसका आधुनिकीकरण मुंबई व दिल्ली की तर्ज पर किया जा सके और जरूरतमंदों तक पुलिस की मदद 15 मिनट के अंदर पहुंच सके. एक माह के अंदर बेंगलुरु पुलिस में ऐसे कई और बदलाव लाने के प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है.

घुड़सवार पुलिस की शुरुआत चार घोड़ों से हुई है जो कि जल्द ही 11 घोड़ों का कनटिनजेंट बन जाएगा. यह घोड़े मैसूर से लाए जाएंगे जहां माउंटेड पुलिस फोर्स की एक पूरी कंपनी 1951 से स्थानिय पुलिस की मदद कर रही है. बेंगलुरु के पुलिस कमिश्नर प्रवीण सूद ने मीडिया को बताया कि चुने हुए दिनों में खास जगहों पर इनकी तैनाती दोपहर तीन बजे से बाजार बंद होने तक की जाएगी.

मैसूर में माउंटेड पुलिस का इस्तेमाल लंबे अरसे से हो रहा है. हालांकि इस पर सवाल भी उठाए जा रहे थे कि आखिर इतने रुपये अपेक्षाकृत छोटे से शहर की पोलिसिंग पर क्यों खर्च किए जा रहे हैं? अब बेंगलुरु में अस्तबल बनवाए जा रहे हैं ताकि इन घोड़ों की देखरेख अच्छी तरह से हो सके.
दरअसल कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर और बेंगलुरु के पुलिस कमिश्नर प्रवीण सूद हाल ही में एक पुलिस कॉन्फ्रेंस के सिलसिले में लंदन गए थे. वहां की घुड़सवार पुलिस से यह दोनों काफी प्रभावित हुए. इसके बाद बेंगलुरु में घुड़सवार पुलिस की तैनाती का फैसला लिया गया.

सरकार ने 20 करोड़ रुपये सिटी पुलिस कंट्रोल रूम को दिए हैं ताकि इसका आधुनिकीकरण मुंबई व दिल्ली की तर्ज पर किया जा सके और जरूरतमंदों तक पुलिस की मदद 15 मिनट के अंदर पहुंच सके. एक माह के अंदर बेंगलुरु पुलिस में ऐसे कई और बदलाव लाने के प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है.
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